जिस धड पर पति का शीश लगा है ।। क्योंकि प्राणी के शरीर का मालिक होता है, मन और मस्ति्क, शरीर तो केबल आदेश का पालन करता है, शरीर तो सेवक है, नौकर है, मन का मस्तिक में ही सारी... और वैसे भी चहरा ही आदमी का पहचान पत्र है... तो इस लिए जिस धड पर उसके पति का शीश लगा है उसके साथ रहने में,जीवन जीने में उस कोई भी धार्मिक हानि नहीं, कोई भी परम्परा या अंतर भावना आदि कोई अड़चन नहीं कोई अधिक सोच का विषय नहीं ।। जय गुरु जी की, कहानी तो आपकी अच्छी है, बस थोड़ी सा बदलाव होता तो बहुत अच्छी कहानी जम जाति, बो ऐसे = भाई के जगह लड़के के दोस्त को इसमें पात्र चुनना चाहिए था, तो बेहतर कहानी सेट होती, और अच्छा सवाल ज़बाब बनता ।। जय देवी धोलगड़ वाली की ।।