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Ayam E Fatima Jaipur Majlis 2023 | Ayam-e-Fatmiyah 2023
Ayyam-e-Fatimaiya 2023, Jaipur Rajasthan
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ایام فاطمیه
Shahadat Bibi Fatima Zahra (s.a)
Reciter: Anjuman Sipah E Hussaini Bhanauli Sadat
Poetry: Nadeem Abbas Sultanpuri
Organizer: Momneen E Jaipur
Venue: Shia Waqf Imambargah, Hakeem Momin Ali, Jaipur - Rajsthan
Lyrics (Hindi)
मैं मज़लूमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ
1
मेरी रूदाद सुनो आपकी ज़हरा हूँ मैं
बाबा जाँ रंजो मसाइब में गिरफ्ता हूँ मैं
क्या सितम आपकी बेटी पे हुआ है देखो
सिन है 18 बरस और ज़ईफ़ा हूँ मैं
बाबा मैं मज़लूमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ
2
ब खुदा जब से उठा आपका साया बाबा
मैंने एक पल भी कभी चैन न पाया बाबा
झुक गयी मेरी कमर दर्द को सहते सहते
इस क़दर आपकी उम्मत ने सताया बाबा
बाबा मैं मज़लूमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ
3
उठने लगता है मेरे दिल मे ग़मों का तूफां
उस घड़ी और तड़पता है जिगर बाबा जाँ
मुझसे कहती है ये जब मेरी दुलारी ज़ैनब
किस लिये बैठ के पढ़ती हो नमाज़ें अम्मा
बाबा मैं मज़लूमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ
4
दिन क़यामत का ये दिखलाया गया ज़हरा को
बाबा पेशी पे भी बुलवाया गया ज़हरा को
फाड़ कर आपकी तहरीर ज़मीं पर फैंकी
भरे दरबार मे झुटलाया गया ज़हरा को
बाबा मैं मज़लूमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ
5
मैं उठाने लगी जिस वक्त सनद के टुकड़े
हँस रहे थे मेरी ग़ुरबत पे सितमगर सारे
आया उस वक़्त मुझे और भी रोना जिस दम
मेरे बच्चों ने मेरी आँख से आँसू पोछे
बाबा मैं मज़लूमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ
6
खून ता हशर रुलायेगा मुझे ये सदमा
बाबा मैं भूल नही सकती कभी वो लम्हा
मेरा मासूम पिसर साथ था मेरे उसदम
जब सितमगर ने मेरे रुख पे तमाचा मारा
बाबा मैं मज़लूमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ
یا ابتاہ یا رسول اللہ(ص)ھٰکذا یفعل بحبیبتک و ابنتک آہ یا فضّة الیک فخذینی فقد واللہ قتل ما فی احشائی من حمل
हाये वो हशर का हंगाम क़यामत का समाँ
जिस घड़ी उठने लगा जलते हुये दर से धुऑं
मैंने दर थाम लिया
की तड़पकर ये फोगां
रहम खाओ लोगों
मेरे बच्चे हैं यहाँ
मेरी फरियाद किसी ने न सुनी
यक ब यक टूट पड़े दर पे शकी
ठोकरें मार के दरवाज़ा गिराया मुझपर
बाबा जिस वक्त गिरा आपकी बेटी पे दर
उस पे चल चल के गुज़रने लगे वो अहले शर
बाबा मैं रोती रही चीखकर कर कहती रही
मेरी इमदाद करो दर्द है हद से सेवा
लुट गया मेरा जहाँ
मेरा मोहसिन न रहा
मुझको कोई न बचाने आया
मेरी नज़रों में अंधेरा छाया
चूर ज़ख्मों से हुई पसलियाँ टूट गयी
वार कुनफ़ुज़ ने किया उँगलियाँ टूट गयी
7
मेरी नज़रों ने क़यामत का वो मंज़र देखा
देखकर जिसको लरज़ उट्ठा कालेजा मेरा
मौत था आपकी बेटी के लिये वो लम्हा
जब पड़ा गर्दने हैदर में रसन का फंदा
बाबा मैं मज़लूमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ
8
आज जिस वक्त नज़र सुये बक़ी जाती है
बेकसी बिन्ते नबी की हमे तड़पती है
अये नदीम आज भी वीरान किसी तुर्बत से
एक बेटी की ये पुरदर्द सदा आती है
बाबा मैं मज़लूमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ
तमाम शुद
Access:-
Baba mai mazlooma hun mai fatima hun
बाबा मैं मज़लूमा हूँ मैं फ़ातेमा हूँ (स.अ.)
Anjuman sipah-e-hussaini
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