हमलोग पिछले 10 वर्षो लगातार दार्जिलिंग से हर साल जाते है। हम लोग किंटल के हिसाब से पेड़ा खरीदते है। एक बार यहां से आचार खरीदा था लगभग 2 kg किसी ने नहीं खाया। खाली नमक कोई मसाला का स्वाद नहीं सिर्फ बेईमानी। सारा आचार फेक दिए।आज हमलोग जितने भी लोग जाते है कोई भी आचार नही खरीदता है। अगर ईमानदारी से आचार बनाता और दाम बढ़ा के भी बेचता तो कल्पना कीजिए कि कितना बिकता।