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वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 19.12.17, अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा, भारत
प्रसंग:
सम्मान के क्षीण होने पर, धन के नष्ट हो जाने पर, अतिथियों के विमुख चले जाने पर, बंधुवर्ग के नाश हो जाने पर, परिजनों के चले जाने पर और धीरे-धीरे युवावस्था के ढल जाने पर बुद्धिमान पुरुष का यही कर्तव्य है, कि वह भी जाह्नवी के जलकणों से पवित्र हिमालय पर्वत की किन्हीं गुफाओं में वास करे।
~ वैराग्य शतकम्, श्लोक संख्या ३०
~बोध की उत्पत्ति का सही समय क्या है?
~बोध और वैराग्य में क्या सम्बन्ध है?
~बोध कैसे पाएं?
~वैराग्य का सही समय क्या?
~वैराग्य का असली अर्थ क्या है?
~क्या वैराग्य मिलना ईश्वर की कृपा है?
संगीत: मिलिंद दाते
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