Aapko koti koti naman guruji.....mere sab sanka mit gayi aap dhanya ho ......
@pankajsutradhar6418 Жыл бұрын
Joy goru har har mahadsve I love you so much 🙏🙏🙏🙏
@prabhachowdhary6366 Жыл бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@balaahujabhakti1814 Жыл бұрын
Jai Ho Bala Ji ki Jai
@pachabhaijamod230410 ай бұрын
ખુબ સરસ શબ્દ આકાશ કા ગુણ હે
@JitendraBrahmbhatt-h6n7 ай бұрын
Adbhut gyaan....
@rukmanisuthar86832 жыл бұрын
Samj aa gaya dhanwad ji
@ramankumarkapila391111 ай бұрын
Hariom. Guruji
@dhavalsheth5302 Жыл бұрын
Solid ho prabhu aap
@kundannakrani38572 жыл бұрын
Sadar pranam 🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹
@amitapanda22432 жыл бұрын
Koti koti naman
@aparokshanubhuti.ratishanand Жыл бұрын
ॐ श्री परमात्मने नमः
@DevendraSingh-kx3jj2 жыл бұрын
प्रभु को शत-शत नमन बहुत सुंदर अमृत वर्षा जय हो प्रभु आपकी सदा जय हो
@pradeepsharmapagal54692 жыл бұрын
Jai ho guru ji
@parmjitkaur13192 жыл бұрын
Guruji aap ji bahut hi acche ho ji bahut Achcha Laga Hamen aap ji ke Vichar sunkar bilkul Sacchi Baat ji beautiful aap bahut acche ho ji
@smritirekhajaroli97547 ай бұрын
प्रभु प्रणाम आकाश आकाश है वह जड़ है उसमें चेतना नहीं है । चैतन्य आकाश से भिन्न ज्ञान स्वरूप है ।वो में हूं ।में ही सच्चिदानंद स्वरुप हूं ।सच्चिदानंद स्वरुप का अनुभव ही परमात्मा का अनुभव है। चैतन्य आत्मा आकाश के समान अरूपी है लेकिन आकाश में चेतना नहीं है ,दोनों एकदम भिन्न हैं जी।ऐसा अनुभव होता है ।
@samarpanbramhgyankenderbyr43007 ай бұрын
सही है, इसी मे स्थित रहो, जो जड़ आकाश कह रहे हो वो बुद्धि का भेद है, बुद्धि उसको जड़ कहती है, लेकिन दोनों एक ही है, आकाश ही चैतन्य है, जो हममे आकाश तत्व है वो ही चैतन्य है जो की हम खुद है। ये बुद्धि से परे का अपरोक्ष अनुभव है।
@lalitkishore3012 жыл бұрын
Very good advice
@Ankit.G.882 жыл бұрын
नमस्कार जी, आपने बहुत अच्छा समझाया और मेरा एक साधनात्मक प्रश्न है कि ध्यान करते समय कभी कभी ऐसी अवस्था आती है कि मैं कहाँ बैठा हूँ, दिन है या रात इसका भी बोध नहीं रहता... कृपया बताएं कि यह कौन सी अवस्था है और इस अवस्था को देर तक कैसे बनायें रखें ?
@samarpanbramhgyankenderbyr43002 жыл бұрын
ये उच्च अवस्था है, इसको ही शून्य मे प्रवेश कहते है, अगर अंदर कुछ दृश्य दीखते है तो निराकार आकाश मे स्तिथ रहना है, लेकिन अनुभूति ये करनी है की सब कुछ देख कौन रहा है, जो देख रहा है वो तुम हो चैतन्य।
@Ankit.G.882 жыл бұрын
@@samarpanbramhgyankenderbyr4300 और भी बताएं
@Ankit.G.882 жыл бұрын
क्या इस शून्य के आगे जाया जा सकता है?
@samarpanbramhgyankenderbyr43002 жыл бұрын
@@Ankit.G.88 इसके आगे बस तुम ही तुम हो, सब जगह तुम ही तुम infinite you
@Ankit.G.882 жыл бұрын
@@samarpanbramhgyankenderbyr4300 धन्यवाद
@bhupinderkaur6482 жыл бұрын
Akaash mein hi leen hona h yhi chaitny h thanks a lot prabhuji
@devendarkumar114610 ай бұрын
साक्षी से परे क्या है
@samarpanbramhgyankenderbyr430010 ай бұрын
साक्षी
@prajapatijemalbhai57502 жыл бұрын
Namste Guruji me chetn me thir ho gay hu ab age kaya hogan mera margdarsan kigeye
@samarpanbramhgyankenderbyr43002 жыл бұрын
बस यही होना था आपको, आगे भी चैतन्य ही रहोगे, इसके आगे मोक्ष है, निर्बाण है।
@aparokshanubhuti.ratishanand Жыл бұрын
ॐ श्री परमात्मने नमः
@bhupinderkaur6482 жыл бұрын
Boond smaana sunder mein smz aaya tremendous effective video thanks a lot
@Jaynarayangoswami2 жыл бұрын
आकाश के संबंध में आपने जो कहा है वो ग़लत है। आकाश ब्यापक है, सर्वत्र है, सदैव है, ठीक है लेकिन आकाश चैतन्य नहीं है। क्यों कि आकाश स्वत: सिद्ध नही होता। दूसरी बात सुसुप्ति में आकाश कहां होता है। आपके विचार निरंकारी मिशन से मिलते हैं। आकाश यदि चैतन्य और आनंद मय है तो उसकी अभिव्यक्ति कैसे है?
@samarpanbramhgyankenderbyr43002 жыл бұрын
देखो इसी को समझना है की आकाश चैतन्य है। आकाश की चेतन्यता हमारे अन्दर भी अपरोक्ष अनुभव मे ही आती है, जो अन्दर आकाश है वो ही बाहरी आकाश है, जिसने आकाश की चेतनता का अनुभव कर लिया उसने आत्मा का अनुभव कर लिया, आकाश कोई तत्व नहीं है, चेतन्य है तभी तो सब तत्व इसी से प्रगट होते है और इसमें लीन हो जाते है। इसको कहते है, अन्दर बाहर एक ही जानो। निरंकारी भी आकाश को तत्व ही मानते है। आकाश को चेतन्य कोई नहीं मानता। सब का अपना अनुभव है। उसकी अभिव्यक्ति अन्दर होती है की मै चैतन्य आकाश हुँ। ससुप्ति मे कुछ अनुभव नहीं होता, ये तो जाग्रत मे ध्यान मे अन्दर का अनुभव है, ऐसे तर्क से कुछ नहीं समझ आना, ध्यान लगाओ फिर अपनी और आकाश की चेतन्यता का अनुभव होगा। अपनी धारणा न बनाओ। अनुभव करो।
@samarpanbramhgyankenderbyr43002 жыл бұрын
सुसुप्ति मे सब कुछ अंतर आकाश मे ही लीन हो जाता है और जाग्रत मे प्रगट हो जाता है। ये सब गहरी अनुभव की बात है। बुद्धि का विषय नहीं है।
@Jaynarayangoswami2 жыл бұрын
आकाश है,इसकी सिद्धि कौन करेगा? आकाश है क्या?
@samarpanbramhgyankenderbyr43002 жыл бұрын
@@Jaynarayangoswami यही तो अपरोक्ष अनुभव है, चेतन्य का, उसकी सिद्धि बुद्धि से नहीं समझी जा सकती, बुद्धि तर्क ही करती रहती है और चेतन्य आकाश से ही प्रगट हुई है माया रूप.
@Jaynarayangoswami2 жыл бұрын
@@samarpanbramhgyankenderbyr4300 आकाश कहते किसे हैं? आकाश माने क्या
@bhupinderkaur6482 жыл бұрын
Skyis limitless shuny hi poorn h kya yeh theek smza meine comment mein btaaye prabhuji
@samarpanbramhgyankenderbyr43002 жыл бұрын
शून्य ही पूर्ण है, सही समझा, चैतन्य ही पूर्ण है,
@GeetaSharma-iw5qi2 жыл бұрын
चेतना और चैतन्या में क्या फर्क है कृपया समझाएं
@samarpanbramhgyankenderbyr43002 жыл бұрын
जैसे सूर्य और उसकी किरण, चेतन्य सूर्य है और किरण चेतना है। चैतन्य शिव है और चेतना शक्ति है।
@Jaynarayangoswami2 жыл бұрын
शब्द मात्र का फर्क है। वस्तुत: कुछ भी नहीं।
@girishbhaibhagat1136 Жыл бұрын
अपनी अंदरकी चेतना को कैसे पहचाने
@pradeepsharmapagal54692 жыл бұрын
Guru ji Aapna phone number bhi send karo
@samarpanbramhgyankenderbyr43002 жыл бұрын
आप अपना नम्बर मेरी मेल id पर send कर दे, मै बात कर लूँगा,।
@parmjitkaur13192 жыл бұрын
Very nice ji bahut Pyare vichar ji thank you aap ji ka ji bahut Achcha Laga Hamen ji Guru Ji