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धनपत राय श्रीवास्तव जो मुंशी प्रेमचंद जी के नाम से जाने जाते हैं, वह हिंदी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार एवं विचारक थे। उन्होंने प्रेम आश्रम, सेवा सदन, रंगभूमि, निर्मला ,गबन, कर्म भूमि गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन पूस की रात पंच परमेश्वर, दो बैलों की कथा ,बूढ़ी काकी, आदि 300 से अधिक कहानियां लिखी। उनमें से अधिकांश हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुई। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख हिंदी और उर्दू पत्रकांव जमाना ,सरस्वती माधुरी, मर्यादा, चांद ,सुधा आदि में लिखा उन्होंने हिंदी समाचार पत्र जागरण साहित्यिक पत्रिका तथा हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। जीवन के अंतिम दिनों तक वह साहित्य सृजन में लगे रहे
यह कहानी मुंशीजी के संग्रह में से एक है।
उम्मीद है आप सबको यह कहानी और उसका वाचन पसंद आएगा
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