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प्रियजन,
श्री गुरु रविदास जी दयामेहर कर चेताह रहे हैं 'बीति आउ भजनु नहीं कीन्हा' कि दिनों-दिन उम्र बीती जा रही है लेकिन भजन भाव नहीं किया, कुल-मालिक की रचनात्मक शक्ति यानी नाम का सुमिरन नहीं किया। नाहिं प्रभु के चरणों में मन रमया कि लीन हुआ, उलट इसके नश्वर शरीर संग प्रीत ही नहीं बढ़ाई बल्कि दृढ़ भी की।
गुरुदेव आगाह कर रहे हैं कि इस शरीर को त्यागकर कूच करने की बारि कि समय आने पर कोई भी सहाय नहीं होगा।🙏