🙏🏻🙏🏻🙏🏻 श्री १००८ आदिनाथ भगवान बडे बाबा की जय जय जय हो प्रभू अनंत अनंता कोटी बारं बार नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु 🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐
@vaishaligosavi48476 ай бұрын
🙏🏻 पाटणी परिवार को खूब अनुमोदना अनुमोदना अनुमोदना बारं बार 🙏🏻💐
@vaishaligosavi48476 ай бұрын
🙏🏻🙏🏻🙏🏻 णमो लोए सव्वसाहूणं 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐
@prempeeyoosh6 ай бұрын
गुणों की पूजा होनी चाहिए। व्यक्तियों की नहीं। राजनीति से तो कोसों दूर रहना चाहिए।
@jkjain106 ай бұрын
Namostu gurudev; shashvat jain jin shashanam
@SunilKala-i3d6 ай бұрын
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@94250686686 ай бұрын
जैन धर्म की सत्य अहिंसा के बुनियादी सिद्धांत से विश्व के महान संत पुरुष प्रेरणा लेते हैं और हमारे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सचमुच मानवता के महान संत ,महात्मा गांधी ने भी सत्याग्रह और अहिंसा की प्रेरणा जैन धर्म से ग्रहण की थी! मोहन भागवत साहब उस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष हैं ,जिसका एजेंडा हिंदू राष्ट्र है और इसके बारे में कहा जाता है कि महात्मा गांधी की हत्या के होने पर इन्हीं की संस्था हिंदू महासभा अर्थात आरएसएस ने मिठाई बंटवाई थी. देश में भारतीय जनता पार्टी के जन्मदाता और उस पर नियंत्रण करने वाले श्री मोहन भागवत और उनके साथी हैं । अघोषित रूप से यही मान्यता है।यह किस हिसाब से हमारे देश के राष्ट्रीय गौरव हैं? जैन धर्म के इस महान सम्मेलन में ऐसे व्यक्ति को बुलाया गया, जिसकी सांप्रदायिक कट्टरता और अंधे राष्ट्रवाद की आलोचना, विश्व स्तर पर होती है? और फिर इस्लाम ईसाई बौद्ध और हिंदू धर्म के दूसरे महान संत चिंतक विचारक क्यों नहीं बुलाए गए? जैन धर्म के महान दीक्षा समारोह या मुनि श्री की मान प्रतिष्ठा के पवित्र धार्मिक कार्यक्रम में इस तरह की राजनीति, संपूर्ण आयोजन की पवित्रता और उद्देश्यों पर प्रश्न चिन्ह लगाती है? किस दृष्टि से श्री मोहन भागवत को बुलाया गया? देश और समाज के लिए इनका क्या योगदान है? 500 वर्षों के मुगल काल में और 200 वर्ष के अंग्रेजों के शासनकाल में जो नफरत, हिंदू मुस्लिम के बीच और हिंदू हिंदू के बीच नहीं फैली थी, वह वर्तमान शासन काल में जहां संघ का ही सबसे अधिक प्रभाव शासन तंत्र में है, गांव गांव तक फैल गई है! विश्व के एक अत्यंत महान, सत्य अहिंसा पर आधारित जैन धर्म के आयोजन में राजनीतिक हानि लाभ की दृष्टि से ऐसा कार्य किया है ,जो इतिहास के काले पन्नों में लिखा जाएगा! इस भव्य दिव्य आयोजन के प्रमुख कर्ताधर्ताओं से इस संबंध में स्पष्टीकरण लिया जाना चाहिए! सिर्फ जैन समाज ही नहीं हर नागरिक को पता होगी इस कार्यक्रम की सुचिता पवित्रता और महान उद्देश्य समय की कसौटी पर कितने खरे उतरते हैं। सच जानना व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है।