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मेवात जिले के कस्बा नूंह स्थित 300 साल पुराना चुहीमल तालाब, जो देखरेख के अभाव में खंडहर बन रहा है।
नूंह (मेवात)::- मेवात के मशहूर सेठ चूहीमल द्वारा करीब 300 साल पहले प्राणी जगत और मानवता की सेवा के लिए बनवाया गया अद्भुत ऐतिहासिक तालाब सरकार और कस्बा वासियों की देखरेख के अभाव में अब खण्डहर होने लगा है। उल्लेखनीय है कि इस खूबसूरत ऐतिहासिक तालाब में कभी पानी नहीं सूखता।
सेठ चूहीमल के वंशज अभी भी नूंह में आबाद हैं। नगर पालिका नूंह इस ऐतिहासिक धरोहर को पर्यटन स्थन के लिये लेना चाहती पर इसके वंशज है, नगरपालिका को नहीं बल्कि सरकार को इसे देने को तैयार हैं। जानकारी के अनुसार करीब 300 साल पहले कस्बा नूंह निवासी सेठ चूहीमल का नमक का कारोबार था। इसी दौरान सेठ ने मानव सेवा के लिये नूंह के पश्चिम में एक तालाब का निर्माण कराया। लोगों का कहना है कि तालाब का पानी न सूखे, इसी वजह से इसके अंदर गहरे कुओं का निर्माण कराया गया।
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि इस तालाब के अंदर सुरंग है, जहां से बरसाती पानी आता है। यह तालाब वर्गाकार बना हुआ है। इसके चारों घाटों पर सीढिय़ां बनी हुई हैं। इस तालाब के अंदर चारों कोनों पर लाल पत्थर की खूबसूरत छतरियों का निर्माण कराया हुआ है, जो इस तालाब की खूबसूरती में चारचांद लगाने का काम करती है। इस किलानुमा तालाब की चारदिवारी पर बुर्जियों बनी हुई हैं। इस तालाब क ी खासियत यह है कि घोर अकाल और सूखे के दौरान भी यह तालाब कभी नहीं सूखा।
इस तालाब के पास ही एक भव्य छतरी बनी हुई है, जिसे सेठ चूहीमल के देहांत के बाद उसके पुत्र स्वर्गीय सेठ हूकम चंद ने उनकी याद में बनवाया। इस छतरी पर दुर्लभ मीनाकारी चित्रित की गई है। इसके अतिरिक्त इस तालाब के साथ मंदिर का निर्माण कराया गया था जिसमें शिव, हनुमान और दुर्गामां की मूर्तियां स्थापित हैं।
इस तालाब के मालिक और सरकार की उपेक्षा के चलते यह ऐतिहासिक तालाब अब खण्डहर हो रहा है। कस्बे के लोग इसमें कपड़े धोते हैं। अब यह तालाब बदहाल हो चुका हैं। नूंह के नन्हे, अक्षय कुमार, साकिर आदि लोगों का कहना है कि अगर सरकार इस तालाब को अपने कब्जे में लेकर इसको विकसित करे तो यह खूबसूरत पर्यटन-स्थल बन सकता है। ग्रामीणों ने बताया कि सेठ चूहीमल की हवेली से एक सुरंग सीधी तालाब तक आती है। बताया जाता है कि उस दौरान सेठानी इस सुरंग के जरिये स्नान करने आती थी। इस बात की तसदीक सेठ चूहीमल की सातवीं पीढ़ी के वंशज वेद प्रकाश करते हैं।
उन्होंने बताया कि जब वह छोटे थे, उस समय उनके पिता ने यह सुरंग का दरवाजा बंद करा दिया था। उनका कहना है कि इस सुरंग में पानी भरा रहता था और सांप व अन्य जानवरों के घर में घुसने का खतरा बना रहता था।
पार्षद सलमान खान का कहना है कि उन्होंने कई बार इनके मालिकों से संपर्क किया है। नगर पालिका को अगर उनके मालिक इस राष्ट्रीय धरोहर को सौंप देते हैं तो नगरपालिका इसमें बेहतरीन काम्पलेक्स बना सकती है। इससे नगरपालिका और इसके मालिकों को आय अर्जित हो सकती है।
स्वर्गीय सेठ चूहीमल के सांतवी पीढ़ी के सदस्य वेद प्रकाश उर्फ बिल्लू का कहना है कि नगरपालिका के पास कोई आमदनी नहीं है, इस लिये वे इसे पालिका को नहीं दे सकते। अगर सरकार चाहे तो वे इसे देने को तैयार हैं।
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