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बुढ़ापा में सुखी रहना है तो 2 काम आज ही छोड़ दीजिए //Motivational Story - Budhape Mein Kaise रहे
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🙏dosto aaj ki is video mein hum janenge...🙏
=जीवन की तीन अवस्थाएँ हैं बचपन जवानी और बुढ़ापा कहा गया है जवानी को देख देख व्यर्थ ही गरबाबें हैं बुढ़ापा और मौत बंदे सभी को आवे हैं बुढ़ापा और मृत्यु शास्वत हैं ये सभी को आनी है सब पर बुढ़ापा भी आता है सबको मृत्यु भी आनी है ये अटल सत्य है इसको कोई झुठला नहीं सकता दोस्तों बुढ़ापा भी सबको नसीब नहीं होता बड़े भाग्य से मिलता है और जो बुढ़ापे में भी सुखी और आनंद से रहता है ऐसे लोग और भी बड़े भाग्यशाली होते हैं बुढ़ापे की अवस्था एक ऐसी अवस्था है जिसमें बहुत सारे परिवर्तन दिखाई देते हैं कुछ लोग जो पहले से ही योजना बनाकर चलते हैं उन्हें बुढ़ापे में कोई कष्ट नहीं होता और जो कोई योजना नहीं बनाते उनके लिए जीवन की इस पड़ाव पर दिक्कतें हो सकती है आज हम इस वीडियो में बुढ़ापे में सुखी रहने के बहुत महत्वपूर्ण तरीके एक कहानी के माध्यम से लेकर आए हैं आज हम इस कहानी के माध्यम से जायेंगे कि कौन सी दो चीजें छोड़ कर और तीन चीजें अपनाकर अब बुढ़ापे में सुखी रह सकते हैं आनंद से अपने बुढ़ापा का समय बिता सकते हैं अगर आप इन बातों को पालन करेंगे तो निश्चित ही आपका बुढ़ापा मस्त और आनंदित होकर बीतेगा ये जानकारी हम सभी के लिए बहुत उपयोगी है आज आप युवा है जवान है तो हमें भी कल इस पराव से गुजरना है अतः ये बातें बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी है इसलिए गुजारीश है कि वीडियो को पूरा और अंत तक देखें तो इससे पहले की आप वीडियो में खो जाए इसे लायक और चैनल को सब्सक्राइब कर ले दोस्तों आपने देखा होगा की बुढ़ापे में बहुत सारे परिवर्तन आते हैं हमारी सारी कर्म इंद्रा ज्ञानेन्द्रिया साथ छोड़ जाते हैं हाथ पांव काम करना बंद कर देते हैं आँखों से कम दिखाई देने लगता है कानों से सुनाई भी कमाता है ऊंचा सुनाई देने लगता है जीभ में स्वाद कड़काए नष्ट होने लग जाते हैं किसी चीज़ में स्वाद नहीं आता है दांत भी साथ छोड़ जाते हैं जिससे बहुत सी चीजों पर मन चलता है लेकिन नहीं खा सकते हैं दांत है ही नहीं स्मृति छीड़ हो जाती है यानी कि याददाश्त कम हो जाती है शरीर की अंदरूनी अंग भी ठीक से काम नहीं करते घर में बच्चे स्वयं निर्णय लेने की स्थिती में आ जाते हैं तो इससे घर में भी बुजुर्गों का महत्व पहले जैसा नहीं रहता चेहरे पर झुर्रियां आ जाती है और खाल सिकुड़ जाती है कमर झुक जाती है कभी कभी तो ऐसा देखने में आता है घर में बेटों की बहुएं आ जाती है तो बुजुर्गों की चारपाई भी घर से बाहर हो जाते हैं तो आप मन में विचार करें कि ऐसी स्थिती में बुजुर्ग क्या सोचता होगा कि जीस घर को मैने इतने मेहनत और लगन से पाइपस जोड़कर बनाया था आज वो ही मुझसे छीन लिया गया सोचो कितना कष्ट होता होगा उन्हें जब वे घर का बुजुर्ग रोटी पानी मांगता है तो बच्चे सुनते नहीं फिर उसे गुस्सा आता है गाली देता है सबसे बड़ा कष्टकारी जीवन तो तब हो जाता है जब पति या पत्नी में से कोई एक बिछड़ जाता है फिर उसका खयाल रखने वाला उसका भावना समझने वाला कोई नहीं रहता सोचो तब हुए कितना अकेला और दुखी महसूस करता होगा परंतु दोस्तों ये कहानी सबकी नहीं है सबके साथ ऐसा नहीं होता कुछ लोग अपने वृद्धा अवस्था को बड़े सुख और आनंद से व्यतीत करते हैं ऐसे लोग क्या योजना बनाते हैं यही हम बताने जा रहे हैं याद रखना दोस्तों पुरुष के जीवन में सबसे अच्छा दोस्त कोई यदि हो सकता है तो वह उसकी पत्नी है और एक स्त्री यानी कि महिला का सबसे अच्छा दोस्त कोई हो सकता है तो वह उसका पति ही हो सकता है कहा जाता है कि जीवन की इस मोड़ पर आकर पति और पत्नी भाई बहन जैसे हो जाते हैं इतने लंबे समय तक एक दूजे के साथ रहते हुए वह एक दूसरे का रूप हो जाते हैं वह एक दूसरे को समझ जाते हैं बिना कहे सुने भी एक दूसरे की इच्छा वह आवश्यकता समझ जाते हैं इस उम्र में आकर दोनों में एक दूसरे की ध्यान रखने की खयाल रखने की भावना समझने की समझ और भी गहरी हो जाती है गया है कि उम्र के इस पड़ाव पर आकर स्त्रियों पति की देखभाल उसी तरह से करता है जीस तरह एक माँ अपने बच्चे की करती है कहा गया है कि ना बेटा निहाल करेगा ना बेटी निहाल करेगी पत्नी से बनाकर रखना यही देखभाल करेगी याद रखना दोस्तों बुढ़ापे में जब लाठी नहीं मिलेंगे तो पति की लाठी पत्नी ही ढूँढ कर देगी और बुढ़ापे में जब चश्मा खो जाएगा तो पत्नी की चश्मा पति ही ढूँढ कर देता है और कोई नहीं आएगा ढूंढने खयाल रखना इसलिए पति को पत्नी का और पत्नी को पति का हमेशा आदर करना चाहिए ये बाहर वाले बाहर बाला जब तक धन बल और पैसा रहेगा तब तक तुम्हारे साथ है अंत में एक दुजे का साथ तुम दोनों को ही देना है बुढ़ापे में व्यक्ति पराधीन हो जाता है एक एक कर सब चीजें उसके हाथ से निकल जाती है ऐसे स्थिती में स्वाभाविक है कि व्यक्ति चिड़चिड़ा हो सकता है गुस्सेल स्वभाव का हो सकता है बहु बेटे नाती पोतों की अपनी अपनी दुनिया होती है सबकी जरूरतें अपनी अपनी होती है कोई किसी की नहीं सुनता सब अपनी अपनी दुनिया में रहते है |
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