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ज्ञानी चित शुन्य होते हैं
गणेशपुरी के अवधूत भगवान नित्यांनद जी की अमृत वाणी "चिदाकाश गीता" के प्रथम सूत्र के पहले वाक्य "ज्ञानी चित शुन्य होता है" पर पूज्य गुरुमाँ प्रणाली जी की सुन्दर विवेचना कर एक साधक के लिए विशेष सूत्र दिये है। गुरुमाँ द्वारा प्रदत सूत्र सुन्दर साधना हेतु बहुत ही सुन्दर मार्गदर्शन है जिसे जीवन में अपना एक साधक साधना की गहराई में उतर आनंदमयी अवस्थ में सरलता से प्रवेश कर सकता है।