कुछ फूहड़ तथा हल्का फुल्का मनोरंजन ' मगर मन बहलाने व हँसाने के लिये अच्छा ही है। क्योंकि आज की भागदौड़ भरी जीवन की रफ्तार में आदमी को या यूँ कहें कि मनुष्य को इतनी व्यस्तता है कि उसे हँसने हँसाने की फुर्सत नहीं है। राम भोग " बनारसी " असीघाट वाराणसी / 04 06 2024