बहुत बहुत शुक्रिया भाटी साहब आज मैं आनंदित हूं कि सीमापार भी कोई है जो हमें सुनता है। पुन:आभार जनाब🙏🙏 साहित्य आलोक
@UttamSingh-wg8wn2 ай бұрын
अच्छा वक्तव्य।
@user-bu2mw5lm5v2 ай бұрын
Thanks for support 🙏
@The__SAWAI3 жыл бұрын
👌👌
@user-bu2mw5lm5v3 жыл бұрын
🙏🙏
@actoramarcharan2806 Жыл бұрын
Bahut shandaar
@SAROOP-singh-RES3 жыл бұрын
Bahut khoob
@user-bu2mw5lm5v3 жыл бұрын
धन्यवाद हुकुम 🙏
@blsuthar89462 ай бұрын
महाराजा मान सिंह संवत 1860 में जोधपुर के शासक बने।शासक बनने से पूर्व वे 10 वर्ष तक जालोर के किले में महाराजा भीम सिंह की सेना से संघर्ष करते रहे।राय कंवर भटियाणी व बदनकंवर चावङी से म.मानसिंह का विवाह जोधपुर का शासक बनने से पूर्व ही हो गया था।
@user-bu2mw5lm5v2 ай бұрын
जी हुकुम
@asifbhatti40892 жыл бұрын
I am sardar Asif hayyat khan bhatti Punjab pakistan pindi bhattian hafizabad
जब कोई कहानी बोली जाती है तो स्क्रिप्टेड ही बोली जाती है
@shankardan34292 ай бұрын
क्यां दुख पावे भाई दूहो ईयां बोलीजे बावला परेशान मत हुय।
@user-bu2mw5lm5v2 ай бұрын
आपरो विश्लेषण सर आंखों माथै है हुकुम पर मां करणी री मेहर है चारणी साहित्य काफी गहराई सुं जाणुं हूं
@mahipalcharan59922 жыл бұрын
बोली सुध करो
@user-bu2mw5lm5v2 жыл бұрын
जहाँ पर अशुद्धि लगती हैं वो शब्द बताने का कष्ट करें ताकि उच्चारण सुधार करने का प्रयास कर सकें
@mahipalcharan59922 жыл бұрын
पढ पढ मत बोलो हुक्म
@user-bu2mw5lm5v2 жыл бұрын
कोशिश करेंगे
@noukariwalekarnimataoffici422 жыл бұрын
चारण शब्द गलत जगह इस्तेमाल कर रहे हो चारण कहीं भी मांगते नजर इतिहास में नहीं आते
@user-bu2mw5lm5v2 жыл бұрын
सही बात है हुकुम पर आ बात वरिष्ठ साहित्यकार नाहरसिंहजी जसोल री पोथी सुं सादर उद्धृत है🙏
@noukariwalekarnimataoffici422 жыл бұрын
@@user-bu2mw5lm5v जशौल साहब ने चारणों की गरीमा में इतना लिखा है की उन्को मैं देवतुल्य संज्ञा देकर वंदन करता हूं पर एक जगह लगा की वो शब्द गल्ती से उच्चारण हुआ होगा
@user-bu2mw5lm5v2 жыл бұрын
@@noukariwalekarnimataoffici42 जी कितने मिनट पर है आप बताना एक बार मैं पोथी से मिलान कर लूंगा
@MrPeeraram2 ай бұрын
मुगल कालीन राजाओं मे बहुत कुछ बदलाव आ गया था, सही मायने में शुद्ध वैदिक परम्परा राजाओं मे नहीं रह पाई थी। राजा जिसके रूप में स्वयं भगवान होते हैं। गीता में कहते हैं, कि हे अर्जुन मनुष्यों में मैं राजा हूं। बीज रूप में आज भी विद्यमान हैं, बीज की रक्षा स्वयं भगवान करते हैं। वर्तमान में जगन्नाथ पुरी पीठ के शंकराचार्य जी श्री स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ही एकमात्र सनातन के शिखर हैं, साक्षात भगवान शंकर ही है।
@ajsingh7984Ай бұрын
त्याग प्रथा में त्याग की मांग करने वाले कौन होते थे??? बार (द्वार) पर हठ कौन करते थे?? बारहठ ही तो