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भरत-राम मिलन, चित्रकूट
विवरण: यह दृश्य उस ऐतिहासिक और भावुक क्षण को दर्शाता है जब भरत ने राम से चित्रकूट में मुलाकात की थी। यह महाकाव्य रामायण का एक प्रमुख प्रसंग है, जब राम को वनवास हुआ और भरत उन्हें अयोध्या लौटने के लिए मनाने चित्रकूट आए। भरत राम के प्रति अपनी अगाध भक्ति और कर्तव्यनिष्ठा प्रकट करते हैं, जबकि राम उन्हें धर्म और कर्तव्य पालन का मार्ग बताते हैं। भरत राम के चरणों में अपने प्रेम और आदर से झुकते हैं, और राम उन्हें यह कहते हुए मना कर देते हैं कि वह पिता की आज्ञा का पालन करेंगे। अंततः भरत राम की चरण पादुका लेकर वापस लौटते हैं और अयोध्या का शासन उनकी अनुपस्थिति में करते हैं।
यह घटना भाईचारे, भक्ति, त्याग, और धर्म पालन का प्रतीक मानी जाती है।