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भवन में ब्रह्मस्थान के गुण,दोष एवं उपाय,
देखें शास्त्रोक्त,व्यवहारिक पूर्ण विवरण ।
@upendravasturesolve5368
किसी भी भवन का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है
ब्रह्मस्थान या ब्रह्मस्थल।
"ब्रह्मा" का स्थान जो उत्पन्न कर्ता(Creator) हैं,
रचयिता हैं, उन्नति, विकास, उत्पत्ति का स्थान।
जब यह असन्तुलित होता है तो,
भवन में,भवन स्वामी के जीवन में असंतुलन आ जाता है।
"ब्रह्मस्थान स्थितं स्तम्भ: स्वामीनस्तु विनाशकः।"
यह सूत्र वास्तुशास्त्र के प्रसिद्ध ग्रँथ मयमतम का है।
अर्थात---
ब्रह्मस्थल पर स्थित स्तम्भ(खम्भा, पिलर)भवन स्वामी का
विनाश करता है।
परन्तु कैसे?????
"गृहमध्ये कृतं स्तम्भ ब्रह्मणों वेधमुच्यते।
रोगा नानाविधा शोका जायन्ते तत्र नित्यशः।।
यह सूत्र वास्तुशास्त्र के प्रसिद्ध ग्रँथ विश्वकर्मा प्रकाश का है।
अर्थात--- गृह(घर)के ठीक बीच में स्तंभ बनाने से
ब्रह्मस्थल वेधित होता है।
जिसका प्रभाव के बारे में बताया गया है कि-
उस भवन में अनेक प्रकार के रोग,शोक,परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कैसे एवं उपाय क्या करें?????
जानने के लिए वीडियो देखें!
आपका ज्योतिष वास्तु सलाहकार उपेंद्र कुमार।
@upendravasturesolve5368
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