जिस नियती की चर्चा कृष्ण कर रहे है खुद उस नियती के नियम में बंधे है । एक मजदूर रोज कर्म करता है और रोज खाता है । यदि फल की ईच्छा छोड़ दे तो क्या होगा क्योंकि मालिक मजदूरो की मजदूरी मारने मे भी चालाक होते है । इससे अलग बात यह है कि पहले जीव आया या कर्म अथवा दोनो एक साथ ।