Рет қаралды 2,371
प्राकृत-पालि - धम्मलिपि के पुन: प्रवर्तन अन्तर्गत भाषा विज्ञान की ऐतिहासिक पहल, धम्मलिपि ओगाहन ,धम्मलिपि फाऊंडेशन, धम्मलिपि पब्लिकेशन के माध्यम से आगे बढ़ाई जा रही है ।
साँची दानं पुस्तक का विस्तृत स्वरूप लगभग 740 पृष्ठों में मध्यप्रदेश के लगभग समस्त धम्मलिपि के शिलालेखों को समावेश कर Sanchi Danam Enlarged and Multicoloured
पुस्तक प्रकाशित की गई है ।
साँची और आसपास के क्षेत्र से प्राप्त समस्त शिलालेखों को इस पुस्तक में स्थान दिया गया है ।
पुस्तक में मध्यप्रदेश में सम्राट अशोक द्वारा स्थापित और खोजे गये सभी लघु शिलालेख और लघु स्तंभ लेखों को शामिल किया गया है।
सबसे महत्वपूर्ण इस पुस्तक में शिवपुरी के राष्ट्रीय माधव उद्यान में स्थित छुरैल छाज बौद्ध महाविहार का धम्मलिपि शिलालेख भी शामिल किया गया है । कोतमा का सिलागह शिलालेख भी शामिल है ।
पुस्तक को प्राकृत- पालि हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषा में लिखी गई है ।
तथा इसकी लिपि क्रमश: धम्मलिपि,रोमन और देवनागरी है ।
सभी शिलालेखों के रंगीन छायाचित्रों से पुस्तक सजीव बन पडी है ।
एक आम आदमी से लेकर भाषाविद के लिये यह पुस्तक बहुत महत्त्वपूर्ण है।
जो व्यक्ति, समाज, वर्ग, इतिहासकार, शोधार्थी, पर्यटक, उपासक - उपासिका अपना गौरव पुरातत्त्व के माध्यम से खोजना चाह रहे उनके लिए यह पुस्तक ऑक्सीजन का कार्य करेगी ।
लेखक मोतीलाल आलमचंद्र ने सात वर्ष के गहन शोध के बाद यह यह पुस्तक लिखी है । पुस्तक में लेखक की गहन मेहनत दृष्टिगोचर होती है । यह मानकर चलिए पुस्तक आपको जबरन भारत के गौरवशाली अतीत में ले जाने में सक्षम है ।
740 मल्टीकलर पृष्ठों की हार्डबाउंड
किताब हाथ में आने पर किताब आपको
सस्ती प्रतीत होगी।
हर भारतवासी को यह किताब ख़रीदना चाहिए। इस पुस्तक से आप धम्मलिपि सीखकर , स्वयं सम्राट अशोक के शिलालेख पढ़ सकेंगे और गौरान्वित महसूस कर सकेंगे।
आपके ज्ञान के संचयन को बढ़ाने और घर की लाइब्रेरी के लिए यह पुस्तक स्टेटस सिंबल है ।