Рет қаралды 20,701
भारतीय भाषाओं में राम
राम के वृत का आधार वाल्मीकि रामायण स्मृति का अनिवार्य हिस्सा है। भारतीय संस्कृति और जन-मन की आंतरिक संरचना के ताने-बाने को रचने में रामकथा की भूमिका सर्वाधिक है। वर्तमान परिदृश्य में रामचरितमानस मानवीय मूल्यों के रूप में विश्व का आदर्श है।
राम ने अपने जीवन से लोक संवेदना को समृद्ध किया तो लोक ने रामकथा को युगानुरूप विकसित किया।
आदि कवि वाल्मीकि की रामायण के बाद ही साहित्य और समाज में राम का परिचय आया।संस्कृत के साथ अन्य भारतीय भाषाओं में भी रामायण को स्त्रोत के रूप में ग्रहण कर इसे आदर्श रूप में स्वीकार किया गया ।जहां ऋषि-मुनियों, संतों, आचार्यों और कवियों ने अलग-अलग भाषाओं में राम को जन-जन तक पहुंचाया वहीं काव्य, नाटक, कथा और अन्य विधाओं के माध्यम से विपुल साहित्य की रचना हुई।
पुराणों में राम को विष्णु का अवतार माना गया है। कुबेरनाथ राय ने रामायण महातीर्थम पुस्तक में राम को सर्वाधिक व्यापक और संकल्प-संवेग-संपन्न नायक कहा है।
कामिलबुल्के-रामकथा अनेक रूप धारण करते हुए शनैःशनैः सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति में व्याप्त हो गई है।
तो राम नाम की महिमा पर तुलसीदास जी कहते हैं -
राम एक तापस तिय तारी। नाम कोटि खल कुमति सुधारी।।
वैष्णव भक्ति के विकास क्रम में राम भक्ति, दक्षिण के आलवार संतों की वाणी के माध्यम से प्रस्फुटित हुई। ये आलवार संत संख्या में 12 थे। काठकोप और नकमालवार राम की पादुका के अवतार माने जाते हैं।
राम के वृतग्रंथ बांग्ला भाषा में रामायण, तमिल की कंब- रामायण, तेलुगू में रंग-रामायण और भास्कर रामायण है। गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस ने विश्व के कोने-कोने में राम के चरित को पहुंचाया।
तिब्बत की तिब्बती रामायण
तुर्किस्तान की खोताणी रामायण
इन्डोनेशिया की कबिन रामायण
जावा की सैरीराम
इंडो चायना की रामकेर्ति
बर्मा की यूतोकी रामायण
थाईलैंड की रामकियेन
राम का प्रभाव विश्व भर में व्याप्त है।
राम शब्द रम धातु से बना है -जिसका अर्थ है-रमण/निवास
राम को राष्ट्र का प्रतीक मानते हुए- र अर्थात- राष्ट्र, म अर्थात मंगल यानि राष्ट्र का मंगल।
राम शब्द रम धातु से बना है -जिसका अर्थ है-रमण/निवास
राम को राष्ट्र का प्रतीक मानते हुए- र अर्थात- राष्ट्र, म अर्थात मंगल यानि राष्ट्र का मंगल।
मनु के वंशज महाराज इक्ष्वाकु के कुल में जन्मे राम सूर्यवंशी, चक्रवर्ती सम्राट दशरथ के और माता कौशल्या के सुपुत्र थे।
राम का जन्म त्रेतायुग में चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन हुआ इस तिथि को रामनवमी का पर्व मनाया जाता है।
राम के चरित्र की विशेषताएँ-
अपूर्व मेधावी
विद्वान
परोपकारी
धर्मात्मा
ज्ञान-विज्ञान में पारंगत
नीतिकुशल
तेजस्वी
जितेंद्रिय
पराक्रमी
दीनबंधु
प्रजावत्सल
युद्ध एवं नीतिकुशल
शरणागत
शास्त्रों के ज्ञाता
युद्ध एवं नीति कुशल
प्रतिभा सम्पन्न
वचन पालक
मातृभूमि से प्रेम
संस्कृति के संरक्षक
धैर्यशील
पुरुषोत्तम
#ramayan #ram #adipurush #ramorbharat