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ओ३म् तत्सत् जी
(पंचरंगे झण्डे वाले जगदगुरु स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती जी महाराज की जय हो)
आप सभी भक्तजनों के सामने पेेश है कवीराज अमीलाल गोस्वामी जी निवासी गांव काब्रछा जिला जींद (हरियाणा) द्वारा रचित जगदगुरु स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती जी महाराज के जीवन पर आधारित गुरु ब्रह्मानन्द जीवनमाला के रागनी भजन। यह भजन स्वयं कविराज अमीलाल गोस्वामी जी की मधुर आवाज मे आपके सामने पेश है।
भजन - चल पंचरंगे पास तेरे पास तेरे सब मिटज्यांगे विश्वास, दूर तै बेरा के....
लेखक एवं गायक - कविराज श्री अमीलाल गोस्वामी जी काब्रछा
आभार - भाई विरेंद्र गोस्वामी काब्रछा सुपौत्र श्री अमीलाल जी
प्रस्तुति - कमलदीप कतलाहेडी (Kamaldeep Katlaheri)
संपर्क सूत्र - ( WhatsApp and Call - 7404922367 )
गुरु ब्रह्मानन्द जीवनमाला भजन सूची - :
01-
हे स्वामी गुरु ब्रह्मानन्द, मेरा तेरे चरण मे ध्यान आस है दर्शन की।
मैं सेवक तु गुरु मेरा हो, मेरे ना का है भगवान आस है दर्शन की।।
02-
हो सुण तन्नै सुणाउं, हाल ऋषि का सारा।
ब्रह्मानन्द है नाम ऋषि का, खास ओम का प्यारा।।
03-
ओम नाम को रट भाई, म्हारे सतगुरु नै बतलाया।
ओम नाम के रटणै तै तेरी, शुद्ध होज्यागी काया।।
04-
कलयुग मे अवतार धार कै, खुद हिंद के मै फिर रया सै
हो लियो मान.......
आदम देह मे जन्म होया न्यु, नाम ब्रह्मानन्द धर रया सै
हो लियो मान.......
05-
चल पंचरंगे पास तेरे सब, मिटज्यांगे विश्वास, दूर तै बेरा कै.....
06-
लियो मान सही, भगवान सही, है कलयुग का अवतार
नाम यु ब्रह्मानन्द धर रया........
07-
स्वर्ग बराबर ब्रह्मानन्द का, आ दरबार देखिए।
शाम-सवेरे सत्संग का होता, प्रचार देखिए।।
08- ( गांव पबनावा जिला कुरुक्षेत्र के यज्ञ का वर्णन)
पबनावा मे यज्ञ देख्या, औडे आनंद आया भारी।
देखन योग चीज सुनलै, तन्नै सुणाउं सारी।।
09-
गुरु तेरे दरबार मे, वो कैसा आनंद है भरपूर, जगह किसे और
पै हो दिल लगता ना मेरा.........
10-
लडकी पास राखणै तै, क्यों ऋषि तन्नै बिसराया।
आज तलक इस ब्रह्मानन्द मे, खोट बता कै पाया।।
11-
कौन कह सै बीर ऋषि धोरै रहणी फरमाई ना।
रही सदा सै बीर बता दुं, क्युं तेरी समझ मे आई ना।।
ओ३म् तत्सत् जी ( कविराज अमीलाल गोस्वामी जी काब्रछा )
जिस समय समाज गुरुजी का विरोध करता था केवल गिने चुने भगत लोग ही गुरु ब्रह्मानन्द सरस्वती जी महाराज के साथ रहते थे। कईयों को तो गुरुजी इतना खटकता था कि उनका बस चलता तो गुरुजी को समाप्त करने का भरकस प्रयास करते थे। यज्ञ एवं भण्डारे मे बाधा डालते थे। पंचरंगे ध्वज को मिटाने का प्रयास करते थे। लेकिन उस समय गुरुजी के साथ रहे गांव काब्रछा जिला जींद के महान कवि अमीलाल गोस्वामी जी जिन्होंने गुरु जी के जीवन पर भजनो की रचना की और सबसे पहले घडवे बैंजू पर गुरुजी के प्रचारार्थ भजन मण्डली बनाई। गुरुजी के यज्ञ भण्डारों मे भजनो के माध्यम से गुरुजी का प्रचार किया। अमीलाल जी पढे लिखे नही थे और गायक भी नही थे लेकिन गुरुजी के आशिर्वाद सेे इन्होंने भजन गाने शुरु किए। अमीलाल जी द्वारा लिखी रचनाओं को स्वयं गुरुजी पास करते थे उसके बाद अमीलाल जी उन्हे जनता के सामने गाते थे।
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ओ३म् तत्सत् जी
जगदगुरु स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती जी महाराज की जय हो
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ओ३म् तत्सत् जी आप सभी गुरुभक्तों को
श्री श्री 1008 श्री जगदगुरु स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती जी महाराज का जन्म 24 दिसंबर सन 1908 को हरियाणा प्रांत के कैथल जिले मे ढाण्ड-पुण्डरी सड़क मार्ग पर स्थित ग्राम चुहड़माजरा मे हुआ। इनके पिताजी का नाम चौ.बादामा राम एवं माता जी का नाम श्रीमति रामी देवी था। पंचरंगे झण्डे वाले गुरु ब्रह्मानन्द सरस्वती जी महाराज से संबंधित जानकरी के लिए आपके अपने चैनल को सस्क्राइब किजिए और शेयर कर अपने मित्रो तक भी इसे पहुंचाए।
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