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| Devgarh fort | किले में आज भी देखी जा सकती है शाही बावड़ी, राजा का महल व पुराने जमाने का Toilet @Gyanvikvlogs
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देवगढ़ किला, सीकर का इतिहास
सीकर शहर की सुरक्षा और निगरानी रखने के लिए देवगढ़ किले का निर्माण करवाया गया था। सन् 1784 में राव राजा देवी सिंह ने लोहार्गल कि पहाड़ी पर अपने नाम से देवगढ़ का निर्माण आरंभ किया। इस पहाड़ी के ठीक सामने रेवासा की पहाड़ी का किला है जो उस वक्त खंडेला ठिकाना के राजा के अधीन था इसलिए गढ़ का निर्माण होते देख पड़ोसी ठीकाना खंडेला ने विघ्न भी डाला और तोप से गोले चलाये। जिसके कारण कई कारीगर डर के मारे भाग छुटे थे। लेकिन राव राजा देवीसिंह ने अपने अलवर के साथी प्रताप सिंह की मदद से विशेष कारीगर बुलवाये और निर्माण कार्य जारी रखा और सन् 1787 में हजारों श्रमिकों और तकनीकी विशेषज्ञों के परिश्रम से चार साल में दुर्ग का निर्माण हुआ। किले का उपयोग बंदियों को रखने के लिए किया जाता था। पहाड़ी की ऊंचाई लगभग 531 फिट के करीब है। राव राजा कल्याण सिंह जी ने अपनी बेटी सिरे कँवर को इसे देने का निर्णय किया था लेकिन उन्होंने इसके लिए मना कर दिया
था । सन् 1935 के किसान आंदोलन के दौरान प्रमुख नेताओं को भी इसी दुर्ग में बंदी बनाकर रखा गया था। यद्यपि दुर्ग लगभग 237 वर्ष पुराना है एंव इसका वैभव नष्ट हो चुका है, किन्तु इसके अवशेषों को देखना भी रोमांचक अनुभव है।
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