Sir Mere आगे सर झुकाते हैं की बजाय ये पढ़िए मेरे साथ सर झुकाते हैं कलम खूबसूरत हो जायेगा अल्लाह की तौहीनी का गुनाह भी न होगा क्योंकि सर सिर्फ अल्लाह के आगे झुक सकता है बाकी का कलाम माशाअल्लाह है हदीस एक सहाबी ने नबी सल्लालाहु अलैहि वसल्लम को sajda किया आपने कहा उठ मुझे सजदा क्यों किया सहाबी ने कहा मैने हीरा नामी शहर में देखा लोग वहां अपने सरदार को सजदा करते हैं तो आप तो उससे ज्यादा हकदार हैं आपने फरमाया मेरे मरने के बाद मेरी कबर पे सजदा करोगे सहाबी ने कहा नही या रसूल्ललाह (यहां मरने के लफ्ज़ पे गुस्ताखी का फतवा मत देने लगना हदीस में जो अल्फाज़ हैं वो यही है) तो आपने फरमाया तो अभी भी नही करना है अगर मै सजदे को जायज समझता तो बीबियों को अपने खाविंद को सजदे का हुक्म देता (लेकिन आपको पता था कि ऐसा दुरुस्त नहीं)