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खेसारी लाल प्रारंभ से ही लोक गायक के साथ-साथ एक अच्छे नृतक भी रहे हैं । शुरुआत में उन्हें भोजपुरी गायक बनने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस कार्य के लिये पैसो का होना बहुत जरुरी था। पैसों को इकट्ठा करने के लिए उन्हें लिट्टी चोखा बेचना पड़ा । [4] कुछ सालों बाद उन्होंने भोजपुरी एल्बम में गाना शुरू किया। जिससे उन्हें उत्तर प्रदेश, बिहार व झारखण्ड और जहाँ भोजपुरी बोली जाती है, वहाँ उनके गीतों को बेशुमार प्यार मिला। उन्होंने सैकड़ों भोजपुरी हिट गीत गाए पियवा गए रे हमर सऊदी रे भौजी, सैयां अरब गइले न और सैयां आइबा की न आइबा उनके प्रसिद्ध एल्बम गीत है।उनके भोजपुरी गाने के दीवाने आज पूरी दुनिया के कई जगहों पर है जहां लोग भोजपुरी गाना सुनना पसंद करते हैं और यूट्यूब जैसी प्लैटफॉर्म पर मिलियन में देखा जाता है।[5]