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यह भजन नयी तर्ज मे गाया गया है जो जम्भसार -साहित्य के प्रकरण से तैयार किया गया है।जिसमे गुरू जांभोजी ने किसको कब कहां कहां शब्दवाणी का उपदेश दिया ,का विस्तार से "बीकाणैरी धरती मे वैदवाणी कुण बोल्या "इसी भजन मे शानदार जिक्र किया है। गायक कलाकार भारमल गोदारा सादूलकीढाणी एवं विकास मांजू खैतासर जुगलबंदी मे। रचनाकार -भारमल गोदारा