Anmol Adbhut Atipiyare Satsang Maharaja Shri Ki Jai Ho Jai Ho ❤❤
@राधेराधे-ह8ध21 сағат бұрын
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@rajujadhav390017 сағат бұрын
Narayan Narayan Narayan Narayan 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉..
@braveboy817627 минут бұрын
स्वामी रामसुखदासजी महाराज की पुस्तक *भक्ति और वेदांत * से 👇 शंकराचार्यजीकी दो बातें हमें जँचती नहीं - पहली बात, जीव-ब्रह्मकी एकताके लिये "अहम्" होना जरूरी है। यद्यपि उनका यह अहम् "मैं" न होकर "हूँ" (अहम्-का आधार) है, तथापि अनादिकालसेअहम् का संस्कार पड़ा होनेसे वही अहम् दृढ़ होगा, जो सब भेदोंको उत्पन्न करनेवाला तथा बन्धनकारक है। अतः अहम् होनेसे ही ब्रह्मकी एकता होगी- यह मूल भूल है दूसरी बात, जीव और ईश्वर दोनों कल्पना है। परन्तु इस कल्पना को करनेवाला "कल्पक” कौन है ? अगर जीव कल्पित है तो कल्पना किसकी है और मुक्ति किसकी होती है ? इस प्रश्नका ठीक उत्तर वेदान्तके पास नहीं है