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वर्षा ऋतू सुहावना मौसम है पर अग्निमांद्य होने के कारण सबसे ज्यादा बीमारीया इसी सीजन में होती है | सर्दी, जुकाम, पित्त, पेट की बीमारीया होती है | छोटे बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिला इन्हे ये बीमारीया बहुत जल्दी होती है | आयुर्वेदानुसार हर एक ऋतू के लिये कुछ नियम बताए गये है | जिनका पालन करने से बीमारीया नही होती | जैसे की पहेले खाया हुआ अन्न पचने के बाद ही दुसरा खाना खाना, खाने में एक साल गेहू, चावल का इस्तेमाल, मुंग दाल का ज्यादा इस्तेमाल, बाहर का, तला हुआ न खाना | इसके साथ हीआयुर्वेद में ऋतू नुसार जिस दोष का प्रकोप होता है उसके शमन के लिये पंचकर्म बताया गया है | वर्षा ऋतू में यह काफी प्रभावशाली माना जाता है | इस से वात दोष का शमन होता है बताया गया है | इस प्रकार नियम पालन और पंचकर्म करने से हम स्वस्थ रह सकते है |
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डॉ. राधिका आशिष पुंड. (आयुर्वेदाचार्य, स्त्रीरोगतज्ज्ञ, पंचकर्म तज्ज्ञ)
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