चाचा जी मैं मऊ से हू एक दिन मऊ में आपको अपने घर बुलाऊंगा । आपकी उम्र लंबी चाचा जी , ऐसी लोरिकी विरहा में कहां सुनने में मिलता है यादवों को वीर लोरिक बनने की जरूरत है आज पढ़ाई लिखाई का जमाना है बल्कि पढ़ाई लिखाई मेहनत से करनी चाहिए लेकिन रास्ता सिर्फ अहिर लोरिक के रास्ते चलने चाहिए लोरिक गरीब लोग के मसीहा थे उनके दोस्त अगड़े नही पिछड़े थे अगड़ों से तो उनका लोहा युद्ध होता हैं या भोदोही हो या हरदी बंगाल में जो अहिर लोरिक ने पिछड़ों के हक हिस्सा की लड़ाई लड़े है अहिर लोरिक समाजवादी योद्धा थे जय हो वीर योद्धा अहिर लोरिक।