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बालसंस्कृतम् (प्रथम भाग) नामक यह पुस्तक उत्तराखंड राज्य के समस्त सरकारी स्कूलों में लगती है। यह पुस्तक संस्कृत के जानकारों ने ही बनायी है अतः संस्कृत के किसी जानकार विद्वान् के द्वारा इसे पढ़ाया जाना आवश्यक है। मैं संस्कृत व्याकरण का जानकार हूँ। मैं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग में व्याकरण विद्याशाखा के अन्तर्गत सहायकाचार्य पद पर कार्यरत हूँ। मेरी बच्ची राजकीय प्राथमिक विद्यालय देवप्रयाग (टिहरी गढ़वाल) कक्षा-3 में पढ़ती है। अतः मैं उसे पढ़ाते हुए ये वीडियो यहाँ भेज रहा हूँ। जिससे मेरे परिश्रम का लाभ हर एक छात्र तक पहुँच सके।
बालगीतम् नामक इस प्रथम पाठ में माता पिता, गुरु और ईश्वर के प्रति नमस्कार बताया है। जिसके माध्यम से सदाचार की शिक्षा दी है।
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