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प्राचीन काल से दहेज देने का प्रावधान रहा है | पहले गाय दी जाती थी ,घोड़े दिए जाते थे, हाथी दिए जाते थे, दास दासियाँ दी जाती थी और वही कुप्रथा आज भी विद्यमान है । आप देख रहे हैं कैसे बड़े बड़े अधिकारी तक दहेज की मांग करते हैं । जिन्होंने अच्छी से अच्छी शिक्षा ग्रहण की उसके बाद भी उनके कुंठित हृदय से यह दहेज की कुप्रथा निकल नहीं रही है । यह हमारे समाज का बड़ा दुर्भाग्य है कि जब कोई व्यक्ति किसी अपने साथी को चुनता है उसके साथ जीवन यापन करने की सोचता है उसकी शुरुआत ही लालच पर होती है । तो आप सोच सकते हैं कि किस प्रकार से समाज का स्तर गिर चुका है ।जिस पिता ने अपनी पुत्री को जिसे उसने नाजों से पाला था कलेजे का टुकड़ा था वही सौंप दिया उसके उपरांत भी इन दहेज लोभीयों की सोच नहीं बदल रही है । यह मानवता के लिए बड़े दुर्भाग्य की बात है । तो मैं निवेदन करना चाहूंगा कि जो सज्जन यह नाटक देख रहे हैं कृपया वह ऐसी दुर्भावना अपने मन मस्तिष्क में ना लाएँ धन्यवाद ।
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