अयि गिरि नंदिनि भाग १ हिंदी अर्थ सहित।

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Gyananjali

Gyananjali

Күн бұрын

Пікірлер: 89
@AnimeshPurohit-v3p
@AnimeshPurohit-v3p Жыл бұрын
गुरुजी,आपको चरण स्पर्श,आपका ह्रदय से आभार🌹🙏🌹
@devdeep1381
@devdeep1381 Жыл бұрын
🙏🙏 nice video Waiting for next part ❤❤
@universalmathsclasses6571
@universalmathsclasses6571 3 ай бұрын
Jai ho jgtjanini
@स्त्रोतम्-ष4ल
@स्त्रोतम्-ष4ल 2 ай бұрын
मन प्रसन्न हो जाता है जी बिल्कुल आपके मुख से कोई भी स्रोत या वंदना सुनकर
@mahabirprasad9309
@mahabirprasad9309 3 ай бұрын
सर के पड़ने से मुझे बहुत मदत मिल रही हे 🙏🙏
@RajD2013
@RajD2013 5 ай бұрын
🙏🙏 Jai Jai Jai ho aap ki 🙏🙏
@brajeshksbhadauria1711
@brajeshksbhadauria1711 3 ай бұрын
अति सुंदर।बहुत अच्छे भाव के साथ समझाया।
@WebApplications_Developer
@WebApplications_Developer Жыл бұрын
एकदम मीठे स्वर के साथ जो आपने व्याख्या की दिल को छू गया,आज पहली बार मैं इसके एक एक शब्द के अर्थ को समझ पाया हूं ,धन्यवाद गुरुजी आपका जो आपने यूट्यूब के माध्यम से हम लोगो तक इसे पहुंचाने की कृपा की आपने, प्रणाम गुरूजी 👏 ,जय हो सनातन धर्म की
@_Shivshakti_0
@_Shivshakti_0 Ай бұрын
हे मां आदिशक्ति आपको कोटि कोटि प्रणाम है🙏🙏🌹🌹❤❤
@taraupadhay1932
@taraupadhay1932 2 ай бұрын
Aap ko tahe dil se pranam
@vishnukumarmishra3611
@vishnukumarmishra3611 Ай бұрын
बहुत ही सुन्दर एवम् सराहनीय कार्य जय हो 🎉
@Tendo_27
@Tendo_27 2 ай бұрын
Thank you guruji for all your tutorial videos... They have helped me alot in reciting various stotrams as part of my daily life.... May Ma bless you with abundance of wealth, health and moksha 🙏🏼🙏🏼🌺🔱
@omsanatan8269
@omsanatan8269 Жыл бұрын
Maa ki vandana har sawar ko shobhit kar deti h aapke bhav bhi achchhe h sawar bhi
@PalakAgrawal-bg5vs
@PalakAgrawal-bg5vs 18 күн бұрын
बहुत बहुत आभार गुरुदेव ऐसा अर्थ सहित सप्तशती का वीडियो भी हम सब के लिए उपलब्ध हो तो बड़ी कृपा होगी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@vikassaraswat312
@vikassaraswat312 5 ай бұрын
जय माता दी बहुत सुन्दर प्रस्तुति
@Sweeaashu
@Sweeaashu Жыл бұрын
सदंचित-मुदंचित निकुंचित पदं झलझलं-चलित मंजु कटकम् । पतंजलि दृगंजन-मनंजन-मचंचलपदं जनन भंजन करम् । कदंबरुचिमंबरवसं परममंबुद कदंब कविडंबक गलम् चिदंबुधि मणिं बुध हृदंबुज रविं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 1 ॥
@AvinashSharma-Raja
@AvinashSharma-Raja 16 күн бұрын
Pranam guruji😊
@mschauhan7405
@mschauhan7405 5 ай бұрын
आप को कोटि कोटि नमन
@pramodwagh2008
@pramodwagh2008 4 ай бұрын
बहुत सुंदर विश्लेषण सर जी
@neetubharti78
@neetubharti78 Ай бұрын
Bahut bahut dhanyawad 🙏🙏
@MaheshChandra-em1yq
@MaheshChandra-em1yq Жыл бұрын
श्रीमान जी पणाम सुन्दर तरीके से समझाया हैं 🎉🤨
@dharmendrakumar9615
@dharmendrakumar9615 Жыл бұрын
Bhut accha prayaas
@Kaal-bhairav646
@Kaal-bhairav646 Жыл бұрын
बहूत ही मधुर स्वर में इस दिव्य स्तोत्र को आपने गायन किया और अर्थ भी बताया।।। इस तरह आप विडियो देते रहिए,, आपको मेरा नमन है इस सराहनी कार्य हेतु।
@aishwaryabajpai3262
@aishwaryabajpai3262 7 ай бұрын
Jai Ho
@InduBala-nq5ku
@InduBala-nq5ku Ай бұрын
Guruji parnam
@kumarvishwas1786
@kumarvishwas1786 Ай бұрын
Keya bat hai❤❤❤
@khushbootiwari7018
@khushbootiwari7018 Жыл бұрын
Pranam Gurudev
@chotku
@chotku Жыл бұрын
गुरुजी आपके चरणो में दंडवत प्रणाम 🙏
@amitgautam0818
@amitgautam0818 11 ай бұрын
Adbhut hai ji
@riyanshi100
@riyanshi100 6 ай бұрын
Guru ji Pranam
@AshwaniKumar-be9gt
@AshwaniKumar-be9gt Жыл бұрын
Sir aap ka bhi sur super hai hai ❤❤❤ thanks 🙏🙏
@gyanendrakumar7786
@gyanendrakumar7786 Жыл бұрын
Jai Mata di..
@ranjanathorat1855
@ranjanathorat1855 8 ай бұрын
बहुत सुंदर विश्लेषण गुरूजी सादर प्रणाम 🙏🙏
@chhawityagi5324
@chhawityagi5324 Ай бұрын
बहुत बहुत आभार
@bhaktigyanyagya
@bhaktigyanyagya 17 күн бұрын
जो जैसा बतला रहे है सब का सम्मान करना चाहिए जैसे हरि अनंत हरि कथाअनंता
@matramevergreen5976
@matramevergreen5976 Жыл бұрын
🙏🌻🌻⛳️🌺🌺Jai Mata Di 🌺🌺⛳️🌻🌻🙏
@hradeshnayak2017
@hradeshnayak2017 Жыл бұрын
🙏🙏🙏
@shravankumarmishra6472
@shravankumarmishra6472 Жыл бұрын
Thanks very good recitation sir ji
@Haru_ytt
@Haru_ytt 23 күн бұрын
Pnannm gru ji...
@sundermanidabral6662
@sundermanidabral6662 Жыл бұрын
सादर प्रणाम।
@singhsupriya2349
@singhsupriya2349 10 ай бұрын
आपकी वीडियो देखकर मुझे लगता है कि मैं भी माता का महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र सीख जाऊंगी। आप मेरे लिए गुरु समान है आपके चरणों में बारंबार प्रणाम 🙏 कृप्या करके ऐसे ही शिव तांडव स्तोत्र का भी विडियो बनाईए।
@MrityunjaySingh-t3u
@MrityunjaySingh-t3u Жыл бұрын
Thank you so much for mahishasurmadini strotram
@rajkumarsharma351
@rajkumarsharma351 11 ай бұрын
Jai mata di
@atul_darshan
@atul_darshan 9 ай бұрын
Such a nice voice sir🎉🎉🎉🎉🎉🙏
@डॉविवेकआनंदचौधरी
@डॉविवेकआनंदचौधरी Жыл бұрын
बहुत सुंदर प्रयास ❤❤❤
@hemashah1111
@hemashah1111 11 ай бұрын
thank you thank you so much sir
@swapnakamal9571
@swapnakamal9571 Жыл бұрын
Aapka gayan bahut sundar hai
@sishumadan6774
@sishumadan6774 Жыл бұрын
very nice
@NehaKumari-dm6mr
@NehaKumari-dm6mr 2 ай бұрын
Thank you so much ❤❤
@diwakardudpuri4893
@diwakardudpuri4893 Жыл бұрын
जय मां भगवती भवानी
@Mr12110312
@Mr12110312 Жыл бұрын
गुरु देव, माँ भगवती का सामीप्य बढ़ाने के लिए में आपका हृदय से आभारी हूँ ।गुरु जी यदि कभी हिमाचल आना हुआ तो कृपा करके मुझे सेवा का अवसर ज़रूर प्रदान करें 🙏🌸जय माँ 🚩
@truptiuikey6094
@truptiuikey6094 Жыл бұрын
Thank you so much sir ❤
@preetinegi4921
@preetinegi4921 Жыл бұрын
जय माता दी।
@AmitBhardwaj-dv4id
@AmitBhardwaj-dv4id Жыл бұрын
जय भवानी 🚩🚩🚩
@sudippandeyofficel
@sudippandeyofficel Жыл бұрын
Guru ji rudrastkam
@amitiaf61
@amitiaf61 Жыл бұрын
🎉🎉🎉Thanx 🎉🎉🎉
@durgasharma1171
@durgasharma1171 Жыл бұрын
मैं आपको सादर प्रणाम करता हूं सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि आपका स्वर बहुत मीठा है क्योंकि भगवती आपके शब्दों में और वाणी में शब्द ब्रह्म रूप से विराजमान है दूसरा मैं आपको दोबारा धन्यवाद देता हूं कि अपने प्रत्येक श्लोक के प्रत्येक शब्द का अलग अलग अर्थ समझाया युटुब पर या गूगल पर हमें इस स्तोत्र का हिंदी अनुवाद तो मिल जाता है परंतु हम उसे अनुवाद के द्वारा यह पता नहीं लगा पाए कि इसमें किस शब्द का क्या अर्थ है और किसी भी स्तोत्र को पढ़ने का दुगना आनंद तब बढ़ जाता है जब आप स्तोत्र पढ़ रहे हो और उसका आपको अर्थ भी पता हो इसलिए आपसे विनती है की इसी प्रकार से महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक के प्रत्येक शब्द का अर्थ बताने की कृपा करते रहें मैं आपको दोबारा सादर प्रणाम करता हूं भगवती आपके ऊपर अपनी इसी प्रकार से विशेष अनुकंपा सदैव बनाए रखें
@dindayalrai1669
@dindayalrai1669 Жыл бұрын
गुरु जी सादर प्रणाम आप से अनुरोध है पीडीएफ फाइल बनाएं
@dayaguptavlogs1771
@dayaguptavlogs1771 Жыл бұрын
Pranaam Gurudev🌹 Gurudev sundarkand plz..
@HemilPatel-y4f
@HemilPatel-y4f Жыл бұрын
Lalitha sahasranamam please
@arunverma3380
@arunverma3380 Жыл бұрын
गुरुजी जगमंगल काली कवच पर वीडियो बनाए
@tarakantacharya
@tarakantacharya Жыл бұрын
अपका स्वर बहुत मीठा है
@raju43212
@raju43212 2 ай бұрын
Sir durga saptasati with sloka meaning bhi laye aapki kripa hogi🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
@Rajendra_Kumar_Shukla
@Rajendra_Kumar_Shukla Жыл бұрын
Guruji Rudri paath aaage ke path bhi daldigiye 🙏
@narasingha
@narasingha Жыл бұрын
Please sir durga kavacha
@Gyananjali_GyanGanga
@Gyananjali_GyanGanga Жыл бұрын
Channel me dekhiye mil jayega with meaning and tutorial both .
@barbieminidreamworld
@barbieminidreamworld Жыл бұрын
Lalitha shastranamam please
@family_vibes2119
@family_vibes2119 Жыл бұрын
Kripya Sankalp padhna bataen
@shravankumarmishra6472
@shravankumarmishra6472 Жыл бұрын
Please also load saundarya lahiri with Hindi translation Sir Ji
@abhimanyumishra7524
@abhimanyumishra7524 Жыл бұрын
ये स्तोत्र कौन से पुस्तक में मिलेगा..?
@larider228
@larider228 Жыл бұрын
Sir, can you share the chhanda, this is recited. Thank you.
@ankitchauhan758
@ankitchauhan758 Жыл бұрын
Sir apne tino rehsyo par video bnaye kripya karke
@chandankumar-pl9qv
@chandankumar-pl9qv Жыл бұрын
Visnu sahastra nam ko complete karba dijea pora
@divakarkumar888
@divakarkumar888 Жыл бұрын
श्रीमान🙏, शब्द स्पष्ट नहीं दिखाई देते हैं।
@shivampandit9
@shivampandit9 Жыл бұрын
Bs guru ji achhe se smjha de Maine yaad krne ki koshish ki bt yaad nhi hua 😑
@Mosam-r2f
@Mosam-r2f 2 ай бұрын
galt hai ye tarj hi nahi hai
@Sweeaashu
@Sweeaashu Жыл бұрын
Guru var ek patanjali krat natraj strotm bhi sikha ve
@Gyananjali_GyanGanga
@Gyananjali_GyanGanga Ай бұрын
Aap pdf de dijiye bana denge
@Sweeaashu
@Sweeaashu Ай бұрын
@@Gyananjali_GyanGanga sir plz send e-mail address send pdf patanjali natraj strotm
@Sweeaashu
@Sweeaashu Ай бұрын
नटराज स्तोत्रं (पतंजलि कृतम्) अथ चरणशृंगरहित श्री नटराज स्तोत्रं सदंचित-मुदंचित निकुंचित पदं झलझलं-चलित मंजु कटकम् । पतंजलि दृगंजन-मनंजन-मचंचलपदं जनन भंजन करम् । कदंबरुचिमंबरवसं परममंबुद कदंब कविडंबक गलम् चिदंबुधि मणिं बुध हृदंबुज रविं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 1 ॥ हरं त्रिपुर भंजन-मनंतकृतकंकण-मखंडदय-मंतरहितं विरिंचिसुरसंहतिपुरंधर विचिंतितपदं तरुणचंद्रमकुटम् । परं पद विखंडितयमं भसित मंडिततनुं मदनवंचन परं चिरंतनममुं प्रणवसंचितनिधिं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 2 ॥ अवंतमखिलं जगदभंग गुणतुंगममतं धृतविधुं सुरसरित्- तरंग निकुरुंब धृति लंपट जटं शमनदंभसुहरं भवहरम् । शिवं दशदिगंतर विजृंभितकरं करलसन्मृगशिशुं पशुपतिं हरं शशिधनंजयपतंगनयनं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 3 ॥ अनंतनवरत्नविलसत्कटककिंकिणिझलं झलझलं झलरवं मुकुंदविधि हस्तगतमद्दल लयध्वनिधिमिद्धिमित नर्तन पदम् । शकुंतरथ बर्हिरथ नंदिमुख भृंगिरिटिसंघनिकटं भयहरम् सनंद सनक प्रमुख वंदित पदं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 4 ॥ अनंतमहसं त्रिदशवंद्य चरणं मुनि हृदंतर वसंतममलम् कबंध वियदिंद्ववनि गंधवह वह्निमख बंधुरविमंजु वपुषम् । अनंतविभवं त्रिजगदंतर मणिं त्रिनयनं त्रिपुर खंडन परम् सनंद मुनि वंदित पदं सकरुणं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 5 ॥ अचिंत्यमलिवृंद रुचि बंधुरगलं कुरित कुंद निकुरुंब धवलम् मुकुंद सुर वृंद बल हंतृ कृत वंदन लसंतमहिकुंडल धरम् । अकंपमनुकंपित रतिं सुजन मंगलनिधिं गजहरं पशुपतिम् धनंजय नुतं प्रणत रंजनपरं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 6 ॥ परं सुरवरं पुरहरं पशुपतिं जनित दंतिमुख षण्मुखममुं मृडं कनक पिंगल जटं सनक पंकज रविं सुमनसं हिमरुचिम् । असंघमनसं जलधि जन्मगरलं कवलयंत मतुलं गुणनिधिम् सनंद वरदं शमितमिंदु वदनं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 7 ॥ अजं क्षितिरथं भुजगपुंगवगुणं कनक शृंगि धनुषं करलसत् कुरंग पृथु टंक परशुं रुचिर कुंकुम रुचिं डमरुकं च दधतम् । मुकुंद विशिखं नमदवंध्य फलदं निगम वृंद तुरगं निरुपमं स चंडिकममुं झटिति संहृतपुरं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 8 ॥ अनंगपरिपंथिनमजं क्षिति धुरंधरमलं करुणयंतमखिलं ज्वलंतमनलं दधतमंतकरिपुं सततमिंद्र सुरवंदितपदम् । उदंचदरविंदकुल बंधुशत बिंबरुचि संहति सुगंधि वपुषं पतंजलि नुतं प्रणव पंजर शुकं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 9 ॥ इति स्तवममुं भुजगपुंगव कृतं प्रतिदिनं पठति यः कृतमुखः सदः प्रभुपद द्वितयदर्शनपदं सुललितं चरण शृंग रहितम् । सरः प्रभव संभव हरित्पति हरिप्रमुख दिव्यनुत शंकरपदं स गच्छति परं न तु जनुर्जलनिधिं परमदुःखजनकं दुरितदम् ॥ 10 ॥ इति श्री पतंजलिमुनि प्रणीतं चरणशृंगरहित नटराज स्तोत्रं
@Sweeaashu
@Sweeaashu Ай бұрын
@@Gyananjali_GyanGanga नटराज स्तोत्रं (पतंजलि कृतम्) अथ चरणशृंगरहित श्री नटराज स्तोत्रं सदंचित-मुदंचित निकुंचित पदं झलझलं-चलित मंजु कटकम् । पतंजलि दृगंजन-मनंजन-मचंचलपदं जनन भंजन करम् । कदंबरुचिमंबरवसं परममंबुद कदंब कविडंबक गलम् चिदंबुधि मणिं बुध हृदंबुज रविं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 1 ॥ हरं त्रिपुर भंजन-मनंतकृतकंकण-मखंडदय-मंतरहितं विरिंचिसुरसंहतिपुरंधर विचिंतितपदं तरुणचंद्रमकुटम् । परं पद विखंडितयमं भसित मंडिततनुं मदनवंचन परं चिरंतनममुं प्रणवसंचितनिधिं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 2 ॥ अवंतमखिलं जगदभंग गुणतुंगममतं धृतविधुं सुरसरित्- तरंग निकुरुंब धृति लंपट जटं शमनदंभसुहरं भवहरम् । शिवं दशदिगंतर विजृंभितकरं करलसन्मृगशिशुं पशुपतिं हरं शशिधनंजयपतंगनयनं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 3 ॥ अनंतनवरत्नविलसत्कटककिंकिणिझलं झलझलं झलरवं मुकुंदविधि हस्तगतमद्दल लयध्वनिधिमिद्धिमित नर्तन पदम् । शकुंतरथ बर्हिरथ नंदिमुख भृंगिरिटिसंघनिकटं भयहरम् सनंद सनक प्रमुख वंदित पदं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 4 ॥ अनंतमहसं त्रिदशवंद्य चरणं मुनि हृदंतर वसंतममलम् कबंध वियदिंद्ववनि गंधवह वह्निमख बंधुरविमंजु वपुषम् । अनंतविभवं त्रिजगदंतर मणिं त्रिनयनं त्रिपुर खंडन परम् सनंद मुनि वंदित पदं सकरुणं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 5 ॥ अचिंत्यमलिवृंद रुचि बंधुरगलं कुरित कुंद निकुरुंब धवलम् मुकुंद सुर वृंद बल हंतृ कृत वंदन लसंतमहिकुंडल धरम् । अकंपमनुकंपित रतिं सुजन मंगलनिधिं गजहरं पशुपतिम् धनंजय नुतं प्रणत रंजनपरं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 6 ॥ परं सुरवरं पुरहरं पशुपतिं जनित दंतिमुख षण्मुखममुं मृडं कनक पिंगल जटं सनक पंकज रविं सुमनसं हिमरुचिम् । असंघमनसं जलधि जन्मगरलं कवलयंत मतुलं गुणनिधिम् सनंद वरदं शमितमिंदु वदनं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 7 ॥ अजं क्षितिरथं भुजगपुंगवगुणं कनक शृंगि धनुषं करलसत् कुरंग पृथु टंक परशुं रुचिर कुंकुम रुचिं डमरुकं च दधतम् । मुकुंद विशिखं नमदवंध्य फलदं निगम वृंद तुरगं निरुपमं स चंडिकममुं झटिति संहृतपुरं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 8 ॥ अनंगपरिपंथिनमजं क्षिति धुरंधरमलं करुणयंतमखिलं ज्वलंतमनलं दधतमंतकरिपुं सततमिंद्र सुरवंदितपदम् । उदंचदरविंदकुल बंधुशत बिंबरुचि संहति सुगंधि वपुषं पतंजलि नुतं प्रणव पंजर शुकं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 9 ॥ इति स्तवममुं भुजगपुंगव कृतं प्रतिदिनं पठति यः कृतमुखः सदः प्रभुपद द्वितयदर्शनपदं सुललितं चरण शृंग रहितम् । सरः प्रभव संभव हरित्पति हरिप्रमुख दिव्यनुत शंकरपदं स गच्छति परं न तु जनुर्जलनिधिं परमदुःखजनकं दुरितदम् ॥ 10 ॥ इति श्री पतंजलिमुनि प्रणीतं चरणशृंगरहित नटराज स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
@Sweeaashu
@Sweeaashu Ай бұрын
नटराज स्तोत्रं (पतंजलि कृतम्) अथ चरणशृंगरहित श्री नटराज स्तोत्रं सदंचित-मुदंचित निकुंचित पदं झलझलं-चलित मंजु कटकम् । पतंजलि दृगंजन-मनंजन-मचंचलपदं जनन भंजन करम् । कदंबरुचिमंबरवसं परममंबुद कदंब कविडंबक गलम् चिदंबुधि मणिं बुध हृदंबुज रविं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 1 ॥ हरं त्रिपुर भंजन-मनंतकृतकंकण-मखंडदय-मंतरहितं विरिंचिसुरसंहतिपुरंधर विचिंतितपदं तरुणचंद्रमकुटम् । परं पद विखंडितयमं भसित मंडिततनुं मदनवंचन परं चिरंतनममुं प्रणवसंचितनिधिं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 2 ॥ अवंतमखिलं जगदभंग गुणतुंगममतं धृतविधुं सुरसरित्- तरंग निकुरुंब धृति लंपट जटं शमनदंभसुहरं भवहरम् । शिवं दशदिगंतर विजृंभितकरं करलसन्मृगशिशुं पशुपतिं हरं शशिधनंजयपतंगनयनं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 3 ॥ अनंतनवरत्नविलसत्कटककिंकिणिझलं झलझलं झलरवं मुकुंदविधि हस्तगतमद्दल लयध्वनिधिमिद्धिमित नर्तन पदम् । शकुंतरथ बर्हिरथ नंदिमुख भृंगिरिटिसंघनिकटं भयहरम् सनंद सनक प्रमुख वंदित पदं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 4 ॥ अनंतमहसं त्रिदशवंद्य चरणं मुनि हृदंतर वसंतममलम् कबंध वियदिंद्ववनि गंधवह वह्निमख बंधुरविमंजु वपुषम् । अनंतविभवं त्रिजगदंतर मणिं त्रिनयनं त्रिपुर खंडन परम् सनंद मुनि वंदित पदं सकरुणं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 5 ॥ अचिंत्यमलिवृंद रुचि बंधुरगलं कुरित कुंद निकुरुंब धवलम् मुकुंद सुर वृंद बल हंतृ कृत वंदन लसंतमहिकुंडल धरम् । अकंपमनुकंपित रतिं सुजन मंगलनिधिं गजहरं पशुपतिम् धनंजय नुतं प्रणत रंजनपरं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 6 ॥ परं सुरवरं पुरहरं पशुपतिं जनित दंतिमुख षण्मुखममुं मृडं कनक पिंगल जटं सनक पंकज रविं सुमनसं हिमरुचिम् । असंघमनसं जलधि जन्मगरलं कवलयंत मतुलं गुणनिधिम् सनंद वरदं शमितमिंदु वदनं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 7 ॥ अजं क्षितिरथं भुजगपुंगवगुणं कनक शृंगि धनुषं करलसत् कुरंग पृथु टंक परशुं रुचिर कुंकुम रुचिं डमरुकं च दधतम् । मुकुंद विशिखं नमदवंध्य फलदं निगम वृंद तुरगं निरुपमं स चंडिकममुं झटिति संहृतपुरं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 8 ॥ अनंगपरिपंथिनमजं क्षिति धुरंधरमलं करुणयंतमखिलं ज्वलंतमनलं दधतमंतकरिपुं सततमिंद्र सुरवंदितपदम् । उदंचदरविंदकुल बंधुशत बिंबरुचि संहति सुगंधि वपुषं पतंजलि नुतं प्रणव पंजर शुकं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 9 ॥ इति स्तवममुं भुजगपुंगव कृतं प्रतिदिनं पठति यः कृतमुखः सदः प्रभुपद द्वितयदर्शनपदं सुललितं चरण शृंग रहितम् । सरः प्रभव संभव हरित्पति हरिप्रमुख दिव्यनुत शंकरपदं स गच्छति परं न तु जनुर्जलनिधिं परमदुःखजनकं दुरितदम् ॥ 10 ॥ इति श्री पतंजलिमुनि प्रणीतं चरणशृंगरहित नटराज स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
@family_vibes2119
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@sishumadan6774
@sishumadan6774 Жыл бұрын
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