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गीत - भोजपुरिया हो
रचनाकार - अवधेश पाण्डेय
आवाज - संजय सिंह
बहुत पहिले के बात ह, सिवान के रघुनाथपुर के पंजवार के बिस्मिल्लाह खान संगीत महाविद्यालय के गुरूजी एह गीत के गवले रहनी । एह गीत में भोजपुरी के संवैधानिक मान्यता के ले के भोजपुरिया लोगन के जगावे वाली बात कहल गइल बा । एक हाली एह गीत के पढीं सभे -
भइया भोजपुरिया तूँ काहें आज उंघाइल बाडs
आपन धरम भुलाइल बाडs हो ।
भोजपुरी तोहार माई , काहें गइलs तूँ भुलाइ
अनकर माई देख के काहें अगराइल बाडs
आपन धरम भुलाइल बाडs हो ।
जे बा सभकर महतारी , ओके आरती उतारीं
बाकिर अपना माई से काहें खिसियाइल बाड़s
आपन धरम भुलाइल बाडs हो ।
भोजपुरी के बढावs अपना माटी के बोली में गावs
जे मे लरिकइयें से तू हूँ लपेटाइल बाड़s
आपन धरम भुलाइल बाडs हो ।
एकर जोड़ ना कतहीं बाटे , केहू कतहीं खोजे ताके
अंखिया खोल के देखs काहें भकुआइल बाड़s
आपन धरम भुलाइल बाडs हो ।
भोजपुरी के माटी बलवान , असियो बरिस में जागे शान
देख लs कुंअर सिंह के , काहें ठिठुवाइल बाडs
आपन धरम भुलाइल बाडs हो ।
घर-घर में जोति जलावs , भोजपुरी अभियान चलावs
सेतिहे बइठ के तूहूँ काहें जहुआइल बाड़s
आपन धरम भुलाइल बाडs हो ।
भोजपुरी अइसन भाषा , भइया दोसर ना भेटाइ
खुल के चरचा करs काहें भकुआइल बाडs
आपन धरम भुलाइल बाडs हो ।
जुट के हो जा तइयार , काहें मानी ना सरकार
एके स्वर में बोलs काहें चुल्हिये में घुसियाइल बाड़s
आपन धरम भुलाइल बाडs हो ।