माया ईस न आप कहुँ जान कही सो जीव। बंध मोक्ष प्रद सर्व पर माया प्रेरक सीव। माया ईस का उच्चारण जान के द्वारा ही होता है। आत्मा बंधनों से मुक्त है।शिव को प्रेरित करने वाला आत्मा ही था। आत्मा प्राण पाँवर नहीं तो सब शून्य।
@zdayaramyadav18 күн бұрын
को अस जीव जंतु जग माही। जेहि रघुनाथ प्राण प्रिय नाहीं। कौन संसार का ऐसा प्राणी है जिसको प्राण आत्मा स्वांस यह द्रव प्रिय नहीं है। जिसको लोग रघुनाथ राम भगवान कहते हैं ।उनको प्राण प्रिय नहीं था।
@user-personal-plz18 күн бұрын
Ichha ka matlab appse paya. Pranam gharuji
@user-personal-plz18 күн бұрын
Puri jindagi sarir ko jiva se Allag kyo rakhna hai.
@zdayaramyadav18 күн бұрын
जानब तै सबही कर भेदा । जान बताई सब का भेद। जान आत्मा के द्वारा भटक रहा है जीव प्राणी। प्रश्न उत्तर कब तक चलेगा।जब तक आत्मा प्राण पाँवर है।