आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया। फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:- आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।