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#acharyaprashant
वीडियो जानकारी: 10.02.2024, गीता समागम, ग्रेटर नोएडा
प्रसंग:
वीतरागभयक्रोधा मन्मया मामुपाश्रिताः।
बहवो ज्ञानतपसा पूता मद्भावमागताः ।।१०।।
~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 4, श्लोक 10
क्यों मन में विषय बैठाते हो
खुद घर में चोर घुसाते हो
ज्ञान से मन को शुद्ध करें
कृष्ण उनके हैं जो युद्ध करें
~ आचार्य प्रशांत द्वारा सरल काव्यात्मक अर्थ
अर्थ:
विषयासक्ति, भय और क्रोध से रहित होकर, मुझ ही में मन लगाकर और मेरा ही आश्रय लेकर ज्ञान और तप के माध्यम से पवित्र होकर बहुत सारे, अनेक लोग मेरा वास्तविक रूप या सत्य प्राप्त कर सके हैं।
दास कबीर जतन करि ओढी,
जस की तस धर दीनी चदरिया ॥
~ संत कबीर
~ अपवित्रता क्या है?
~ क्या एक नवजात शिशु अज्ञानी होता है?
~ ज्ञान और तप में क्या भेद है?
~ तपस्या का वास्तविक अर्थ क्या है?
~ क्या बच्चे मासूम होते हैं?
संगीत: मिलिंद दाते
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