Badhai Folk Dance Of Madhya Pradesh मध्य प्रदेश के बधाई लोक नृत्य

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मध्य प्रदेश के बधाई लोक नृत्य
लोक नृत्य बधाईबधाई मध्य प्रदेश के लोकप्रिय लोक नृत्यों में से एक है, जो मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में विशेष रूप से आम है। प्राकृतिक आपदाओं और बीमारियों से लोगों की रक्षा करने और शादियों जैसे खुशी के अवसरों पर उनका आशीर्वाद लेने के लिए देवी शीतला को धन्यवाद देने के लिए बधाई दी जाती है। और प्रसव। बुंदेलखंड में अधिकांश लोग देवी शीतला की पूजा करते हैं, बाढ़, महामारी जैसी आपदाओं के दौरान लोग देवी से तत्काल राहत और अपने प्रिय के स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं। जब आशीर्वाद की वर्षा की जाती है और इच्छा पूरी होती है तो पुरुष और महिला देवी शीतला के सामने अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एक विशिष्ट ताल के साथ नृत्य करते हैं। इस विशेष ताल को बधाई के रूप में जाना जाता है, जिससे इस लोक नृत्य को अपना नाम मिला है। बधाई नृत्य में जानवर भी हिस्सा लेते हैं और कई गांवों में इस तरह के प्रदर्शनों में घोड़ी (मादा घोड़े) देखी जाती हैं।
बधाई नृत्य में प्रयुक्त वाद्य यंत्र धापला, टिमकी, लोटा, रंतुला और अलगोजा हैं।
बधाई नृत्य की वेशभूषा :-
बधाई नृत्य के लोकप्रिय कलाकार और समूह:-
बधाई नृत्य की तस्वीर:-
बधाई नृत्य के वीडियो :
निमाड़ क्षेत्र के लोक नृत्य
1. गणगौर नृत्य
-गणगौर निमाड़ी जनजीवन का प्रमुख नृत्य है यह नृत्य मुख्य रूप से गणगौर त्यौहार के 9 दिनों के दौरान किया जाता है।
-यह नृत्य निमाड़ क्षेत्र में गणगौर के अवसर पर उनके देवता राणुबाई और धनियार सूर्य देव के सम्मान में की जाने वाली भक्ति का एक रूप है।
-गणगौर में दो तरह के नृत्य होते हैं एक झालरिया दूसरा झेला।
2. काठी नृत्य
-काठी निमाड़ अंचल का पारंपरिक लोक नृत्य है यह पार्वती की तपस्या से संबंधित मात्र पूजा का नृत्य है।
-काठी का प्रारंभ देव प्रबोधिनी एकादशी से और विश्राम महाशिवरात्रि को होता है।
3. फेफरिया नृत्य
-फेफरिया पारंपरिक समूह नृत्य है इसमें स्त्री और पुरुष जोड़ी बनाकर गोल घेरे में नाचते हैं फेफरिया वाद्य के कारण इस नाच का नाम फेफरिया नृत्य पड़ा।
-फेफरिया नृत्य मुख्यतः विवाह के अवसर पर किया जाता है।
4. मांडल्या नृत्य
-मांडल्यालिया एक पारंपरिक समूह नृत्य हैं इसमें एक पुरुष ढोल बजाता है संगत में कांसे की थाली का तीव्र स्वर नृत्य को अधिक उत्तेजक बनाता है।
-मांडल्या नाच केवल महिला परक है ,महिलाएं ढोल की थाप पर जल्दी-जल्दी गति बदलती है तथा हाथ और पैरों की विभिन्न मुद्राओं को प्रदर्शित करती हैं।
5. आडा़-खडा़ नृत्य
-निमाड़ क्षेत्र में जन्म, मुंडन और विवाह के अवसर पर कई नृत्य किए जाते हैं इन नृत्यों को आडा़ या खड़ा नाच कहा जाता है।
-दो-चार महिलाएं घूंघट डाले झुककर हाथ और घुटनों को नृत्य गतियों के अनुरूप लय के साथ ऊपर-नीचे और कमर पर ले जाती है।
-ढोल इस नृत्य का मुख्य वाद्य है।
6. डंडा नृत्य
-चैत्र वैशाख माह की रातों में विशेष रूप से गणगौर पर्व के अवसर पर निमाड़ के किसान डंडा नृत्य करते हैं।
-डंडा नृत्य समूह में किया जाने वाला पुरुष परक नृत्य है।
-डंडा नृत्य के प्रमुख वाद्य ढोल और थाली हैं।
मालवा क्षेत्र के लोक नृत्य
मालवा क्षेत्र के लोक नृत्य
1. मटकी नृत्य
-मटकी, मालवा का एक समुदाय नृत्य है जिसे महिला विभिन्न अवसरों विशेषकर सगाई ,विवाह पर नृत्य करती है।
-ढोल या ढोलक की एक खास लय जो मटकी के नाम से जानी जाती हैं, उसकी थाप पर महिलाएं नृत्य करती हैं मटकी ताल के कारण इस नृत्य का नाम मटकी नृत्य पड़ा।
2. आड़ा-खड़ा रजवाड़ी नृत्य
-आडा़-खडा रजवाड़ी नृत्य की परंपरा किसी भी अवसर पर समूचे मालवा में देखी जा सकती हैं।
-ढोल के पारंपरिक कहरवा-दादरा आदि तालों पर आडा़-खडा रजवाड़ी नाच किया जाता है।
बघेलखंड क्षेत्र के लोक नृत्य
बघेलखंड क्षेत्र के लोक नृत्य
1. बिरहा अथवा अहिराई नृत्य
-बघेलखंड में बिरहा गायन के साथ नृत्य वृत्ति भी है। बिरहा नृत्य का कोई समय निश्चित नहीं होता जब मन चाहे तब मौज में बिरहा किया जा सकता है।
-विशेषकर सगाई शादियों और दीपावली में बिरहा नृत्य अवश्य होता है।बघेलखंड क्षेत्र के लोक नृत्य
1. बिरहा अथवा अहिराई नृत्य
-बघेलखंड में बिरहा गायन के साथ नृत्य वृत्ति भी है। बिरहा नृत्य का कोई समय निश्चित नहीं होता जब मन चाहे तब मौज में बिरहा किया जा सकता है।
-विशेषकर सगाई शादियों और दीपावली में बिरहा नृत्य अवश्य होता है।
Folk Dance Badhai : Badhai is one of the popular folk dance of madhya pradesh, which is specialy very common in bundelkhand region of madhya pradesh.Badhai is performed to thank Goddess Shitala for safeguarding people from natural calamities and ailments and to seek her blessings on happy occasions like weddings and childbirth. The majority of the people in Bundelkhand worship Goddess Shitla, during calamities like floods, epidemics people pray to the Goddess for immediate relief and recovery of their beloved. When blessings are showered and wish is fulfilled male and female dance before the Goddess Shitla with a typical rhythm to express their gratitude. This particular rhythm is known as Badhai from which this folk dance has acquired its name. Animals also take part in Badhai Nritya and in many villages, mares (female horses) are seen at such performances.
Musical Instrument Used In Badhai Dance :-The musical instruments used are Dhapla, Timki, Lota, Rantula & Algoja.
Costumes of Badhai Dance:-
Popular Artist & Groups of Badhai Dance:-
Picture of Badhai Dance:-
Video's of Badhai Dance :

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