अगर हम श्रेष्ट और सरल बनने की कोशिश करें तो अच्छा होगा। हमारी इस कोशिश से हमारी जिंदगी भी सरल हो जाएगी और दूसरों की भी।, जो स्वयं के लिए व्यवहार चाहते हो, वही दूसरों के साथ करो। ज्ञान से समझ को विकसित करो, अहंकार को नही। अपनी गलतियों को स्वीकार करके उन पर काम करो। इंसानियत का धर्म सबसे बड़ा हो। ईमानदारी के गुण को अपनाकर। इस सब को लिखने का ये मतलब नहीं कि में स्वयं को श्रेष्ट मनुष्यों की श्रेणी में रख रहा हूं या ये सारे गुण मुझमें है। लेकिन इतना जरूर बोलूँगा की मेरा रास्ता जरूर यही है।