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महिला दिवस के उपलक्ष में आदिवासी समाज में पनपे हुए दहेज और पापा की कुप्रथा को समाप्त करने के लिए आदिवासी समाज की पढ़ी-लिखी महिलाओं ने और खासकर नौकरीपेशा महिलाओं ने भी ली भाषा में भी ली वेशभूषा पहनकर एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत की जिसमें उन्होंने दहेज का शिकार किस तरीके से महिलाओं को होना पड़ता है उसको प्रस्तुत किया और समाज कोई संदेश देने की कोशिश की कि दहेज जापा अब समाप्त करना क्यों जरूरी है इस 12 मिनट की नाटिका को देखिए और आपकी इस पर क्या राय है कमेंट बॉक्स में जरूर बताइए चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो सब्सक्राइब कर लीजिए और बताइए