योगी जी बहुत बोले चुप नहीं हुए पर उत्तर कुछ भी नही दिया हां कविताएं अच्छी सुनाई 😂😂😂
@ashishniraula2354 ай бұрын
आँप बताओ कि क्या सत्य हे
@pankajindian...62943 ай бұрын
Yogi ji sawaal ka jawab nhi diya
@SwamiAmitanandYogi3 ай бұрын
योगी विशाल जी जिस अनुभव की बात कर रहे हैं वह हमारे पूर्व स्मृति होती है, यह प्रयोग हमारे आश्रम में हमने साधको पर किए हैं, पांच साधक को बताया गया कि हमने गधे कि मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी है यह ईश्वर की स्वरूप हो गई है मूर्ति, जबकि पाँच साधकों को बताया गया कि कृष्ण की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है अब यह ईश्वर रूप हो गई है मूर्ति, और पांच साधकों को बिना मूर्ति के साधन में बैठाया गया। परिणाम उत्तम थे गधे वाले को गधा ही परमात्मा रूप में बात कर रहा था अनुभव दिला रहा था कृष्ण वालों को कृष्ण रूप में बाते और अनुभव करा रहा था जबकि बिना मूर्ति वालों को वह आनंद का अनुभव कर रहा था और ज्ञान विज्ञान का अनुभव कराया जो बात उनको नहीं बताई गई कभी उन्होंने सुनी भी नहीं थी उस पर तर्क वितर्क कर रहें थे। इसे ही ईस्वर कि कृपा कहते हैं. और योगी होने के नाते हमारे तो अनुभव सभी प्रकार के हैं। अगर किसी को ईश्वर के दर्शन करने हैं जिस रूप में भी करना है वह संपर्क कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे वह ईस्वर नहीं आपकी स्मृति आधारित ईस्वर होगा। ईश्वर के अनुभव को शब्दों में बयां नहीं कर सकते। हमने बहुत प्रयास किया कि उन्हें शब्दों में लिखा जा सके परंतु नहीं लिख सकते जिस प्रकार जब स्त्री पुरुष में संबंध बनाए जाते हैं तो जो आनंद के अनुभूति होती है उन्हें शब्दों में नहीं लिखा जा सकता उसी प्रकार ईश्वर के अनुभव को शब्दों में नहीं लिखा जा सकता। गुरूजी को नमस्कार और योगी जी को अभी और साधना कि आवश्यकता हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद जय श्री राम
@KrishnaMourya-ht2hc3 ай бұрын
Sadhu santon ka sang karna padega guruji ki baat samajhne ke liye murkhon ko baat samajh mein nahin aaegi
@arvindbhagat3463Ай бұрын
Correct.
@Undertaker-qi1lc4 ай бұрын
ईश्वर कभी आवतरित नहीं होता जब इंसानी समताये और उसके आयाम ऊपर जाने लगते है तो व्यक्ति उसे भगवान मानने लगता है
@shivdhanush36764 ай бұрын
Avatar concept bhakti movement me aya i.e 4th century AD... Hero worship pehle se chalti aa rahi thi especially from mauryan Empire
@KrishnaMourya-ht2hc3 ай бұрын
Gadhon ko samajh mein nahin aaega yogi Ji ki baten Sadhu Sadhu sang karna padega yogi Ji ki baten
@sanatandharmgyangangasanat57072 ай бұрын
परमात्मा प्रेम के वशीभूत होकर अवतार भी लेते है श्री मद भगवद गीता में श्री भगवान यह सत्य बताते हे ईश्वर को पुस्तक से नही निस्वार्थ प्रेम वाली भक्ति से ही जाना जा सकता है मित्र
@Undertaker-qi1lc2 ай бұрын
@@sanatandharmgyangangasanat5707 इस दुनिया में ऐसा क़ोई नहीं jiska स्वार्थ ना रहा हो भक्ति के पीछे क़ोई मोक्ष के लिये क़ोई सक्तियों के लिये क़ोई किसी लिये भक्ति करता है. और ये अवतार क्या होता है q🤣🤣🤣avtar🤣matlab अवतरित होना है योनि से नहीं आना aur🤣आपने किसको देखा अवतरित होते हुवै 🤣qq
@DharitriKochari2 ай бұрын
Jab jab dharti par pap aur anyai badega tab tab avatar ayega uch pap ko mitane .
@rajkumar-yx1sl2 ай бұрын
दोनो अलग है योगी जी आराम से बात कर रहे है और गुरु को थोड़ा गुस्सा आ रहा है इस से ये पता चलता है सही kon hai jo आराम से समझा रहा है योगी जी वही सही है ❤
@geetaphanchbhai70372 ай бұрын
AA
@romyaromya12295 ай бұрын
योगी जी कोई एक प्रमाण नहीं दिया
@manjushachahal404629 күн бұрын
बुद्ध जी ने भी यही कहा था, कि मानो मत, जानो,, भारत देश बुद्ध का देश था, कण कण में इसके सबूत भी मिलते है, फिर भी हम भारतवासी, बुद्ध को कम जानते है,, कारण,, आप जानना ही नही चाहते है,,,,,,
@abidhakak421517 күн бұрын
Bharat Desh bhud ka desh nahi hai unka desh Nepal hai comment karne se pehle khud ka pura jankar hona awashk hai
@bhatialipankaj899616 күн бұрын
बहना बौद्ध शव्द अर्थ ज्ञान होता है,जीस प्रकार भारत में शव्द का कार्थ भी ज्ञान होता है इसलिए
@yugeshwarram379916 күн бұрын
सनातन धर्म नहीं है यह विशेषण है योगी जी का समझने का तरीका उलझने का है सनातन का अर्थ होता है आदिकाल अर्थात जिसका अंत न हो भारत का सनातन धर्म बौद्ध धर्म है गुरु जी का समझने का तरीका सही है
@dagar915 күн бұрын
Bhudh wale muh utha k ghus jayenge😂
@yashwantningwal242013 күн бұрын
अशोक से पहले बुद्ध का कोई सबूत है तुम्हारे पास कुछ भी😅😅😅😅😅
@rawatvijay1729Ай бұрын
यदायदाहिघर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, तदा अम्युथानमधर्मस्य आत्मनमसृजाम्यहम्
@azibghadi5 ай бұрын
गुरु जी के तर्कों से मै प्रभावित हु । योगी जी केवल जलेबी ही बनाते रह गए 😅
@AbhishekTiwari11115 ай бұрын
महऋषि दयानंद सरस्वती जी की जय।
@realisticcoments2834 ай бұрын
What is His parampara?
@suryana7894 ай бұрын
🙏🙏🙏❤️❤️
@suryana7894 ай бұрын
@realistiवेद की मन्ये और किसी का नहीं ccoments283
@chanramachhi66203 күн бұрын
यदा यदा ही धम्रस्य ग्लानिर भवः भारत। भगवत गीता
@Vaidikdhara4 ай бұрын
महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज की जय कृणवन्तोविश्मार्यम् 🙏🚩
@bhuwanthulangrai2 ай бұрын
Three of you are humbly requested to not waste this precious time with futile gossips for confusing relegions. The relegion, God and Goddess are True only that are witnessed alongwith the creation by Sun, Moon and the Planets. Apart from above, this earth, plants and animals are also giving witnesses for the Allohim God foretold in the Bible. To clearly know about the Real Divine Parents, you should concern with the teachers into the Zion nearby your hometown. The Zion is Church of God only where the Passover Festivals are often celebrated, but not the other churches. Re-incarnation and Ressuraction both are possible if God desires. For those who are said to be gods themselves in India or any where they are frauds. Because for the re-incarnation, or messenger for the God to come in this world are already predicted in the Bible 2100 to 3500 BC.
@SintuKumar-q8o3d13 күн бұрын
Akmaeakvijdinakvijdinakmaeho
@shyamshakya20895 ай бұрын
75 वर्ष k गुरु जी 101%सत्य कह रहे है वेद k अनुसार. Om
@A-KR185 ай бұрын
सिर्फ उम्र से तुम नही बता सकते वो कितना ज्ञानी है😂
@realisticcoments2835 ай бұрын
आर्य समाजी बडे या तुकाराम महाराज ? तुकाराम जी कहते हैं: वेद अनंत बोलीला , अर्थ इतकाची साधिला, विठ्ठलाशी शरण जावे, निज निष्ठे नाम गावे!!
@Ram-q4u7x5 ай бұрын
@@A-KR18Yajurveda Aadhya 32 mantra 3 padhke aa khud kabhi ved nahi padha joh padhe hai unhe Gyan deta hai nastik kahika😂
@Ram-q4u7x5 ай бұрын
@@realisticcoments283ved bada ya tukaram ji Arya samaj wo kahta hai Jo ved mein likha hai ved virudh tum mante hoge hamm nahi
@realisticcoments2835 ай бұрын
@@Ram-q4u7x वेदका हम आदर करते है; लेकिन आर्यसमाज ने वेदों का अर्थ अपने मनगढंत रूप से किया है. तुकाराम महाराज के साथ तुम्हारे स्वामीने एक कोटी जन्म लिया तो भी बराबरी नहीं हो सकती; तुकाराम महाराज वैकुंठ गये, तुम्हारा महाराज विष से मर गया.
वेद में अवतार: रूपंरूपं प्रतिरूपो बभूव तदस्य रूपं प्रतिचक्षणाय । (ऋग्वेद 6/47/18) ईश्वर विभिन्न शक्तियों द्वारा अनेक रूप बनाकर यजमान के पास प्रकट होते हैं।
@romyaromya12295 ай бұрын
आप ने मंत्र ठीक लिखा है।पर उसका अर्थ ठीक नहीं।आप किसी आर्ष विद्वान की व्याख्या में इसको देख सकते है। इसमें जीवात्मा केसा होता है उसका कथन हैं
@sudeshsharma80774 ай бұрын
अर्थ तो ढंग से कर लेता वेद की ऋचा का।
@yagyabhushansharma10084 ай бұрын
मैं आर्यसमाज और उसके विद्वानों के प्रति श्रद्धा और सम्मान रखता हूं और जानता हूं कि वे सत्य को जानते एवम् समझते हैं परंतु यह भी जानता हूं की आम आदमी वास्तव में ज्ञानी और पंडित नही है।इस एपिसोड में कई कमेंट देखकर लगता है कि सत्य को जानने या स्वीकार करने में उनका ज्ञान समर्थ ही नहीं है। मेरे विचार से इस संबंध में मैं आर्य समाजियों से भी निवेदन करना चाहता हु कि वे मूर्ति पूजा को उस पहली कक्षा के बच्चे के समान समझे कि वह बच्चा अ एक अक्षर है,नही जानता वह अ से अनार ही बोलेगा अगली कक्षा में अ से अनार के साथ अमरूद,अन्नानास, अदरख भी पढ़ता है तब उसे पता चलता है कि अ से बहुत शब्द बनते हैं अ अनार नही एक स्वतंत्र अक्षर है उसी प्रकार यदि मूर्ति पूजक भी यह सत्य जान ले कि मूर्ति में भी भगवान हैं,ठीक वैसे ही जैसे कण कण में हैं,किंतु मूर्ति ही भगवान नहीं है।परंतु पौराणिक मूर्ति को ही भगवान मान बैठा है उसका ज्ञान आगे बढ़ना ही नही चाहता।
@Jiwandarshnam194 ай бұрын
आपने सत्य वचन कहा है मान्यवर ❤❤
@dhirendrakumaryadav99774 ай бұрын
वाह अदभुत धन्य हैं आप को प्रणाम है
@user-tg8sb6dv1e4 ай бұрын
आस्था का संबंध भाव से है, मूर्ति के रूप में भाव प्रदर्शित किए जाते हैं और उन्हें ही निहिलाया खिलाया और सुलाया जाता है।
@Jiwandarshnam194 ай бұрын
@@user-tg8sb6dv1e 🤦♂🖐😃😃😃🤣
@bhuwanchandrapandey25254 ай бұрын
अत्यंत सहज व सरल अभिव्यक्ति।।ज्ञान का परम तो अ उ म से शब्द ब्रह्म को जान लेना है जो कि ध्वनि ॐ है जिसे माहेश्वर सूत्र में शिव के डमरू से पाण्नी महाराज ने प्रथम बार सुना,। तो *म* मकार से मौनता की अनुभूतिगम्यता हेतु हमारे सामने रख दिया। कोई सांसारिक ध्वनि नही केवल अनहद ॐ😊वही परमब्रह्म:तत्सत।।
@sachasachasauda8896Ай бұрын
पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 : पूर्ण ब्रह्म का शरीर नूर तत्व से बना है स पर्य् अगाच् छुक्रम् अकायम् अव्रणम् अस्नाविरम् शुद्धम् अपापविद्धम् । कविर् मनीषी परिभूः स्वयंभूर् याथातथ्यतो ऽर्थान् व्यदधाच्छाश्वतीभ्यः समाभ्यः ॥
@sunilaryasingh73045 ай бұрын
वेद में अवतारवाद नही है
@Pandit-np7cr5 ай бұрын
To kya manna hai bhagvan hai hi nhi
@ramdoot_utkarsh5 ай бұрын
Ji bilkul sahi
@A-KR185 ай бұрын
अरे मूर्खो वेद में अवतार कैसे आएगा ये बताओ तुम क्युकी वेद तो अवतार लेने से पहले ही है😂मूर्खो की कमी नही है वैसे वेद में वामन अवतार का वर्णन है बेटा कभी बिना ज्ञान के नही बोलने का😂
@गुलशनआर्य4 ай бұрын
@@Pandit-np7crभगवान है भाई
@bibhutibhusanpradhan50523 ай бұрын
Are Bhai sidhi jisko man na hai mane,jisko na man na nahi hai mat mane....
@freefireroorkee5 ай бұрын
Agarwaal ji hi satya hai
@vedicdharma40325 ай бұрын
Bro
@vedicdharma40325 ай бұрын
Yogi ji satya h
@RasmilaBadal5 ай бұрын
Tu uska ristedar hai isliya sate Lagta murk 😂😂 tere bar bar lekne SE jit har nai hota
@GodGyan360Ай бұрын
श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है। वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।7
@romyaromya12295 ай бұрын
सही कहा गुरु जी वेद में ही केवल मंत्र है
@DETHEPRAKASH5 ай бұрын
Mantra sirf Vedo me nahi hai,agar Maa kisi bete se kah rahi waha mat jao gir jayega,to ye usake liye mantra hi hai.....
@bikashraut6455 ай бұрын
Mana kisne kiya ? Par Pramaan keval ved hi hai yeh kehna galat hai ..warna toot jaoge aap
@amitattafe5 ай бұрын
Mantra ke mayne hai jisme mann ka tran ho yani jisse mann stambhit ho prasann ho
@VedicYaduvanshi4 ай бұрын
Upanishad me bhi hai
@rajendrakumartrivedi7256Ай бұрын
Yes pls see in Google there are also mantras@@VedicYaduvanshi
@shankarsuwanasthana79615 ай бұрын
आपके गुरु केवल प़श्न करने के आदी है, उत्तर का भार सामने वाले डालते हैं। दयानन्द महान है, अनेकों महान से महानतम ऋषि, विद्वान हैं।
@bklnews74 ай бұрын
वेद ईश्वरीय ज्ञान है
@rajesh.mishratablavadakmis598Ай бұрын
प्रजा पतिस् चरति अन्तर जायमाना बहुधा विजायते तस्य योनिं परि पश्यन्ति इसी मन्त्र मे लिखा है भगवान् पैदा होते
@romyaromya12295 ай бұрын
वेद सत्य विद्याओं का पुस्तक है। इसमें सब विद्या की जननी है
@bikashraut6455 ай бұрын
Sanskaar dikhao ved me ...yagyapabit or nama Karan sanskaar dikhao ved me ..agar nehin hai toh karte kyun ho ?
@DuBadu-ye3kf4 ай бұрын
Chal be
@MadhusudanMadhusudan-e2i4 ай бұрын
Satya koi praman nhi de sakta,ye anubhuti ka vishay, Bhagwan, Bed , aur ye sab lekar
@MadhusudanMadhusudan-e2i4 ай бұрын
Satya ka koi praman nhi hota, praman khali anubhuti, debate ek murkhta, jo avi ho raha hai, aur Guru ji jisko khe rahe ho, unka attitude koi gayni insaan ka lakshan nhi hai,isko ( Guru ji) kaha se le aaye.
@rajvashisth45674 ай бұрын
@@bikashraut645 ये पता है वेद में कितने प्रकार के मुख्य विषय है ???
@Riya_n_Rachit4 ай бұрын
विशाल जी, बातें घुमाते दिख रहे हैं। लाजपत जी, तर्क और तथ्य पर बात करते दिख रहे हैं।
@RangitSingh-c9j5 ай бұрын
आर्य समाज के गुरु जी सही कह रहे हैं क्या ईश्वर ने वेद में कहा है कि हम राम कृष्ण और शंकर भगवान के आए थे धरती
@ramkishorsaw130827 күн бұрын
योगी जी के द्वारा प्रेषित संवाद अधिक सार्थक प्रतीत होता है।
@sitapur_sanjeev4 күн бұрын
Yogi ji hawa hawa h
@drjyotishankartiwari9085 ай бұрын
दुख का कारण क्या है आत्मा शरीर को धारण करता है शरीर के दुख सुख का अनुभव करता है परमात्मा शरीर को धारण नहीं करता इसलिए दुख सुख से पड़े हैं इसलिए परमानंद के आसन पर प्रतिष्ठित है आत्मा और परमात्मा में इतना ही अंतर है परमात्मा सर्वव्यापी है मगर आत्मा सर्वव्यापी नहीं है दोनों दो पदार्थ हैं अतः जीव और परमात्मा का संबंध एक प्रजापत पुत्र के समान है अतः अलख निरंजन है
@Undertaker-qi1lc4 ай бұрын
दुःख का कारण सुख है क्योंकि दुःख और सुख पृथक नहीं है जब सुख होता है तभी तो दुःख होता है
@romyaromya12295 ай бұрын
श्री लाजपत राय अग्रवाल जी देश के प्रतिष्ठित अमर प्रकाशन के संस्थापक है। ये अमर स्वामी के शिष्य है। गुरुकुल कांगड़ी के स्नातक है। हजारों पुस्तको के संपादक है। बहुत योग्य पुरुष है।इसीलिए वे टू द प्वाइंट उत्तर दे रहे है। योगी जी आपके सारे प्रश्न का उत्तर बहुत आसानी से मिल सकता है।प्रश्न का उत्तर नही दे रहे योगी जी
@alpanamittal82704 ай бұрын
लाजपत राय जी के वर्णन किसी विद्वान के अनुसार तो नहीं लग रहे हैं....
@logical_joker3 ай бұрын
Kyunki wo shabdon ki jalebi nhi bana rhe to maza nhi aa rha hoga@@alpanamittal8270
@TheHiddenThingsАй бұрын
विद्वान कहते हैं। जो वेद का ज्ञाता हो। और गुरु जी केवल वेद के अनुसार ही अपनी बात कह रहे हैं। उससे अलग नही। @@alpanamittal8270
@Nobody-hj6hhАй бұрын
Ekdm sahi kaha apne, uttar santushi vale ni the@@alpanamittal8270
@Nobody-hj6hhАй бұрын
@@alpanamittal8270mujhe apse bt krna h kuch
@narpatshekhawat3892Ай бұрын
औमित्येक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मर। यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्।।। (गीता -- ८/१३) यह श्लोक श्री मद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहां है।
@narpatshekhawat3892Ай бұрын
भगवान राम व भगवान श्रीकृष्ण ,,परमात्मा के ही स्वरूप है। किसी के मानने व न मानने से परमात्मा ,बदल तो नहीं जायेंगे।। वेद ,भगवान की वाणी है। वेद भी महर्षि व ऋषियों व ब्रह्मर्षियों के द्वारा ही ,अवतरित है। सामान्य मानव वेद की वाणी का उच्चारण भी नहीं कर सकता है।ईश्वर विवाद व बहस का विषय नहीं है। वाद-विवाद दो ज्ञानीयों के मध्य हो सकता है। ईश्वर विवाद के विषय नहीं है। जबकि भूमण्डल पर ईश्वर को ही विवाद का विषय जानबूझकर ,मूर्खों व अज्ञानियों ने बना रक्खा है। ऐसे ही आप लोग भी पठित मूर्ख है। ईश्वर पुस्तकों के अन्दर नहीं है। चेतन तत्व जड़ कभी भी नहीं हो सकता है। यह तो विज्ञान व वैज्ञानिक भी मानते है। नरपतसिंह शेखावत ,रि. शिक्षक ,जयपुर ,राजस्थान, भारत।
@ankushsaini27875 ай бұрын
Are wa arya ji kmal ker diya 🙌🙌🙌🙌
@ghanshyamshakya68665 ай бұрын
ईश्वर अवतार ले सकता है उसमें इतनी शक्ति है
@sewaramsahu72345 ай бұрын
भगवान ने पृथ्वी पर अवतार ले लिया है।
@Ashokkumar-rn3ce2 ай бұрын
वेद में अवतार का न कोई जिक्र है और न ही आज के कहानी इतिहास से सिद्ध होता है , ईश्वर का अवतार होता है लेकिन इसका विश्लेषण अलग है , ईश्वर का गुण, बल एवं ज्ञान का अवतरीत होता है और अवतरीत हमेशा सच्चे वैदिक अनुयायी मनुष्य के अंदर होती है और जैसा मनुष्य का योग्यता वैसा और उतना हीं ईश्वर का अवतरण उसके कर्म से व्यवहार में आता है, उदाहरण भगवान राम-कृष्ण एवं अनगिनत ऋषि गण , अपने गुण, कर्म, व्यवहार से ही मनुष्य ईश्वर के तुल्य सा दिखने लगता है
@Mechanicalengineer-f5i2 ай бұрын
Kitni shakti h ishwar m
@stclaresinnovationgroupАй бұрын
Moorkh. Agyani ishver kabhi majboor nahi ho sakta vo bina pet se paida huve , bina neeche ae bhi sab kuch ker sakta hai😅
@GAVS1042 ай бұрын
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्...💐💐💐
@kamtaprasad61402 ай бұрын
श्री मानव अगर ईश्वर है तो एक वर्ग पर पर क्यों दर्शन देता है यह एक विचाणिय प्रशन है
@samadhanpath.nityanand28 күн бұрын
अजायमानो बहुधा विजायते,,,,,, शुक्ल, यजुर्वेद
@bijendersingh78625 ай бұрын
वेद से बताए मंत्र मन घड़ंत कहानी नहीं चलेगी वेद ही ईश्वरीय ज्ञान है
@jai_hind1.05 ай бұрын
अनेक अवैज्ञानिक गपोड़ गाथाओं से सटीक और कम शब्दों में बुजुर्ग गुरु जी के कथन तार्किक है।
@muralidharkhatua83905 ай бұрын
Guruji to nastik hai . Kya anubhab hai . Kuch nahin
@muralidharkhatua83905 ай бұрын
Agar jankari Lena hai to adhyatmik Iswariya Viswavidyala ko khoj kijiye
@muralidharkhatua83905 ай бұрын
Guruji ki naim par pura murkh hai
@muralidharkhatua83905 ай бұрын
Bhagwan ka parichay koi shashtra de nahi Sakta hai parantu woh aakar khud deta hai . Isliye unhen Khuda kahagaya hai.
@सत्यकिखोजमे-rv3mc3 ай бұрын
Ye gapodne me kam nahi hai
@jayantpatel77345 ай бұрын
लाजपत जी लाजवाब है उनका कथन सच है वेद से उपर कोई किताब नहीं है, और वेद को समजने वाले ही सच है बाकी तो सब दूकाने चलाने के लिए थीक है,
@bikashraut6455 ай бұрын
Ved se upar koi nehin par keval ved hi pramaan nehin hai ...yadi aisa hai..Sanskar jo karte ho yagyapabit aadi iska pramaan ved me hai kya ?
@jayantpatel77344 ай бұрын
@@bikashraut645 जो वेद मे है यही प़माण है और कुछ उपनिषद जैसे की छंद उपनिषद,कठो उपनिषद तथा सत्यार्थ प्रकाश में भी हमारे 16 संस्कार को समझाया है लेकिन वोह पुरानो के संस्कार से थोड़ा अलग समझाया है जैसे कि 16 संस्कार तो है लेकिन उसे लेकर जो उनकी विधीयां है वोह पुरानो मे सिर्फ कर्मकांड में ही निपटा ली गई है सही अर्थ आप को सत्यार्थ प्रकाश में मील जायेगा और वेद सर्वोच्च हे उसका मतलब ऐसा नहीं हे की पुरान और दुसरे गंथ सही नहीं है लेकिन वोह वेद तुल्य नहीं है
@jayantpatel77344 ай бұрын
@@bikashraut645 जो वेद मे है यही प़माण है और कुछ उपनिषद जैसे की छंद उपनिषद,कठो उपनिषद तथा सत्यार्थ प्रकाश में भी हमारे 16 संस्कार को समझाया है लेकिन वोह पुरानो के संस्कार से थोड़ा अलग समझाया है जैसे कि 16 संस्कार तो है लेकिन उसे लेकर जो उनकी विधीयां है वोह पुरानो मे सिर्फ कर्मकांड में ही निपटा ली गई है सही अर्थ आप को सत्यार्थ प्रकाश में मील जायेगा और वेद सर्वोच्च हे उसका मतलब ऐसा नहीं हे की पुरान और दुसरे गंथ सही नहीं है लेकिन वोह वेद तुल्य नहीं है
@bikashraut6454 ай бұрын
@@Jiwandarshnam19 संस्कार परम्पराओं की देन है ? जब आप के अनुसार वेद से भिन्न सभी अवैदिक है तब संस्कार वेद मे वर्णन ना होने के कारण अवैदिक कैसे नहीं है ? थुंक के चाटना ईसी को कहते हैं ,,। वेद मंत्र से जोडकर निष्ठावान किया जाता है ? जब विषय वेद है ही नहीं तब जोडना तो व्यर्थ ही है , कौनसा संस्कार वेद में है ? जो आप जोडने की बात करते हो ? और आप बोल रहे हैं मंत्र को पूर्णता प्रदान करते हैं ,अच्छा इसका अर्थ यह हुआ की मंत्र अपुर्ण है जीसको आप वाद मे जोडकर पुर्ण करते हो ? गझब है भाई , पर सिद्धान्त तो कुछ ओर ही कहता है की "पुर्ण से पुर्ण की उत्पत्ति होती है" तब वेद ईश्वर से उत्पन्न होने के कारण पुर्ण होने चाहिए था ,पर आपका तो कहना है की मंत्र को पूर्णता प्रदान करते हो 😊
@rambehariawasthi56064 ай бұрын
Sabse pahle main apko dhanyawad deta hun jo aapne dharm ke vishay ko chuna. Pahle aap dharm ko paribhashit karway😂e.Meri alp jankari ke anussr dharm shabd ko bahut se alag alag arthon me prayog kiya jata hai. Ekdam se bhagwan eeshwar per Sam ad samajhna mushkil hai.
@Factfullflow7 күн бұрын
गुरु जी अधूरा ज्ञान मत बोलिए , वेदों में परमात्मा अवतरण की बात है ,जिसका स्वभाव, और गुड़ वा पाने की विधि ,सब कुछ है आप गलत बोल रहे है
@vijendraverma7993 ай бұрын
यह अच्छी चर्चा है। जब वेद एवं तर्कों के अनुसार सृष्टिकर्ता परमात्मा निराकार, सर्वव्यापी है तो वह सब स्थानों पर पहले ही है तो उसको अवतार लेने की आवश्यकता ही नही है। इसलिए अवतारवाद का सिद्धान्त गलत है। अतः अवतार होने प्रश्न नहीं उठता। जहां भी अवतार का समर्थन किया गया है वह भ्रमात्मक है। अवतारवाद के कारण बहुत से गलत विचार प्रचलित हो गये हैं। जब निराकार है तो परमात्मा की मूर्ती भी नहीं बनाई जा सकती। जड मूर्ति पूजा के कारण मजार पूजा भी प्रचलित हो गयी है और मूर्तियो व मजार पर चढावा चढाने का प्रचार करके जनता को चढावा चढाने के लिए प्रेरित किया जाता और चढावे को प्रचारकों व पुजारियों द्वारा उठा लिया जाति है। कुछ व्यक्ति अपने को ईश्वर या ईश्वर का अवतार बताकर चढावे आदि के द्वारा लूट रहे हैं। विद्वानों का कर्तव्य है कि वेद व तर्क के अनुसार सृष्टिकर्ता परमात्मा, आत्मा, व प्रकृति के गुणों व परिभाषा का सही सही प्रचार करके जनता से अज्ञान को दूर करें।
@hetvantbarot44733 ай бұрын
Nirakar ka arth bina aakar nahihe.
@mstomar1682 ай бұрын
@@hetvantbarot4473यहां निर उपसर्ग किस अर्थ में है
@mstomar1682 ай бұрын
बताओ
@realisticcoments2832 ай бұрын
@@vijendraverma799 कलिके पहले सत्य, त्रेता, द्वापार युग में भी विद्वान, मनिषि हो चुके हैं. उनका भी आदर करना कर्तव्य है. गीता कहती है: यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् !! मतलब अवतार होते है. अब बताओ, हम आपका और दयानंद जी का सुने या भगवान श्रीकृष्ण का सुने?
@aryangupta81552 ай бұрын
Mujhe ye bata itne sare grah hi prithivi par hi jeevan kyu hi.....
@studentssupport46875 ай бұрын
ईश्वर निराकार है, सर्वशक्तिमान है,अगर वह इच्छा अनुसार साकार रूप धारण करते हैं तो इसमें आश्चर्य की गुंजाइश नहीं। रिषि मुनि निराकार की अराधना करते हैं। लेकिन सर्व साधारण खासकर वह जो पढ़े लिखे नहीं है उनके लिए साकार की अराधना उपयुक्त है। कर्मकांड
@RameshbhaiJadav-db5cx3 ай бұрын
भाई जी भगवान शिव निराकार राजस्थान में आया है इस भषटाचारी दुनिया को खत्म कर नयी श्रेष्ठाचारी दुनिया बनाने 1936 से धरती पर आया है उसका नाम परमपिता परमात्मा शिव निराकार सत्यम शिवम् सुंदरम है ज्योति बिन्दु स्वरूप है अब वह प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा भारत को स्वर्ग बनाने आया है
@manojkumarshaw41963 ай бұрын
Sri Gitaji me likha hai dharm ki sthapana ke liye aate hai,
@jasbirsingh-yh4rt23 күн бұрын
Pahle tha vahan ab vahan Nahin Hai
@tejprakashyadav54245 ай бұрын
जब जवाब नहीं पता तो मीठी मीठी बात और जलेबी ही तोड़ दें 😂😂😂😂😂😅😅😅😅😂😂 जानते तो है लेकीन मानते नहीं समझ में भी आ जाता है लेकिन दुकानदारी भी तो चलानी है 😂😂😂😂
@Sri.syam.enterprises1235 ай бұрын
Itna bhi nahi jitna tum roye
@गुलशनआर्य4 ай бұрын
😂😊
@princestudiomds3 ай бұрын
जब भी किसी दो लोगों से धर्म संवाद करे तो दोनों का सवाल जवाब का समय निर्धारित करे ताकि अपने समय में रहकर अपने विचार रख सके यहाँ योगी जी को ज़्यादा समय दिया गया गुरुजी को कम समय मिला तय समय नहीं होने का कारण गुरु जी बात को योगी जी बीच में काटते रहे ये सही नहीं है ये न्याय भी नहीं है समय निर्धारित कर संवाद करे
जब भी किसी दो लोगों से धर्म संवाद करे तो दोनों का सवाल जवाब का समय निर्धारित करे ताकि अपने समय में रहकर अपने विचार रख सके यहाँ योगी जी को ज़्यादा समय दिया गया गुरुजी को कम समय मिला तय समय नहीं होने का कारण गुरु जी बात को योगी जी बीच में काटते रहे ये सही नहीं है ये न्याय भी नहीं है समय निर्धारित कर संवाद करे
@parbhakarprasad153Ай бұрын
@@princestudiomdsअग्रवाल साहेब को हरियाण मे विराजमान साकार हरि बाबा के चरण मे शरण ले के तोडा ज्ञान अर्जन करना चाहिए क्योङ्कि उन सेशबढकर कोई नही है। श्रुत है कि * न हरेश्च परम् न हरेश्च परम्*
@ManashaSwarnkar08304 ай бұрын
वेदों का ज्ञान आज की youth के लिए अनिवार्य है। कृपया कोई भी धर्म से जुड़े सवाल और उसके सही उतर ढूँढने का सही प्रयास करे। वेदों के ज्ञान के पूर्ण ही हम सब भारत वासी हर सवाल के सटीक उतर देने योग्य बनेंगे। 🙏🏻
@saptsindhusindhu20844 ай бұрын
बहुत सही कहा 👍
@tasnimali56594 ай бұрын
Jis dharm me bahut saare bhagwan ko puja jata hai use dharm nahi pakkhand kehte hai😃😃😃kaafir
बहन जी धर्म तो एक ही है बाकी तो सब मजहब एवं पंत हैं धर्म तो केवल सनातन वैदिक धर्म है
@tathagatjanklyansamiti0012 ай бұрын
विश्व का ऐसा कौन सा देश है जहां भगवान अवतार लेता है और ज्यादा तर अंध-भक्त मौजूद हैं। भगवान कहीं पर हों कि न हों उसके पचड़े में पड़ते हैं क्यों करके आपस में बाद विवाद वृथा। कल्पित के पीछे पडनते क्यों इन कल्पित देवी देवों की मानव को आज जरूरत क्या जो आप न अपना ताप हरे हर सकती कोई मूरत क्या। जैसी करनी जो करता है वैसी भरनी भर पाएगा। कोई भी देवी देव उसे फिर माफ न ही कर पाएगा। गर सुद्ध आचरण हो जाए अभिशाप स्वयं बरदान बने गर पंचशील धारणा करले इंसान स्वयं भगवान बने।
@mahendrasinghgunjiyal2433Ай бұрын
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर् 30:15 भवति भारत:
@manasukhbhaipatel40152 ай бұрын
जिंदगी मे सबको एक बार स्वामी विवेकानंद के पुरे सब ग्रंथो को संपूर्ण अवश्य पढना चाहिए उसके बिना सनातन धर्म को संपूर्ण समजना असंभव है
@getlucky895210 күн бұрын
Have your studied them yourself?
@rohitraghav10444 ай бұрын
पौने 2 घंटे के कार्यक्रम में योगीजी डेढ़ घंटे बोले परंतु एक भी प्रश्न का सप्रमाण उत्तर नहीं दे पाये और गुरूजी केवल 15 मिनट बोले लेकिन उनके तर्क अकाट्य रहे 🚩
@sushilsharma70212 ай бұрын
आर्य समाज अपनी बात आजतक क्यों नहीं विस्तार से समाज तक नहीं पहुंचा पाया
@s.ksaxena98992 ай бұрын
आर्य समाज तो सरल बात कहता जो वैदिक सिद्धान्त हैं। न समझने वाली क्या बात है मित्र?
@sidrakhan5132 ай бұрын
Apni baat 100 crores logo tk,,bina media ke,,koi nhi pahuncha skta..... 5 saal ke liye Arya samaj ko poora control mil jaye media pr,,toh hi pahuncha skte hai vo
@dineshmohanty92292 ай бұрын
Iskcon Bina kisi control ke vishwa bhar me faila..
I am with Aggarwal ji. Jasa jasa i listen you. I become fan of you. Now I will study Arya samaj
@Rashtriye_swamsevak_billa4 ай бұрын
Same I'll also study about arya samaj
@NaveenSharma-qu9jq4 ай бұрын
Read Satyarth Prakash first.
@KALKIKALIYUG3 ай бұрын
पूर्ण बकवास है आर्य समाज मेरे भाई।
@shona22623 ай бұрын
@@KALKIKALIYUGtumhare jese budhimaan vyakti ko ishwar sadbudhi de
@KALKIKALIYUG3 ай бұрын
@@shona2262 पढ़ लिया पूरा? पहले पढ़ लो, बिना पढ़े मैं निष्कर्ष नहीं देता।🙏 सद्बुद्धि की आवश्यकता आपको अधिक है।
@mahenderpalverma55485 ай бұрын
हमारा धर्म सत्य सनातन वैदिक धर्म है।
@shashiprabha98875 ай бұрын
सनातन कोई धर्म नहीं है बल्कि हम खुद सनातनी हैं
@Ram-q4u7x5 ай бұрын
@@shashiprabha9887bhai pehle dharm shabd ka arth Jano aur sanatan shabd ka arth pehele Sandi viched Karo phir tumhe apne aap pata chal jayega ❤
@SanataniArya835 ай бұрын
@@shashiprabha9887सनातन का अर्थ होता है ,सदा रहने वाला क्या आप का शरीर सदा रहेगा ? अगर आप का उत्तर" नही " है तो फिर सनातन क्या है ?
@shatrugunmajhi57375 ай бұрын
@@SanataniArya83bhai tera bat sahi hai sada rahne wala sada khane wala Lekin india me 90% mit machhli khata hai ? mit machhli khane wala aadmi hindu hai ki nhi
@shatrugunmajhi57375 ай бұрын
@@SanataniArya83gussa mat hona tera se jana chahte hai ye log hindu hai ki nhi
@devendrashastri92214 ай бұрын
वेद नित्य, सत्य और शाश्वत ग्रन्थ हैं ! योगी जी को यह पता होना चाहिए कि नित्य सत्य ज्ञान को कभी अपडेट किया ही नहीं जा सकता! जैसे गन्ना मीठा होता है, यह सत्य है , तो क्या भविष्य में कभी गन्ने में उसके मिठास - गुण को अपडेट करने की अपेक्षा होगी, कदापि नहीं!
@anuradhanandanrkyaduvanshi94894 ай бұрын
Genetic modification ke bare me kya khyal hai?
@devendrashastri92214 ай бұрын
@@anuradhanandanrkyaduvanshi9489 जैनेटिक मोडिफिकेशन के सम्बन्ध में स्पष्ट करें कि क्या जानना चाहते हैं
@devendrashastri92214 ай бұрын
@@anuradhanandanrkyaduvanshi9489 जैनेटिक मोडिफिकेशन के सम्बन्ध में स्पष्ट करें जी, कि क्या कहना चाहते हैं
@SatpalSingh-ty1wz19 күн бұрын
गुरु तो गुरू हैं. भेड़ चाल में हैं रामपॉल maharaj ji की पुस्तक "ज्ञान गंगा " में वेद प्रमाणित हैं. नहीं तो हिसार jail में डिबेट के लिए आए जहा पर प्रमाणित करने वाले रामपॉल maharaj ji रहते हैं. दुनिया में सनातन धर्म में भरम मत फैलाने का अनर्थ मत करो.
@chandrasingh84245 ай бұрын
त्रैगुण्य विषया वेदा...
@ramkrishandhakad10335 ай бұрын
अच्छा मंच है होना ही चाहिए,,सत्य स्पष्ट होकर ही रहता है।वेदो अखिलो धर्ममूलम्।
@rahulhindu26875 ай бұрын
सत्य वचन
@Amrendra6124 ай бұрын
Satya vachan❤
@SajanChaudhary-xg1fwАй бұрын
बहुत अच्छी बात गुरुजी ने बताई
@SajanChaudhary-xg1fwАй бұрын
जितने भी अवतार हुए यह धर्म के अनुसार लिए गए हैं आंखें यह सब गलत है इन अवतारों ने मानवता को तार तार किया
@SajanChaudhary-xg1fwАй бұрын
प्रकृति ही भगवान है
@ManishEntertainmentmusicCG4 ай бұрын
भगवान ने स्वय कहा है मुझे ज्ञान बुद्धि से नही जान सकते ❤❤❤
@laltaprasadprasad131723 күн бұрын
आपने भगवान के मुख से सुना ?
@shubhampatil322319 күн бұрын
Bhgwan swaroop santo k shree mukh se suna h
@Ss..Qx..trader..S113 күн бұрын
Sahi Baat Inshan ki Buddhi Mein Itni power nahi Hai Ki Bhagwan ko Jaan Paye lekin Prem se pukaroge to pahchan jaaoge
@NeerajGupta-vh2fn15 күн бұрын
योगी जी ने विश्वानी देव मंत्र का अर्थ किया ही नहीं था और गोल गोल घूम रहे हैं कि हम भी तो यही कह रहे थे, इन लोगों का यही चरित्र है की मुस्कुरा कर और माधुरी माधुरी बातें करके लोगों को ठगो। यह जो कह रहे हैं मैं साधना की है और भगवान से साक्षात वार्ता करी है इनका कोई पूछे यह जानते हैं की साधना क्या होती है समाधि के कितने अंग हैं, इन लोगों का बस एक ही सिद्धांत है खुद को ऐसा बता देना कि हम भगवान के बहुत करीब हैं और भोले भले लोग इनको पूजने लगे।
@rohitashkumar52852 ай бұрын
सत्य सनातन धर्म की जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम
@mayurpalle34812 ай бұрын
संत सतगुरु भगवान आपके चरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम आपका सवाल बहुत अच्छा है योगी जी का उत्तर नहीं दे पाए लेकिन मैं अपने सदगुरु और परमात्मा की कृपा से जो जाना है वह सुनाता हूं जो भगवान का ना हुआ अवतार है वह अपने गुरुजी से एक प्रश्न करते हैं वह प्रश्न में आप से भी कर रहा हूं मेने श्रुति स्मृति शस्त्र पुराणादि है पड़े यथा विधान कर्मों को उनके करके लखा तो भी मेरे मन की चंचलता मिटती नहीं अब बात अवतार भगवान और परमात्मा की करते हैं तो परमात्मा निराकार भी है सरकार भी है और परमात्मा कहते है मैं सर्व आकार में हूं यानी कण कण बस दिखाने वाला चाहिए परमात्मा और भगवान अलग है अलग होते हुए भी एक हैं भगवान हर इंसान है अवतारों को भगवान इसलिए कहा गया है क्योंकि वह परमात्मा के विशेष अंश है वह विश्व के अंश भाव से कह सकते हैं कि मैं ही परमात्मा हूं विशेष अंश यानी ज्ञानियों में श्रेष्ठ वैसे तो हम भी परमात्मा के अंश हैं और हम अज्ञानी है परमात्मा की माया में लुप्त है वैसे भगवान पांच तत्वों को कहा गया है इन्हीं पांच तत्वों से हर जीव का शरीर बना और इन्हीं पांच तत्वों में लय होना है यह परमात्मा का एक खेल है जिसे मानव सत्य मान बैठा है यह नवम बुद्ध अवतार का का ज्ञान है जो भगवान कृष्ण का गीता का ज्ञान है जो अर्जुन को विराट रूप दिखाया था वह कैसा विराट रूप इसमें लोग चमत्कार और कल्पना में फस गए जैसा टीवी में दिखाया जाता है वैसा मान लिया है उसी ज्ञान को बुद्ध भगवान ने सहज रूप से अपने भक्तों के लिए निचोड़ किया इसीलिए मैंने कहा भगवान और परमात्मा अलग है परमात्मा उसकी स्वयंभू लीला को कहा परमात्मा ना कहीं आता है ना कहीं जाता है ना बनता है ना बिगड़ा है अंदर बाहर एक समान वह अंशी है हम अंश है इसीलिए मेरे ज्ञानी भाइयों वेद बहुत बड़े होते हैं नहीं पढ़ पाते हैं इसीलिए प्रतिदिन गीता पढ़िए अपने घर पर जिसमें सभी मानवो का कल्याण छुपा हुआ अधिक जानकारी के लिए पहले अध्यात्म ज्ञान से जुड़े सतयुग में इस ज्ञान को आत्मज्ञान कहते त्रेता में इस ज्ञान को ब्रह्म ज्ञान द्वापर में इस ज्ञान को दिव्य चक्षु और कलयुग में इसे आध्यात्मिक ज्ञान कहते हैं यह जान वही है सतयुग वाला और यह उसे ही मिलेगा जिसका पुण्य उदय हुआ है साधारण आदमी तो अपने कान तक भी नहीं जाने देगा । ओम तत सत विश्वरूप परमात्मा जय हो सदगुरुदेव भगवान की
@jhankranandchaitny75Ай бұрын
'वेद'नाम जानने का है ।जानना, देखे 7:57 हुए
@jhankranandchaitny75Ай бұрын
'वेद'नाम जानने का है जानना, देखे हुए को दिखाना, वेद है। दिखाया नहीं, सुनाया है शुर्ति है वेद स्वयंभू है जो अपौरुषेय है जो आर्य समाजियों को जानकारी है शुर्ति पौरुषेय है।वेद दर्शाने वाली ऋचायें नारायण, ब्रह्मदेव महिर्षि प्रणीत हैं ब्रह्म विद्या में ऋचाऐं, की सिध्दी(साक्ष)करने को वेद प्रमाण माना जाता है वाकी सब शुर्ति है वेद स्वयंभू अपरोक्ष ज्ञान है अन्य परोक्षज्ञान है।।
Bahut dukh ki bat he manushya bahut gyani ho gaye he
@gurjarsena63065 ай бұрын
आप बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा आर्य समाज का जिन्होंने मेरे जीवन परिवर्तन किया
@jaipaljaipaul7449Ай бұрын
ਨਿਰਜੀਵ ਯਾ ਸੰਜੀਵ ਵਸਤੂਆਂ ਦਾ ਰਖਿਆ , ਨਾਂਮ ਨਹੀਂ ਸ਼ਬਦ ਹੁੰਦਾ ਹੈ...? ਜੇ ਨਾਂਮ ਹੀ ਰਖਣਾ ਹੈ ਤਾਂ ,32ਅਕਸ਼ਰਾ ਵਿਚੋਂ ਕੋਈ ਇੱਕ ...का ख या ग आदि हरि भाश का ऐक अक्षर नाम ,दो अक्षरों का जोड़ शब्द...?ऐक से सवाईया भी हो जाये तो शब्द कहलाते हैं...? कां,गां और मां आदि शब्द हैं , नाम नहीं....?
@sadashivsagitra94075 ай бұрын
Yogi ji पूरे समय हलवा करते रहे।सत्य भी सत्य है असत्य भी सत्य है किंतु अ के साथ।।।।केवल गोल गोल जलेबी बनाते रहे ,कोई ठोस प्रमाण नहीं।।।
@Abhay-nr9uj4 ай бұрын
वेद नित्य जब राम हुए तब भी वेद था । जब कृष्ण हुए तब भी वेद था । जैसे कि अश्वमेध यज्ञ राम जी ने किया जो कि यजुर्वेद के 22 अध्याय में प्रतिपादित है यज्ञ को ही सब कुछ माना गया है यज्ञ में ही ईश्वर का स्वरूप देखा गया है पुरुष सूक्त में यज्ञ की या उस नारायण का स्वरूप है उसकी व्याख्या किया गया है किंतु समय हमारे यहां ऋषियों ने शास्त्र स्मृति पुराण का का लेखन किया दयानंद सरस्वती जी 18 वीं शताब्दी के हैं उससे पूर्व हमारे यहां पतंजलि की आदि गुरु शंकराचार्य जी आदि ऋषि हुए हैं उन्होंने ईश्वर को स्वीकार किया है
@divyanshmaharaj24032 ай бұрын
काल्पनिक कहानियां मत बताओ
@Brahmachari-df7lk4 ай бұрын
मैं वेदों को मानने वाला हूं | मेरे लिए वेद ही परम प्रमाण है| वेद में लिखा है न तस्य प्रतिमा अस्ति यानी उसे परमात्मा की कोई प्रतिमा नहीं है यानी उसे परमात्मा के समान कोई भी वस्तु या पदार्थ पूरे संसार में नहीं है| इस मंत्र से जो साफ स्पष्ट हो जाता है कि वह ईश्वर अवतार नहीं लेता बिना शरीर के वह सारी सृष्टि बन सकता है चला सकता है प्रलय कर सकते हैं अथवा अनेक अनेक काम कर सकता है तो उसे अवतार लेने की आवश्यकता नहीं है इसलिए वह अवतार नहीं लेता|
@sitaramdaskakibaba3974Ай бұрын
जब यह पढ़ा है रामायण में यह भी तो लिखा है जानत तुमहि तुमहि होइ जाई।। पारस परस कुधातु सुहाई।। अगर योगी जी को भगवान दिखै होते तो यह स्थिति नहीं होते
@shailendramishra14645 ай бұрын
उपनिषद कहां से आए ... अरे भाई ये भी तो वेद से ही निकले हैं
@Brahmachari-df7lk4 ай бұрын
वेद अपौरुषेय है और उपनिषद को ऋषियों ने लिखा है
@radheshsharma8588Ай бұрын
पात्र बनो । कहना आसान है किन्तु पात्रता कैसे हो? यम,नियम,साधना,पवित्रता,ध्यान ,समाधी से?? शुद्ध उचाचारण? संस्कृत व्याकरण का ज्ञान ? मंत्रोच्चारण के लिए पात्रता ? ईश्वर को प्राप्त करने के लिए मानव बनना जरूरी है। मानवोचित कर्म करते हुए इस शरीर साधन से ही ईश्वरदर्शन,ध्यान साधना संभव है।
भारत भगवान का हृदय भगवान हृदय में ही रहते हैं अंग में नहीं
@Brahmachari-df7lk4 ай бұрын
भाई आज से ढाई 3000 साल पहले एक ही आर्यावर्त देश था उसमें चक्रवर्ती राजा शासन करते थे| जैस श्री रामचंद्र जी अपने समय में पूरे आर्यावर्त देश के चक्रवर्ती राजा थे| पहले तो देश ही एक था| आपके अनुसार देश मतलब हृदय पहले तो देश ही एक था तो पूरा संसार ही भगवान का हृदय होना चाहिए मतलब आपके अनुसार तब ईश्वर तो कहीं भी अवतार ले सकता था तो भारत में ही क्यों| मैं वेदों को मानने वाला हूं | मेरे लिए वेद ही परम प्रमाण है| वेद में लिखा है न तस्य प्रतिमा अस्ति यानी उसे परमात्मा की कोई प्रतिमा नहीं है यानी उसे परमात्मा के समान कोई भी वस्तु या पदार्थ पूरे संसार में नहीं है| इस मंत्र से जो साफ स्पष्ट हो जाता है कि वह ईश्वर अवतार नहीं लेता बिना शरीर के वह सारी सृष्टि बन सकता है चला सकता है प्रलय कर सकते हैं अथवा अनेक अनेक काम कर सकता है तो उसे अवतार लेने की आवश्यकता नहीं है इसलिए वह अवतार नहीं लेता|
@श्रीहरि-ङ4फ4 ай бұрын
@@Brahmachari-df7lk नाम ब्रह्मचारी है... और परमात्मा को रे ते कहकर संबोधित कर रहे हो... ये क्या तरीका है ! ------------------------------------------------- कह रहे हो.. की मै वेद को मानने वाला हूँ / तो क्या.... ये संस्कार वेदों से सीखे हो ! जरा बताना मुझे.. मैं जानने का इच्छुक हूँ ?? ऊँ.
@Brahmachari-df7lk4 ай бұрын
@@श्रीहरि-ङ4फ प्रिय भ्राता श्री, टाइपिंग में कोई भी प्रकार से गलती हो उसके लिए माफी चाहूंगा। कृपया करके बोल की खाल मत निकालो।
@श्रीहरि-ङ4फ4 ай бұрын
@@Brahmachari-df7lk मिस्टेक एक बार होता है.. बार बार नहीं / खैर --- मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता... मैने ये तुम्हारे लिए कहा.. की अपवाधबोध से बचो ! ----------------------------------------------------------- अब मैं.. चलना चाहूंगा --- हमसे कुछ पूछने की इच्छा है तो पूछ लो ?? ऊँ.
@sirajamani98952 ай бұрын
मैं एक मुसलमान हूं और निराकार एकेश्वर का मानने वाला हूं । विशाल साहब मैं और मुझमें मैं के साथ साथ विषय को भटकाने और सरल को कठिन करने के इलावा एक भी सार्थक उत्तर नहीं दे पा रहे । तार्किक और सरलता से समझने लायक अगली श्रंखला में प्रतीक्षा करूंगा ।
@shivdasverma14472 ай бұрын
मुस्लिम हो?? कुरान की खूनी आयते पढ़े हो??
@DevaEkoNaaraayanah2 ай бұрын
@@sirajamani9895 निराकार एकेश्वर ?🤣 कौनसी क़ुर'आन पढते हो भाई ? तुम्हारा ईश्वर कोई निराकार नही है बस उसे किसी ने देखा नही है ऐसा दावा है पर उसके हाथ पांव मुह सब है और ये क़ुरान ओ हदीस से साबित है ! तुम्हें अपने मज़हब की ही knowledge नही है और दूस्रों पे सवाल उठा rahe ।
@naushadsheik91272 ай бұрын
Tumhe kya malum hai apne dharm ka aapke guruko to gharm ka nam hi nahi malum, aur ex Muslim channel se galat Islam padhrahe ho
@mohdahmaddhaunratanda90012 ай бұрын
@@shivdasverma1447Bechara bhakt what's app university Ka gyan pel raho andhkar ki jindagi
@comehere29142 ай бұрын
आएं!! निराकार एकेश्वर इस्लाम में कब से हो गया? पहली बात कुरान में ईश्वर नहीं है अल्लाह और शैतान की जोड़ी है दोनों एक दूसरे के अपोजिट है। दूसरी बात कुरान का अल्लाह निराकार नहीं है क्योंकि वह 7वें अर्श नामक आसमान पर एक तखत पर बैठा है। बैठा वही होगा जिसका कोई आकार होता है। निराकार तत्व एक स्थान पर न तो बैठता है न लेटता है। कुरान ही कहती है अल्लाह ने आदम को अपने हाथों से बनाया है।तो अल्लाह के हाथ भी हैं निराकार कैसे हुआ?
@raghav2k53 ай бұрын
गुरूजी की बातों में तर्क है l
@princestudiomds3 ай бұрын
जब भी किसी दो लोगों से धर्म संवाद करे तो दोनों का सवाल जवाब का समय निर्धारित करे ताकि अपने समय में रहकर अपने विचार रख सके यहाँ योगी जी को ज़्यादा समय दिया गया गुरुजी को कम समय मिला तय समय नहीं होने का कारण गुरु जी बात को योगी जी बीच में काटते रहे ये सही नहीं है ये न्याय भी नहीं है समय निर्धारित कर संवाद करे
आपलोगों से नम्र निवेदन हैं कि. आपस में..बात बिगाड़ ना करो..बेद..पुराणों में..मिलावट खोरी किया गया है...सनातनी हिंदू संस्कृति को दबाने के लिए...सावधान रहने की आवश्यकता है...जय सियाराम
@niteshvaghela43335 ай бұрын
Guruji ko mera pranam🙏 Yogiji apani man ki baat kah rahe he Guruji ka saval ka javab to dehi nahi rahe
@drjyotishankartiwari9085 ай бұрын
परमात्मा सर्वव्यापी है औरनिराकार भी है जीव और परमात्मा में अंतर इतना ही है कि जीव शरीर को धारण करता है परमात्मा शरीर को धारण नहीं करता क्योंकि इसका विशिष्ट गुण निराकार है परंतु प्रत्येक पदार्थ को यह प्रभावित करता है इसलिए यह सर्वशक्तिमान है इसलिए इस अवतार लेने की आवश्यकता नहीं होती विशिष्ट कार्य के लिए आत्मा को प्रेरित करता है इस तरह प्रत्येक पदार्थ इनके अधीन है इसलिए परमात्मा सर्वशक्तिमान है आत्मा का अवतार होता है परमात्माका नहीं इसलिए वेद कहता है परमात्मा के विषय में नत्स्य प्रतिमा अस्ति इसलिए परमात्मा शक्ति के स्रोत हैं
@गुलशनआर्य4 ай бұрын
✌️😎👌
@rakeshvishwakarma25634 ай бұрын
जब शाश्वत परमात्मा पंचभूतों के द्वारा नश्वर अवतार धारण करता है, तब उसे भगवान कहा जाता है, और भगवान की ही प्रतिमा होती है, परमात्मा के विराट विश्वरूप की प्रतिमा संभव ही नहीं है । आत्मा, परमात्मा का ही स्वरूप है । 🚩जय श्री सीताराम 🙏
@rajendraprasad23214 ай бұрын
नास्तिको वेद निन्दक:।
@Manoharsingh-et2cq3 ай бұрын
Parampita paramatma nirakar Jyoti Bindu arthat Prakash swaroop hai, sarvashatiman hai, gyan,Pavitrata, Shanti, Shakti, sukh,Prem wa Anand ke sagar arthat sort hain.........parantu sabmain pyapt nahin hai 🙏
@Ghghh-v5l15 күн бұрын
Atma hi Parmatma hai
@ssonlytohidofficial890429 күн бұрын
Agar Ishwar Ne Avtaar Le Liya Fir Who Ishwar Nhi Raha 😂😂😂who Akaar me Agya Or Jo Akaar me Ajaye Who Ishwar Nhi 😂😂
@Smile_kukaaАй бұрын
इन्सान से ऊपर कोई नहीं ! यह आप पर निर्भर करता है कि आप इंसान हों या जानवर ........................? 1 भाषा का अविष्कार -इंसान द्वारा 2.लिखने वाला -इंसान 3. कागज का निर्माण -इंसान 4. वेद पुराण धर्मग्रंथों को लिखने वाला -इंसान 5.स्याही का अविष्कार -इंसान 6.पूरी दुनिया में एकमात्र बुद्धिमान जीव - इंसान 7.भगवान,अल्हा,परमात्मा ,रब, खुदा,गॉड शब्दों कि रचना करने वाला, उच्चारण करने वाला,बताने वाला, प्रमाण देनें वाला भी - इंसान 8. धर्मों कि रचना,निर्माण करने वाला - इंसान जब तक जिवित हों बस बुद्धीमान बनो, इंसानियत रखो ,इंसान होकर मुर्ख नहीं,क्योंकि आपसे से बड़ा इस प्रकृति मैं और कोई नहीं ! ईश्वर कि खोज नहीं, मानव द्वारा अविष्कार हुआ है, और ये मानव सभ्यता का आज तक सबसे विनाशकारी अविष्कार हैं.....? भाई इंसान होकर मूर्खता, भ्रांतियां, अंधविश्वास नहीं, विज्ञान अपनाओ.! जय ज्ञान - जय विज्ञान 🙏🙏🙏
@Singhtechnical90819Ай бұрын
You are right
@TheHiddenThingsАй бұрын
वेद का अर्थ शायद आपने नही सुना।। वेद का अर्थ है श्रुति । मतलब की सुनना वेद सुनकर लिखा है।
@Smile_kukaaАй бұрын
@@TheHiddenThings बोलने वाला मनुष्य ही होगा, तभी सुना !!
@TheHiddenThingsАй бұрын
@@Smile_kukaa ईश्वर ने वेद का ज्ञान चार ऋषियों को दिया । और ऋषि मुनि को मौखिकता की अवश्यकता नही होती।।
@d.s.dwivedi8246Ай бұрын
माना की इंसान ही सही है लेकिन इंसान को बनाया किसने, ये सोच और समझ दी किसने? वह कौन है जो इंसान के पहले था और बाद में भी रहेगा ?
@Rajmishra-j4o5 ай бұрын
जब निराकार है फिर ॐ नाम किसने रखा है
@ramdoot_utkarsh5 ай бұрын
Jo vedo ka Gyan de sakta h vo om nam q nhi bta sakta?
@गुलशनआर्य4 ай бұрын
पूरी गलेक्सी में ओऊम् का उच्चारण हो रहा है ये वेज्ञानिको ने भी मानी
@HaridevSharma-rc1jv5 ай бұрын
जैसे राष्ट्र पति की कोई पार्टी नहीं होती ठीक वैसे ही सृष्टि कर्ता ईश्वर का कोई मत महजब पथ सम्प्रदाय आदि अलग से नहीं होता है।। सत्य सनातन धर्म एक है और असत्य झूठ पाखंड मन घडंत पथ अनेक है। जय वेद भगवान्। ओउम्।
@manbahadurnepali70862 ай бұрын
ईसिलिए कस्मिर सेभागना पडा पंडिताे काे अाप बेद करते रहे अाैर अाे लाेग गिराेह बनाके अापका जायदाद हडिना चाहाते है
@vinodkumarkhatana29885 ай бұрын
अति सुन्दर संवाद सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय
@meditation.awekingbyyoga9373Ай бұрын
Pura naam me batata hu.. satya santan vaidik brahmin dharma....
@bahujandastak327Ай бұрын
तर्क यथार्थ/ज्ञान है, कुतर्क (बतकट्टा /योगी) है और सतर्क यानी सावधानी है। जानों समझों और जान समझ कर अम्ल करना चाहिए।
@puspitamohapatra2073 ай бұрын
I purely agreed with Yogi ji 🙏❤️ . It's really appreciate 👏🙏
@AlomAlom-c2v2 ай бұрын
Pagol
@GAVS1042 ай бұрын
योगी जी कुछ कहें हैं 😂😂😂
@TheHiddenThingsАй бұрын
हम तो केवल बुलडोजर वाले योगी जी को जानते हैं। छपरी कोई भी योगी बन नही जाता।
@truptisekhardeo871921 күн бұрын
Acharan se pata chal jata hai , Kaun kitne pani me hai. Ek tota bhi ratta Mar sakta hai par bhasya nehi de sakta . Yogi really heart touching.
@RavinderKumar-hm3hz2 ай бұрын
Lajpat Rai agarwal जी पूजनीय है चारो वेदो के प्रकाण्ड विद्वान दिखायी दे रहे है।मे उनके ज्ञान को कोटि कोटि नमन करता हु।मे परमात्मा मे विश्वास करता हु।जिस ने ये सृष्टि बनाई है।
@krishnabarot77014 ай бұрын
हवा जब चलती हे तो उसे महसूस कर सकते है लेकिन देख नही सकते किसी आकर में या दूसरे किसी भी तरह तो इस का मतलब ये थोड़ी हुआ की हवा का अस्तित्व नहीं है, अगर कोई कहता है हवा का अस्तित्व नहीं है तो फिर वह महसूस क्यों होती है। बस इसी तरह भगवान का असित्व है जो दिखता नहीं है लेकिन उसे हम हर जगह महसूस कर सकते है शक्ति स्त्रोत से ।
@divyanshmaharaj24032 ай бұрын
अरे भाई हवा को सिलेंडरो मे भरा गया और देखा भी गया कि कैसी होती है । कोई ईश्वर नही होता है
सतय कभी भी बदलता नही केवल झूठ ही अपडेट होता है. सभी मनुष्य कृत वस्तुएं संशोधन मांगती हैं. ईश्वरकृत कोई वस्तु संशोधित नहीं होती. आप उनको बिगाड अवश्य सकते हैं 🙏🕉️
@user-SanatanRaj5 ай бұрын
वैदिक धर्म और तथाकथित धर्मो की एक प्रमुख ग्रंथ होता है वैसे सृष्टि के आदि से वेद वैदिक धर्म का प्रमुख ग्रंथ वेद है वेद का अर्थ ज्ञान है जिसे ईश्वर ने सृष्टि के आदि में कुछ ऋषि मुनियों को समाधि की अवस्था मे दिया था वेदो श्रुति ग्रंथ भी कहते है जिसका अर्थ सुनकर कंठस्थ करना। ऋषियों मुनियों ने वेदो को अपने शिष्यों को सुनाकर कंठस्थ करवाया और फिर उसी ज्ञान को लिपिबद्ध करके चार भागों में लिखा गया वेदो को ज्ञान को जानकर ऋषियों मुनियों व अन्य लोगो ने सरल करके अन्य ग्रथो की रचना की। जो आर्ष ग्रंथ कहे जाते है बाकी सब अनार्ष ग्रंथ है अगर आपको किसी भी धार्मिक ग्रंथ जो बातें वेद विरुद्ध है उसे न माने जो बातें वेदो के अनुकूल उसे मानना चाहिए। और वेद कहते है कि बिना तर्क के क्योई भी बात माननी नही चाहिए। बुजुर्ग व्यक्ति ने निष्पक्ष और तार्किक बातें कही। लेकिन योगी जी 90% बिना सिर पैर की कर रहे है कुछ लोग अंधभक्त और पाखण्ड में फंसे रहना चाहते है अपने शास्त्रो को अध्ययन करें। अगर कुछ समझ न आये तो किसी परंपरागत वैदिक गुरूकुल के आचार्य जी संपर्क करके उनके सानिध्य में शास्त्रो का अध्ययन करें धन्यवाद🙏वेदो और गुरुकुलों की ओर लौटो🙏 ओ३म🙏
@Brahmachari-df7lk4 ай бұрын
ओम् 🚩
@user-SanatanRaj4 ай бұрын
@@Brahmachari-df7lk ओ३म नमस्ते🌹🙏☺️
@omkarnathmishra96652 ай бұрын
अकथ कहानी है । नेति नेति ।धन्यवाद बहुत बहुत धन्यवाद साधुवाद
@sarveshdassarveshdas4181Ай бұрын
इन दोनों महानभावों ने वेदों को पढ़ा तो होगा लेकिन वेदों को समझा नहीं है क्योंकि वेदों में परमात्मा साकार लिखा है दूसरी बात यह है कि परमात्मा का अवतार नहीं होता है परमात्मा पृकट होता है परमात्मा किसी के गर्भ से जन्म नहीं लेता है। रही बात भारत में परमात्मा के आने की लेकिन ऐसी बात नहीं । परमात्मा वेदों के अनुसार हर देश में पृकट होकर अपने सच्चे भक्तों को मिलते हैं।
@Mr.SAMIKSHAADHIKARI2 ай бұрын
Arya samaj ke logo ko apni baat bade paimane par rakhana chahiye inki bato me logic, reasoning aur authenticity hoti hai❤❤
@NaveenSharma-gq9qj2 ай бұрын
एक काम करों कोर्ट जाओ तब पता चलेगा तुमको जैसे मुल्ले गएँ थे राम मंदिर पर क्योंकि राम मंदिर जिन सबुतो पर बना है वो तो आर्यसमाज के हिसाब से गलत है
@Artist.RishikeshАй бұрын
पाखंडी होता है। आर्य समाज बाले
@girrajsinghpachahara2256Ай бұрын
पाखंदी तो योगी है दोनों प्रश्नों में से एक का भी जबाब और देकर पुराणी के ही गीत गा रहा है जा से जागृति तो बोलता है लेकिन जिद्दी क्यो नहीं मानता। मंगदंत को ओरिजिनल मानता है। @@Artist.Rishikesh
@RishiBhaiNoidaАй бұрын
भाई इनकी बहुत बड़ी संस्था है और प्रचार भी खूब करते हैं इनको लोग मानते ही नहीं हैं क्यूंकि ये विवाद पे उतारू हो जाते हैं अगर इनकी बात na मानो
@Mr.SAMIKSHAADHIKARIАй бұрын
@@RishiBhaiNoida bhai aapke Baton ka Samman hai lekin yah bataiye aaj ke Jamane mein prachar kaun nahin karta hai Sabse Jyada prajati yah Katha vachak hi Karte Hain jinki baten tarksangat Nahin Najar Aati Hain kam se kam Arya Samaj ki baten tarksangat to Najar Aati Hain
@Brahmachari-df7lk4 ай бұрын
दर्शनशास्त्र का वचन है ज्ञानेंमुक्ति: यानी ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है | यानी जब हम वेद और दर्शन शास्त्र पढके ज्ञान प्राप्त करते हैं तब हमें परमात्मा का सही स्वरूप पता चलता है हमें परमात्मा के गुण कर्म स्वभाव के बारे में पता चलता है| बिना ईश्वर को जाने ध्यान साधना व्यर्थ है क्योंकि व्यक्ति ध्यान ही उसी चीज का करता है जिसे वह जानता है बिना ईश्वर को जाने अगर व्यक्ति ध्यान करता है तो वह ध्यान नहीं वह उस व्यक्ति की कल्पना मात्र है| इसलिए मैं आदरणीय गुरुजी के बाद से सहमत हूं हमें ईश्वर को वेदों एवं दर्शन शास्त्र के माध्यम से जानना चाहिए और उसके बाद ध्यान करना चाहिए|
@kamaljain8919Ай бұрын
मानने वाला मूर्ख और अहंकारी होता है परंतु जानने वाला ज्ञानी और विनम्र होता है।
@bharamprakash3170Ай бұрын
यह टोपीबाज यह कहना चाह रहे है कि जहाँ जहाँ पाखंड पहुँच जायेगा भगवान् वहाँ ही अवतार ले लेगा आपके सारे भर्म दूर हो जायेंगे बुधाय की शरण मे जाओ
@ajitraonimbalkar37672 ай бұрын
यैशी चर्चा ये होती रहनी चाहिए ता कि भ्रम समाप्त हो के सत्य सबको पता चले❤