Рет қаралды 83,966
#DevGuruAstro, नक्षत्र तक, Nakshtra Tak,
चलित कुंडली क्या है और कैसे देखें,
भारतीय ज्योतिष में चलित कुंडली का महत्व-;
" भावप्रवृताै हि फलप्रवृति:
पूर्णं फलं भावसमांशकेषु ।
हास: क्रमांदद्धाविरामकाले
फलस्य नाश: कथितो मुनिन्दै: ॥
अर्थात-;
भारतीय वैदिक ज्योतिष में चलित कुंडली के महत्व को बतलाने के लिए यही कहना जरूरी है की चलित कुंडली फलित ज्योतिष की नीव है ऐसा ज्योतिष के प्रखंड विद्वानों का मत है वास्तव में ग्रहों की स्थिति तो 12 राशियों में होती है परंतु फलित ज्योतिष कुंडली के बारह भाव पर पूर्णता आधारित है फलित ज्योतिष के ग्रंथों में भावप्रकाश भावार्थ रत्नाकर भाव दीपिका एवं भाव मंजरी आदि प्रमुख व्यत पाराशर एवं जातक तत्वम बी 12 भाव पर ही आश्रित है ।
जातक की भाव कुंडली को ही चलित कुंडली कहते हैं राशि कुंडली के ग्रहों की स्थिति भाव कुंडली में बदल सकती है।
अत: एक अच्छे देवज्ञ को किसी भी कुण्डली का फलित करने से पूर्व जातक कि चलित कुण्डली को दृष्टि गोचर करने के बाद फलित करना चाहिये ।
ज्योतिष के आचार्यों के अनुसार ग्रहो के अंश कम होने पर वहि ग्रह लग्न कुण्डली मे आगे वाले भाव मे दृष्टिगोचर होता है परन्तु वाश्तव मे वह ग्रह उसी भाव फल का नाश करता है ऐसा ग्रंथो का वचन है।
: यदि हमे सुक्ष्म फलित चाहिये तो चलित ओर अन्य वर्गो का दृष्टिपात कर उसके बाद लग्न कुण्डली पर विचार करना चाहिये
: चलित ओर लग्न कुण्डली मे भाव राशि सभ समान होते है. ग्रहो ने न्युनाधिक अंशो के कारण 9 मेसे एक दो ग्रह का स्थान परिवतर्न होता है,