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चित्रकूट से प्रभु की पादुकाएं लाकर भरत अयोध्या नहीं आते, बल्कि वह अयोध्या से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर नंदीग्राम में उनकी पादुकाएं एक सिंहासन पर रख देते हैं। भरत इसी स्थान पर भगवान राम की पादुकाएं रखकर राजपाठ चलाते हैं और तपस्वी नियमों का पालन करते हैं। इसे ही भरत कुंड कहा गया है। जब श्रीराम अयोध्या लौटे और उनका राज्याभिषेक हुआ तो इसी भरतकुंड से जल गया।
यहीं के कुंड से राम का अभिषेक हुआ! मान्यता है कि यहां स्थित कुंड पर भरत स्नान करते थे और यहीं पर उन्होंने गुफा बनाई थी, जो जमीन से चार फुट नीचे थी। वह वहीं पर स्नान के बाद ध्यान करते थे।
जब श्रीराम वनवास के बाद अयोध्या लौटे तो भरत से इसी स्थान पर उनकी मुलाकात हुई। इसी स्थान को भरत मिलाप के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है।
दोस्तों आइये चलते है औऱ जानते है भारत मिलाप मंदिर के इतिहास को वीडियो के माध्यम से 🙏
मैं हु आपका दोस्त अनुज पाराशर औऱ मैं कर रहा हु दिल्ली से अयोध्या धाम व नेपाल की यात्रा अपनी बुलेट से... जुड़े रहिये मेरे साथ औऱ आनंद लीजिये इस अद्भुत यात्रा का मेरे आध्यात्मिक हिमालय यूट्यूब channel पर 🙏
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Anuj Parashar
Darsh Parashar
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