योगी विशाल जी ने बहुत अच्छा विश्लेषण किया है इसके लिए मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद जी वाह वाह जी
@Rahuldelhi44412 күн бұрын
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ भावार्थ : हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ।
@rockssearcher77733 күн бұрын
जय श्री राधे कृष्णा जी 🙏🙏🙏
@romyaromya12296 ай бұрын
सही कहा गुरु जी वेद में ही केवल मंत्र है
@DETHEPRAKASH6 ай бұрын
Mantra sirf Vedo me nahi hai,agar Maa kisi bete se kah rahi waha mat jao gir jayega,to ye usake liye mantra hi hai.....
@bikashraut6456 ай бұрын
Mana kisne kiya ? Par Pramaan keval ved hi hai yeh kehna galat hai ..warna toot jaoge aap
@amitattafe6 ай бұрын
Mantra ke mayne hai jisme mann ka tran ho yani jisse mann stambhit ho prasann ho
@VedicYaduvanshi6 ай бұрын
Upanishad me bhi hai
@rajendrakumartrivedi72562 ай бұрын
Yes pls see in Google there are also mantras@@VedicYaduvanshi
@rahulkalkhanda81482 күн бұрын
लाजपत राय जी को मैं नमन करता हूं के ईश्वर द्वारा रचित वेदों में बताएं सत्य के साथ खड़े हुए हैं
@OomKaurav29 күн бұрын
M yogi ji ki gaape na sunkar guruji ki baari ka intzaar karta raha bahhh gurujiiii🎉🎉🎉❤❤
@GAVS1043 ай бұрын
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्...💐💐💐
@kamtaprasad61403 ай бұрын
श्री मानव अगर ईश्वर है तो एक वर्ग पर पर क्यों दर्शन देता है यह एक विचाणिय प्रशन है
@shyamshakya20896 ай бұрын
75 वर्ष k गुरु जी 101%सत्य कह रहे है वेद k अनुसार. Om
@A-KR186 ай бұрын
सिर्फ उम्र से तुम नही बता सकते वो कितना ज्ञानी है😂
@realisticcoments2836 ай бұрын
आर्य समाजी बडे या तुकाराम महाराज ? तुकाराम जी कहते हैं: वेद अनंत बोलीला , अर्थ इतकाची साधिला, विठ्ठलाशी शरण जावे, निज निष्ठे नाम गावे!!
@Ram-q4u7x6 ай бұрын
@@A-KR18Yajurveda Aadhya 32 mantra 3 padhke aa khud kabhi ved nahi padha joh padhe hai unhe Gyan deta hai nastik kahika😂
@Ram-q4u7x6 ай бұрын
@@realisticcoments283ved bada ya tukaram ji Arya samaj wo kahta hai Jo ved mein likha hai ved virudh tum mante hoge hamm nahi
@realisticcoments2836 ай бұрын
@@Ram-q4u7x वेदका हम आदर करते है; लेकिन आर्यसमाज ने वेदों का अर्थ अपने मनगढंत रूप से किया है. तुकाराम महाराज के साथ तुम्हारे स्वामीने एक कोटी जन्म लिया तो भी बराबरी नहीं हो सकती; तुकाराम महाराज वैकुंठ गये, तुम्हारा महाराज विष से मर गया.
@bhaktisumangovindmaharaj41702 ай бұрын
परमात्मा दयालु है । दया गुण रह सकता है पर साकार नहीं हो सकते । वाह भाई वाह , बहुत अछा ज्ञान है
@chanramachhi6620Ай бұрын
यदा यदा ही धम्रस्य ग्लानिर भवः भारत। भगवत गीता
@manasukhbhaipatel40153 ай бұрын
जिंदगी मे सबको एक बार स्वामी विवेकानंद के पुरे सब ग्रंथो को संपूर्ण अवश्य पढना चाहिए उसके बिना सनातन धर्म को संपूर्ण समजना असंभव है
@getlucky8952Ай бұрын
Have your studied them yourself?
@kamaljain89193 ай бұрын
मानने वाला मूर्ख और अहंकारी होता है परंतु जानने वाला ज्ञानी और विनम्र होता है।
@chandrajeetvishwakarma95473 күн бұрын
मेरा समर्थन गुरु जी को। अवतार बाद एक ढकोसला है।
@SharnagatChoudhary-cz1mn2 ай бұрын
गुरू जी सभी प्रशनों का सीधा और सही उत्तर दिया। और योगी जी ने सिर्फ कहानियाँ बताई।
@radheshsharma85882 ай бұрын
पात्र बनो । कहना आसान है किन्तु पात्रता कैसे हो? यम,नियम,साधना,पवित्रता,ध्यान ,समाधी से?? शुद्ध उचाचारण? संस्कृत व्याकरण का ज्ञान ? मंत्रोच्चारण के लिए पात्रता ? ईश्वर को प्राप्त करने के लिए मानव बनना जरूरी है। मानवोचित कर्म करते हुए इस शरीर साधन से ही ईश्वरदर्शन,ध्यान साधना संभव है।
@183Astropankaj5 ай бұрын
सत्य सनातन वैदिक धर्म सहि है।गुरुजी हर शब्द सहि बोल रहेहै विशाल जि ने सत्य स्वीकार करन चाहिय।
@DayaramSuryvanshi13 күн бұрын
श्री यौगी विशाल जी और नेहा, राजपूत और गुरु जी आप 3को बहुत बहुत धन्यवाद जी बहुत अच्छा विश्लेषण किया है
@omkarnathmishra96653 ай бұрын
अकथ कहानी है । नेति नेति ।धन्यवाद बहुत बहुत धन्यवाद साधुवाद
@Boot-p5u6 ай бұрын
Om hi satya h🎉
@princestudiomds4 ай бұрын
जब भी किसी दो लोगों से धर्म संवाद करे तो दोनों का सवाल जवाब का समय निर्धारित करे ताकि अपने समय में रहकर अपने विचार रख सके यहाँ योगी जी को ज़्यादा समय दिया गया गुरुजी को कम समय मिला तय समय नहीं होने का कारण गुरु जी बात को योगी जी बीच में काटते रहे ये सही नहीं है ये न्याय भी नहीं है समय निर्धारित कर संवाद करे
@parbhakarprasad1532 ай бұрын
@@princestudiomdsअग्रवाल साहेब को हरियाण मे विराजमान साकार हरि बाबा के चरण मे शरण ले के तोडा ज्ञान अर्जन करना चाहिए क्योङ्कि उन सेशबढकर कोई नही है। श्रुत है कि * न हरेश्च परम् न हरेश्च परम्*
@exploreindia78056 ай бұрын
I am with Aggarwal ji. Jasa jasa i listen you. I become fan of you. Now I will study Arya samaj
@Rashtriye_swamsevak_billa5 ай бұрын
Same I'll also study about arya samaj
@NaveenSharma-qu9jq5 ай бұрын
Read Satyarth Prakash first.
@KALKIKALIYUG4 ай бұрын
पूर्ण बकवास है आर्य समाज मेरे भाई।
@shona22624 ай бұрын
@@KALKIKALIYUGtumhare jese budhimaan vyakti ko ishwar sadbudhi de
@KALKIKALIYUG4 ай бұрын
@@shona2262 पढ़ लिया पूरा? पहले पढ़ लो, बिना पढ़े मैं निष्कर्ष नहीं देता।🙏 सद्बुद्धि की आवश्यकता आपको अधिक है।
@VeerSingh-vt5ssАй бұрын
प्रणाम आर्य समाजी को। जैसा हमने सुना है सुनते आये है। सभी धर्म के ठेकेदारो को, धर्म गुरुओं को, कथा वाचकों को, जगत गुरूओं, ज्ञानीयों को कोई परमेस्वर का जानकारी नहीं है। वेदों में, उपनिषदों, गीता, महाभारत, रामयण, रामचरितमानस, कुरान, बाईबल, पुराणों में ऋषि, संतों, ज्ञानीयों के विचार लिखा है, अनुभव लिख, ये सभी साहित्य है, काव्य है, गद्ध है। उपन्यास है क्योंकि ये लिखे किसने लिखा जो न तो उस समय पैदा हुआ, न देखने वालों था, सुनने वालो था, तो इनको परमेस्वर से क्यों आंका जाये।
@arunthakur53505 ай бұрын
🙏🌹धन निरंकार जी 🌹🙏 🙏🌹 परमात्मा को मानना और जानने में बहुत अंतर है 🌹🙏 🙏🌹 परमात्मा शब्द में नहीं आ सकता और कहीं कोई जगह खाली नही है 🌹🙏
@MADHURANA-kt4di5 ай бұрын
Yk Rana 29:05
@vijendraverma7995 ай бұрын
यह अच्छी चर्चा है। जब वेद एवं तर्कों के अनुसार सृष्टिकर्ता परमात्मा निराकार, सर्वव्यापी है तो वह सब स्थानों पर पहले ही है तो उसको अवतार लेने की आवश्यकता ही नही है। इसलिए अवतारवाद का सिद्धान्त गलत है। अतः अवतार होने प्रश्न नहीं उठता। जहां भी अवतार का समर्थन किया गया है वह भ्रमात्मक है। अवतारवाद के कारण बहुत से गलत विचार प्रचलित हो गये हैं। जब निराकार है तो परमात्मा की मूर्ती भी नहीं बनाई जा सकती। जड मूर्ति पूजा के कारण मजार पूजा भी प्रचलित हो गयी है और मूर्तियो व मजार पर चढावा चढाने का प्रचार करके जनता को चढावा चढाने के लिए प्रेरित किया जाता और चढावे को प्रचारकों व पुजारियों द्वारा उठा लिया जाति है। कुछ व्यक्ति अपने को ईश्वर या ईश्वर का अवतार बताकर चढावे आदि के द्वारा लूट रहे हैं। विद्वानों का कर्तव्य है कि वेद व तर्क के अनुसार सृष्टिकर्ता परमात्मा, आत्मा, व प्रकृति के गुणों व परिभाषा का सही सही प्रचार करके जनता से अज्ञान को दूर करें।
@hetvantbarot44734 ай бұрын
Nirakar ka arth bina aakar nahihe.
@mstomar1684 ай бұрын
@@hetvantbarot4473यहां निर उपसर्ग किस अर्थ में है
@mstomar1684 ай бұрын
बताओ
@realisticcoments2833 ай бұрын
@@vijendraverma799 कलिके पहले सत्य, त्रेता, द्वापार युग में भी विद्वान, मनिषि हो चुके हैं. उनका भी आदर करना कर्तव्य है. गीता कहती है: यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् !! मतलब अवतार होते है. अब बताओ, हम आपका और दयानंद जी का सुने या भगवान श्रीकृष्ण का सुने?
@aryangupta81553 ай бұрын
Mujhe ye bata itne sare grah hi prithivi par hi jeevan kyu hi.....
@puspitamohapatra2074 ай бұрын
I purely agreed with Yogi ji 🙏❤️ . It's really appreciate 👏🙏
@AlomAlom-c2v3 ай бұрын
Pagol
@GAVS1043 ай бұрын
योगी जी कुछ कहें हैं 😂😂😂
@TheHiddenThings2 ай бұрын
हम तो केवल बुलडोजर वाले योगी जी को जानते हैं। छपरी कोई भी योगी बन नही जाता।
@truptisekhardeo8719Ай бұрын
Acharan se pata chal jata hai , Kaun kitne pani me hai. Ek tota bhi ratta Mar sakta hai par bhasya nehi de sakta . Yogi really heart touching.
मैं आर्यसमाज और उसके विद्वानों के प्रति श्रद्धा और सम्मान रखता हूं और जानता हूं कि वे सत्य को जानते एवम् समझते हैं परंतु यह भी जानता हूं की आम आदमी वास्तव में ज्ञानी और पंडित नही है।इस एपिसोड में कई कमेंट देखकर लगता है कि सत्य को जानने या स्वीकार करने में उनका ज्ञान समर्थ ही नहीं है। मेरे विचार से इस संबंध में मैं आर्य समाजियों से भी निवेदन करना चाहता हु कि वे मूर्ति पूजा को उस पहली कक्षा के बच्चे के समान समझे कि वह बच्चा अ एक अक्षर है,नही जानता वह अ से अनार ही बोलेगा अगली कक्षा में अ से अनार के साथ अमरूद,अन्नानास, अदरख भी पढ़ता है तब उसे पता चलता है कि अ से बहुत शब्द बनते हैं अ अनार नही एक स्वतंत्र अक्षर है उसी प्रकार यदि मूर्ति पूजक भी यह सत्य जान ले कि मूर्ति में भी भगवान हैं,ठीक वैसे ही जैसे कण कण में हैं,किंतु मूर्ति ही भगवान नहीं है।परंतु पौराणिक मूर्ति को ही भगवान मान बैठा है उसका ज्ञान आगे बढ़ना ही नही चाहता।
@Jiwandarshnam195 ай бұрын
आपने सत्य वचन कहा है मान्यवर ❤❤
@dhirendrakumaryadav99775 ай бұрын
वाह अदभुत धन्य हैं आप को प्रणाम है
@user-tg8sb6dv1e5 ай бұрын
आस्था का संबंध भाव से है, मूर्ति के रूप में भाव प्रदर्शित किए जाते हैं और उन्हें ही निहिलाया खिलाया और सुलाया जाता है।
@Jiwandarshnam195 ай бұрын
@@user-tg8sb6dv1e 🤦♂🖐😃😃😃🤣
@bhuwanchandrapandey25255 ай бұрын
अत्यंत सहज व सरल अभिव्यक्ति।।ज्ञान का परम तो अ उ म से शब्द ब्रह्म को जान लेना है जो कि ध्वनि ॐ है जिसे माहेश्वर सूत्र में शिव के डमरू से पाण्नी महाराज ने प्रथम बार सुना,। तो *म* मकार से मौनता की अनुभूतिगम्यता हेतु हमारे सामने रख दिया। कोई सांसारिक ध्वनि नही केवल अनहद ॐ😊वही परमब्रह्म:तत्सत।।
@gurjarsena63066 ай бұрын
आप बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा आर्य समाज का जिन्होंने मेरे जीवन परिवर्तन किया
@yagyapalsingh3508Күн бұрын
धर्म का नाम जानने के लिए एक है। धर्म का ज्ञान बहुत विस्तृत है। सम्पूर्ण वेद में धर्म ही है। इतना विस्तार है धर्म का। परन्तु नाम के रूप में जानने के लिए एक ही नाम है।
@ajitraonimbalkar37673 ай бұрын
यैशी चर्चा ये होती रहनी चाहिए ता कि भ्रम समाप्त हो के सत्य सबको पता चले❤
@Vaidikdhara5 ай бұрын
महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज की जय कृणवन्तोविश्मार्यम् 🙏🚩
@bhuwanthulangrai3 ай бұрын
Three of you are humbly requested to not waste this precious time with futile gossips for confusing relegions. The relegion, God and Goddess are True only that are witnessed alongwith the creation by Sun, Moon and the Planets. Apart from above, this earth, plants and animals are also giving witnesses for the Allohim God foretold in the Bible. To clearly know about the Real Divine Parents, you should concern with the teachers into the Zion nearby your hometown. The Zion is Church of God only where the Passover Festivals are often celebrated, but not the other churches. Re-incarnation and Ressuraction both are possible if God desires. For those who are said to be gods themselves in India or any where they are frauds. Because for the re-incarnation, or messenger for the God to come in this world are already predicted in the Bible 2100 to 3500 BC.
@SintuKumar-q8o3dАй бұрын
Akmaeakvijdinakvijdinakmaeho
@dhananjaysingh80966 ай бұрын
सनातन धर्म की जय
@rameshtiwari64576 ай бұрын
Sanatan Vedic Dharma ! Bolo.
@RakeshSingh-pz3nl6 ай бұрын
Satya Sanatan Vadikdharm
@rohitashkumar52853 ай бұрын
सत्य सनातन धर्म की जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम
@ManishEntertainmentmusicCG5 ай бұрын
भगवान ने स्वय कहा है मुझे ज्ञान बुद्धि से नही जान सकते ❤❤❤
@laltaprasadprasad1317Ай бұрын
आपने भगवान के मुख से सुना ?
@shubhampatil3223Ай бұрын
Bhgwan swaroop santo k shree mukh se suna h
@ankursaxena12846 ай бұрын
आपने बिल्कुल सही कहाँ है गुरु जी ने 🙏🕉️
@MdAbdullah-om7qx2 ай бұрын
सारी बात वेद की रोशनी में होना चाहिए आप का सवाल बहुत ही अच्छा है कि सारे भगवान भारत में कयो आते हैं।जबकि भगवान ने सारी दुनिया की बनाया है
@ShantanuJh2 ай бұрын
क्योंकि भारत जो अभी है भारत का बहुत छोटा हिस्सा है, जंबू द्वीप के बारे में पढ़ें लगभग पूरी दुनिया ही भारत का हिस्सा था
@nawalkishoreyadav24462 ай бұрын
भाइ क्या सिर्फ भारतके लोग ही भगवानको पूजते है?आप जहाँ भी नजर उठाके देखो वहाँके लोग किसि न किसि भगवानको पूजते ही हैं जिस देशका जैसा भेष भाषा है ईश्वर वैसा ही है...
@Kingkong-dj7vs2 ай бұрын
@@ShantanuJh Kiyonki bhagwaan unchi jaat ka h isliye usne Bharat me aakar jaatiya banani thi 😂 Neechli jaati waalo ko gulaam banana tha Taake asaraam raam rheem chimyanand raampal Baba radhey maa jese babao ko apna dharm nibhane me asaani ho sake
@ManashaSwarnkar08306 ай бұрын
वेदों का ज्ञान आज की youth के लिए अनिवार्य है। कृपया कोई भी धर्म से जुड़े सवाल और उसके सही उतर ढूँढने का सही प्रयास करे। वेदों के ज्ञान के पूर्ण ही हम सब भारत वासी हर सवाल के सटीक उतर देने योग्य बनेंगे। 🙏🏻
@saptsindhusindhu20846 ай бұрын
बहुत सही कहा 👍
@tasnimali56595 ай бұрын
Jis dharm me bahut saare bhagwan ko puja jata hai use dharm nahi pakkhand kehte hai😃😃😃kaafir
बहन जी धर्म तो एक ही है बाकी तो सब मजहब एवं पंत हैं धर्म तो केवल सनातन वैदिक धर्म है
@Adesh-f5u4 ай бұрын
बहन जी आप ऐसी चर्चा निरंतर करती रहे जिससे समाज की आंखें खोल सके आज आज ऐसे लोगों ने समाज में भ्रांति फैला रखी है आज आए दिन मौतें हो रही है
@TanuSonwani-e7x3 ай бұрын
गुरूजी पढ़े लिखे गधे हैं ई
@mahenderpalverma55486 ай бұрын
हमारा धर्म सत्य सनातन वैदिक धर्म है।
@shashiprabha98876 ай бұрын
सनातन कोई धर्म नहीं है बल्कि हम खुद सनातनी हैं
@Ram-q4u7x6 ай бұрын
@@shashiprabha9887bhai pehle dharm shabd ka arth Jano aur sanatan shabd ka arth pehele Sandi viched Karo phir tumhe apne aap pata chal jayega ❤
@SanataniArya836 ай бұрын
@@shashiprabha9887सनातन का अर्थ होता है ,सदा रहने वाला क्या आप का शरीर सदा रहेगा ? अगर आप का उत्तर" नही " है तो फिर सनातन क्या है ?
@shatrugunmajhi57376 ай бұрын
@@SanataniArya83bhai tera bat sahi hai sada rahne wala sada khane wala Lekin india me 90% mit machhli khata hai ? mit machhli khane wala aadmi hindu hai ki nhi
@shatrugunmajhi57376 ай бұрын
@@SanataniArya83gussa mat hona tera se jana chahte hai ye log hindu hai ki nhi
@SarkarswarupShrivastava2 ай бұрын
Very healthy discussion to find truth . Channel deserves our grateful thanks !
@devendrashastri92215 ай бұрын
वेद नित्य, सत्य और शाश्वत ग्रन्थ हैं ! योगी जी को यह पता होना चाहिए कि नित्य सत्य ज्ञान को कभी अपडेट किया ही नहीं जा सकता! जैसे गन्ना मीठा होता है, यह सत्य है , तो क्या भविष्य में कभी गन्ने में उसके मिठास - गुण को अपडेट करने की अपेक्षा होगी, कदापि नहीं!
@anuradhanandanrkyaduvanshi94895 ай бұрын
Genetic modification ke bare me kya khyal hai?
@devendrashastri92215 ай бұрын
@@anuradhanandanrkyaduvanshi9489 जैनेटिक मोडिफिकेशन के सम्बन्ध में स्पष्ट करें कि क्या जानना चाहते हैं
@devendrashastri92215 ай бұрын
@@anuradhanandanrkyaduvanshi9489 जैनेटिक मोडिफिकेशन के सम्बन्ध में स्पष्ट करें जी, कि क्या कहना चाहते हैं
@raghav2k54 ай бұрын
गुरूजी की बातों में तर्क है l
@princestudiomds4 ай бұрын
जब भी किसी दो लोगों से धर्म संवाद करे तो दोनों का सवाल जवाब का समय निर्धारित करे ताकि अपने समय में रहकर अपने विचार रख सके यहाँ योगी जी को ज़्यादा समय दिया गया गुरुजी को कम समय मिला तय समय नहीं होने का कारण गुरु जी बात को योगी जी बीच में काटते रहे ये सही नहीं है ये न्याय भी नहीं है समय निर्धारित कर संवाद करे
@NickName-o9z3 ай бұрын
Kutark he
@krishnabarot77016 ай бұрын
हवा जब चलती हे तो उसे महसूस कर सकते है लेकिन देख नही सकते किसी आकर में या दूसरे किसी भी तरह तो इस का मतलब ये थोड़ी हुआ की हवा का अस्तित्व नहीं है, अगर कोई कहता है हवा का अस्तित्व नहीं है तो फिर वह महसूस क्यों होती है। बस इसी तरह भगवान का असित्व है जो दिखता नहीं है लेकिन उसे हम हर जगह महसूस कर सकते है शक्ति स्त्रोत से ।
@divyanshmaharaj24033 ай бұрын
अरे भाई हवा को सिलेंडरो मे भरा गया और देखा भी गया कि कैसी होती है । कोई ईश्वर नही होता है
@nawalchandmahawar4792Ай бұрын
गुरुजी की बात सत्य है गुरुजी नमस्ते
@sirajamani98953 ай бұрын
मैं एक मुसलमान हूं और निराकार एकेश्वर का मानने वाला हूं । विशाल साहब मैं और मुझमें मैं के साथ साथ विषय को भटकाने और सरल को कठिन करने के इलावा एक भी सार्थक उत्तर नहीं दे पा रहे । तार्किक और सरलता से समझने लायक अगली श्रंखला में प्रतीक्षा करूंगा ।
@shivdasverma14473 ай бұрын
मुस्लिम हो?? कुरान की खूनी आयते पढ़े हो??
@DevaEkoNaaraayanah3 ай бұрын
@@sirajamani9895 निराकार एकेश्वर ?🤣 कौनसी क़ुर'आन पढते हो भाई ? तुम्हारा ईश्वर कोई निराकार नही है बस उसे किसी ने देखा नही है ऐसा दावा है पर उसके हाथ पांव मुह सब है और ये क़ुरान ओ हदीस से साबित है ! तुम्हें अपने मज़हब की ही knowledge नही है और दूस्रों पे सवाल उठा rahe ।
@naushadsheik91273 ай бұрын
Tumhe kya malum hai apne dharm ka aapke guruko to gharm ka nam hi nahi malum, aur ex Muslim channel se galat Islam padhrahe ho
@mohdahmaddhaunratanda90013 ай бұрын
@@shivdasverma1447Bechara bhakt what's app university Ka gyan pel raho andhkar ki jindagi
@comehere29143 ай бұрын
आएं!! निराकार एकेश्वर इस्लाम में कब से हो गया? पहली बात कुरान में ईश्वर नहीं है अल्लाह और शैतान की जोड़ी है दोनों एक दूसरे के अपोजिट है। दूसरी बात कुरान का अल्लाह निराकार नहीं है क्योंकि वह 7वें अर्श नामक आसमान पर एक तखत पर बैठा है। बैठा वही होगा जिसका कोई आकार होता है। निराकार तत्व एक स्थान पर न तो बैठता है न लेटता है। कुरान ही कहती है अल्लाह ने आदम को अपने हाथों से बनाया है।तो अल्लाह के हाथ भी हैं निराकार कैसे हुआ?
@mayurpalle34813 ай бұрын
संत सतगुरु भगवान आपके चरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम आपका सवाल बहुत अच्छा है योगी जी का उत्तर नहीं दे पाए लेकिन मैं अपने सदगुरु और परमात्मा की कृपा से जो जाना है वह सुनाता हूं जो भगवान का ना हुआ अवतार है वह अपने गुरुजी से एक प्रश्न करते हैं वह प्रश्न में आप से भी कर रहा हूं मेने श्रुति स्मृति शस्त्र पुराणादि है पड़े यथा विधान कर्मों को उनके करके लखा तो भी मेरे मन की चंचलता मिटती नहीं अब बात अवतार भगवान और परमात्मा की करते हैं तो परमात्मा निराकार भी है सरकार भी है और परमात्मा कहते है मैं सर्व आकार में हूं यानी कण कण बस दिखाने वाला चाहिए परमात्मा और भगवान अलग है अलग होते हुए भी एक हैं भगवान हर इंसान है अवतारों को भगवान इसलिए कहा गया है क्योंकि वह परमात्मा के विशेष अंश है वह विश्व के अंश भाव से कह सकते हैं कि मैं ही परमात्मा हूं विशेष अंश यानी ज्ञानियों में श्रेष्ठ वैसे तो हम भी परमात्मा के अंश हैं और हम अज्ञानी है परमात्मा की माया में लुप्त है वैसे भगवान पांच तत्वों को कहा गया है इन्हीं पांच तत्वों से हर जीव का शरीर बना और इन्हीं पांच तत्वों में लय होना है यह परमात्मा का एक खेल है जिसे मानव सत्य मान बैठा है यह नवम बुद्ध अवतार का का ज्ञान है जो भगवान कृष्ण का गीता का ज्ञान है जो अर्जुन को विराट रूप दिखाया था वह कैसा विराट रूप इसमें लोग चमत्कार और कल्पना में फस गए जैसा टीवी में दिखाया जाता है वैसा मान लिया है उसी ज्ञान को बुद्ध भगवान ने सहज रूप से अपने भक्तों के लिए निचोड़ किया इसीलिए मैंने कहा भगवान और परमात्मा अलग है परमात्मा उसकी स्वयंभू लीला को कहा परमात्मा ना कहीं आता है ना कहीं जाता है ना बनता है ना बिगड़ा है अंदर बाहर एक समान वह अंशी है हम अंश है इसीलिए मेरे ज्ञानी भाइयों वेद बहुत बड़े होते हैं नहीं पढ़ पाते हैं इसीलिए प्रतिदिन गीता पढ़िए अपने घर पर जिसमें सभी मानवो का कल्याण छुपा हुआ अधिक जानकारी के लिए पहले अध्यात्म ज्ञान से जुड़े सतयुग में इस ज्ञान को आत्मज्ञान कहते त्रेता में इस ज्ञान को ब्रह्म ज्ञान द्वापर में इस ज्ञान को दिव्य चक्षु और कलयुग में इसे आध्यात्मिक ज्ञान कहते हैं यह जान वही है सतयुग वाला और यह उसे ही मिलेगा जिसका पुण्य उदय हुआ है साधारण आदमी तो अपने कान तक भी नहीं जाने देगा । ओम तत सत विश्वरूप परमात्मा जय हो सदगुरुदेव भगवान की
@jhankranandchaitny752 ай бұрын
'वेद'नाम जानने का है ।जानना, देखे 7:57 हुए
@jhankranandchaitny752 ай бұрын
'वेद'नाम जानने का है जानना, देखे हुए को दिखाना, वेद है। दिखाया नहीं, सुनाया है शुर्ति है वेद स्वयंभू है जो अपौरुषेय है जो आर्य समाजियों को जानकारी है शुर्ति पौरुषेय है।वेद दर्शाने वाली ऋचायें नारायण, ब्रह्मदेव महिर्षि प्रणीत हैं ब्रह्म विद्या में ऋचाऐं, की सिध्दी(साक्ष)करने को वेद प्रमाण माना जाता है वाकी सब शुर्ति है वेद स्वयंभू अपरोक्ष ज्ञान है अन्य परोक्षज्ञान है।।
Bahut dukh ki bat he manushya bahut gyani ho gaye he
@drjyotishankartiwari9086 ай бұрын
दुख का कारण क्या है आत्मा शरीर को धारण करता है शरीर के दुख सुख का अनुभव करता है परमात्मा शरीर को धारण नहीं करता इसलिए दुख सुख से पड़े हैं इसलिए परमानंद के आसन पर प्रतिष्ठित है आत्मा और परमात्मा में इतना ही अंतर है परमात्मा सर्वव्यापी है मगर आत्मा सर्वव्यापी नहीं है दोनों दो पदार्थ हैं अतः जीव और परमात्मा का संबंध एक प्रजापत पुत्र के समान है अतः अलख निरंजन है
@Undertaker-qi1lc6 ай бұрын
दुःख का कारण सुख है क्योंकि दुःख और सुख पृथक नहीं है जब सुख होता है तभी तो दुःख होता है
@SandeepKumar-xs7thАй бұрын
Excellent Yogi ji
@peejushdutta98923 ай бұрын
योगी जी का ज्ञान इस विषय पर असाधारण है। गुरूजी का ज्ञान अल्प है ,वे अपनी बात को स्पष्ट करने में कुतर्क एवं ज्ञानी दिखा रहे हैं। धर्म का एक अर्थ कर्तव्य भी कहा गया है। व्यक्ति का उच्च आचरण एवं कर्म ही उसे अवतार का रुप देते हैं।
@monikayesth43343 ай бұрын
ताऊ dhore ratta हुआ gyan है
@TheHiddenThings2 ай бұрын
हिंदुओ का धार्मिक ग्रंथ क्या है _ वेद तो धर्म क्या हुआ वैदिक धर्म , सिम्पल❤
@user-tg8sb6dv1e4 ай бұрын
मैं भी देखा परम शक्ति को , आवाज भी सुनी , अनुभव तो हर कभी होते रहते हैं । ईश्वर है उसका अस्तित्व भी है और यह सब पारलौकिक चीज हर व्यक्ति को दिखाई नहीं देती और अनुभव नहीं होता ।
@rabindibya17062 ай бұрын
Ha mai vi dekhta hu roj o aate hai mera pair dawate hai or kavi laxmi ke rup me to kavi parwati ke rup me mujhe sex karne deti hai or chali jati hai
@ramkrishandhakad10336 ай бұрын
अच्छा मंच है होना ही चाहिए,,सत्य स्पष्ट होकर ही रहता है।वेदो अखिलो धर्ममूलम्।
@rahulhindu26876 ай бұрын
सत्य वचन
@Amrendra6125 ай бұрын
Satya vachan❤
@SajanChaudhary-xg1fw2 ай бұрын
बहुत अच्छी बात गुरुजी ने बताई
@SajanChaudhary-xg1fw2 ай бұрын
जितने भी अवतार हुए यह धर्म के अनुसार लिए गए हैं आंखें यह सब गलत है इन अवतारों ने मानवता को तार तार किया
@SajanChaudhary-xg1fw2 ай бұрын
प्रकृति ही भगवान है
@kushalpalsingh5013Ай бұрын
वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है वेद का पढना पढाना व सुनना सुनाना सब आर्यो का परम धर्म है।
@AbhishekTiwari11116 ай бұрын
महऋषि दयानंद सरस्वती जी की जय।
@realisticcoments2835 ай бұрын
What is His parampara?
@suryana7895 ай бұрын
🙏🙏🙏❤️❤️
@suryana7895 ай бұрын
@realistiवेद की मन्ये और किसी का नहीं ccoments283
@ooboytrends5 ай бұрын
शास्त्री जी को नमन। वेद ही जीवन है। हम सभी को वेद पढ़ना और पढ़ना परम कर्तव्य है। 🚩🙏🏻
@Radheshyamthakur569413 ай бұрын
वेदों मे मूर्खतापूर्ण बातें लिखी गयी है।मूर्ख बनना चाहते हो तो आपको बधाई
@jasbirsingh-yh4rtАй бұрын
Sahi Baat Kahi @@Radheshyamthakur56941
@vloggingplanet6464Ай бұрын
#sciencejourney par jao aur ved khokar dikhate h kitna gahtiya book hai..
@Radheshyamthakur56941Ай бұрын
@@ooboytrends वेद जैसी घटिया बुक कोई हो ही नही सकता । शायद आपने पढ़ा नही है । स्वध्ययन करो भाई तब पता चलेगा क्या क्या गंदगी भरी पड़ी है।
@RishuRaj-ud8lg4 ай бұрын
Yogi ji sach me gyani vyakti h...👌👌👌
@AshwaniAwasthi-bc5vv3 күн бұрын
Satya sanatan Vedic dharm
@AshwaniAwasthi-bc5vv3 күн бұрын
Hari vyapak sarvatra Samana Prem se Pragati hoy men jana
@arya.bharat54096 ай бұрын
अग्रवाल जी सत्यबोल रहे हैं
@rajkumarjha70984 ай бұрын
केवल पढ़ने से पुस्तक ज्ञान होता गुरु से ज्ञान की समझ और सिद्धि प्राप्त होती है
@manbahadurnepali70863 ай бұрын
Lगुरुका मतलब है सिन्डिगेट
@Mr.SAMIKSHAADHIKARI3 ай бұрын
Arya samaj ke logo ko apni baat bade paimane par rakhana chahiye inki bato me logic, reasoning aur authenticity hoti hai❤❤
@NaveenSharma-gq9qj3 ай бұрын
एक काम करों कोर्ट जाओ तब पता चलेगा तुमको जैसे मुल्ले गएँ थे राम मंदिर पर क्योंकि राम मंदिर जिन सबुतो पर बना है वो तो आर्यसमाज के हिसाब से गलत है
@Artist.Rishikesh3 ай бұрын
पाखंडी होता है। आर्य समाज बाले
@girrajsinghpachahara22562 ай бұрын
पाखंदी तो योगी है दोनों प्रश्नों में से एक का भी जबाब और देकर पुराणी के ही गीत गा रहा है जा से जागृति तो बोलता है लेकिन जिद्दी क्यो नहीं मानता। मंगदंत को ओरिजिनल मानता है। @@Artist.Rishikesh
@Rishikspeaks2 ай бұрын
भाई इनकी बहुत बड़ी संस्था है और प्रचार भी खूब करते हैं इनको लोग मानते ही नहीं हैं क्यूंकि ये विवाद पे उतारू हो जाते हैं अगर इनकी बात na मानो
@Mr.SAMIKSHAADHIKARI2 ай бұрын
@@Rishikspeaks bhai aapke Baton ka Samman hai lekin yah bataiye aaj ke Jamane mein prachar kaun nahin karta hai Sabse Jyada prajati yah Katha vachak hi Karte Hain jinki baten tarksangat Nahin Najar Aati Hain kam se kam Arya Samaj ki baten tarksangat to Najar Aati Hain
@RamwatiDevi-y6z7 сағат бұрын
योगी जी का ज्ञान अपार है और गुरुजी ज्ञान इनके सामने अल्प है और गुरुजी को अपने ज्ञान का अहंकार भी है
@studentssupport46876 ай бұрын
ईश्वर निराकार है, सर्वशक्तिमान है,अगर वह इच्छा अनुसार साकार रूप धारण करते हैं तो इसमें आश्चर्य की गुंजाइश नहीं। रिषि मुनि निराकार की अराधना करते हैं। लेकिन सर्व साधारण खासकर वह जो पढ़े लिखे नहीं है उनके लिए साकार की अराधना उपयुक्त है। कर्मकांड
@RameshbhaiJadav-db5cx4 ай бұрын
भाई जी भगवान शिव निराकार राजस्थान में आया है इस भषटाचारी दुनिया को खत्म कर नयी श्रेष्ठाचारी दुनिया बनाने 1936 से धरती पर आया है उसका नाम परमपिता परमात्मा शिव निराकार सत्यम शिवम् सुंदरम है ज्योति बिन्दु स्वरूप है अब वह प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा भारत को स्वर्ग बनाने आया है
@manojkumarshaw41964 ай бұрын
Sri Gitaji me likha hai dharm ki sthapana ke liye aate hai,
@jasbirsingh-yh4rtАй бұрын
Pahle tha vahan ab vahan Nahin Hai
@bklnews75 ай бұрын
वेद ईश्वरीय ज्ञान है
@RakeshSharma-cx3jt6 ай бұрын
योगी जी मैं आपसे सहमत हूं।❤❤❤ भगवान तो सिर्फ अनुभव का भगवान है।
@freefireroorkee6 ай бұрын
Gud me neem ka anubhav ho sakte hai kya bhai
@mdalirahi676 ай бұрын
Tum To yogi Ji Se sahmat Ho Gaye na Kyunki dukaan Tumhara chal raha hai na jitne bhi Brahman Samaj yogi Ji ke Baton Se Sab sahmat hai
@vikramraj18566 ай бұрын
Nahi Abe unki baat dheyan se sun pahle thik hai wah bhagwan ko janne ki baat kar rahe hai manne ki nahi tum bhi Jano bhagwan kaun hai kaisa roop hai kya hai kya nahi@@mdalirahi67
@dalveerrana49066 ай бұрын
Bhagwaan ka anubhav kis sources se hoga.... bta bhai
@SatyendraYadav-v6j3 ай бұрын
gobar ko haluya samgh ke khale
@RajendraSingh-rt1sb2 ай бұрын
ईश्वर निराकार ब्रह्म है यही सत्य है यही सारे झगड़े का समाधान है
@dineshbhusariya81892 ай бұрын
मेरे प्रिय दादाजी ने बहुत सुंदर बात कही है
@ajitahlawat6 ай бұрын
योगी जी बहुत बोले चुप नहीं हुए पर उत्तर कुछ भी नही दिया हां कविताएं अच्छी सुनाई 😂😂😂
@ashishniraula2355 ай бұрын
आँप बताओ कि क्या सत्य हे
@pankajindian...62944 ай бұрын
Yogi ji sawaal ka jawab nhi diya
@YogiAmitanand4 ай бұрын
योगी विशाल जी जिस अनुभव की बात कर रहे हैं वह हमारे पूर्व स्मृति होती है, यह प्रयोग हमारे आश्रम में हमने साधको पर किए हैं, पांच साधक को बताया गया कि हमने गधे कि मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी है यह ईश्वर की स्वरूप हो गई है मूर्ति, जबकि पाँच साधकों को बताया गया कि कृष्ण की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है अब यह ईश्वर रूप हो गई है मूर्ति, और पांच साधकों को बिना मूर्ति के साधन में बैठाया गया। परिणाम उत्तम थे गधे वाले को गधा ही परमात्मा रूप में बात कर रहा था अनुभव दिला रहा था कृष्ण वालों को कृष्ण रूप में बाते और अनुभव करा रहा था जबकि बिना मूर्ति वालों को वह आनंद का अनुभव कर रहा था और ज्ञान विज्ञान का अनुभव कराया जो बात उनको नहीं बताई गई कभी उन्होंने सुनी भी नहीं थी उस पर तर्क वितर्क कर रहें थे। इसे ही ईस्वर कि कृपा कहते हैं. और योगी होने के नाते हमारे तो अनुभव सभी प्रकार के हैं। अगर किसी को ईश्वर के दर्शन करने हैं जिस रूप में भी करना है वह संपर्क कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे वह ईस्वर नहीं आपकी स्मृति आधारित ईस्वर होगा। ईश्वर के अनुभव को शब्दों में बयां नहीं कर सकते। हमने बहुत प्रयास किया कि उन्हें शब्दों में लिखा जा सके परंतु नहीं लिख सकते जिस प्रकार जब स्त्री पुरुष में संबंध बनाए जाते हैं तो जो आनंद के अनुभूति होती है उन्हें शब्दों में नहीं लिखा जा सकता उसी प्रकार ईश्वर के अनुभव को शब्दों में नहीं लिखा जा सकता। गुरूजी को नमस्कार और योगी जी को अभी और साधना कि आवश्यकता हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद जय श्री राम
@KrishnaMourya-ht2hc4 ай бұрын
Sadhu santon ka sang karna padega guruji ki baat samajhne ke liye murkhon ko baat samajh mein nahin aaegi
@arvindbhagat34632 ай бұрын
Correct.
@HaridevSharma-rc1jv6 ай бұрын
जैसे राष्ट्र पति की कोई पार्टी नहीं होती ठीक वैसे ही सृष्टि कर्ता ईश्वर का कोई मत महजब पथ सम्प्रदाय आदि अलग से नहीं होता है।। सत्य सनातन धर्म एक है और असत्य झूठ पाखंड मन घडंत पथ अनेक है। जय वेद भगवान्। ओउम्।
@manbahadurnepali70863 ай бұрын
ईसिलिए कस्मिर सेभागना पडा पंडिताे काे अाप बेद करते रहे अाैर अाे लाेग गिराेह बनाके अापका जायदाद हडिना चाहाते है
@Mast王杰Ай бұрын
Guru ji sahi hai 100%
@kailashchaturvedi71846 ай бұрын
भारत भगवान का हृदय भगवान हृदय में ही रहते हैं अंग में नहीं
@Brahmachari-df7lk6 ай бұрын
भाई आज से ढाई 3000 साल पहले एक ही आर्यावर्त देश था उसमें चक्रवर्ती राजा शासन करते थे| जैस श्री रामचंद्र जी अपने समय में पूरे आर्यावर्त देश के चक्रवर्ती राजा थे| पहले तो देश ही एक था| आपके अनुसार देश मतलब हृदय पहले तो देश ही एक था तो पूरा संसार ही भगवान का हृदय होना चाहिए मतलब आपके अनुसार तब ईश्वर तो कहीं भी अवतार ले सकता था तो भारत में ही क्यों| मैं वेदों को मानने वाला हूं | मेरे लिए वेद ही परम प्रमाण है| वेद में लिखा है न तस्य प्रतिमा अस्ति यानी उसे परमात्मा की कोई प्रतिमा नहीं है यानी उसे परमात्मा के समान कोई भी वस्तु या पदार्थ पूरे संसार में नहीं है| इस मंत्र से जो साफ स्पष्ट हो जाता है कि वह ईश्वर अवतार नहीं लेता बिना शरीर के वह सारी सृष्टि बन सकता है चला सकता है प्रलय कर सकते हैं अथवा अनेक अनेक काम कर सकता है तो उसे अवतार लेने की आवश्यकता नहीं है इसलिए वह अवतार नहीं लेता|
@श्रीहरि-ङ4फ5 ай бұрын
@@Brahmachari-df7lk नाम ब्रह्मचारी है... और परमात्मा को रे ते कहकर संबोधित कर रहे हो... ये क्या तरीका है ! ------------------------------------------------- कह रहे हो.. की मै वेद को मानने वाला हूँ / तो क्या.... ये संस्कार वेदों से सीखे हो ! जरा बताना मुझे.. मैं जानने का इच्छुक हूँ ?? ऊँ.
@Brahmachari-df7lk5 ай бұрын
@@श्रीहरि-ङ4फ प्रिय भ्राता श्री, टाइपिंग में कोई भी प्रकार से गलती हो उसके लिए माफी चाहूंगा। कृपया करके बोल की खाल मत निकालो।
@श्रीहरि-ङ4फ5 ай бұрын
@@Brahmachari-df7lk मिस्टेक एक बार होता है.. बार बार नहीं / खैर --- मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता... मैने ये तुम्हारे लिए कहा.. की अपवाधबोध से बचो ! ----------------------------------------------------------- अब मैं.. चलना चाहूंगा --- हमसे कुछ पूछने की इच्छा है तो पूछ लो ?? ऊँ.
@tathagatjanklyansamiti0013 ай бұрын
विश्व का ऐसा कौन सा देश है जहां भगवान अवतार लेता है और ज्यादा तर अंध-भक्त मौजूद हैं। भगवान कहीं पर हों कि न हों उसके पचड़े में पड़ते हैं क्यों करके आपस में बाद विवाद वृथा। कल्पित के पीछे पडनते क्यों इन कल्पित देवी देवों की मानव को आज जरूरत क्या जो आप न अपना ताप हरे हर सकती कोई मूरत क्या। जैसी करनी जो करता है वैसी भरनी भर पाएगा। कोई भी देवी देव उसे फिर माफ न ही कर पाएगा। गर सुद्ध आचरण हो जाए अभिशाप स्वयं बरदान बने गर पंचशील धारणा करले इंसान स्वयं भगवान बने।
@vaibhavmishra298217 күн бұрын
Oldest religion in the world is SANATAN DHARAM 🕉️ JAI SHREE RAM 🚩
@romyaromya12296 ай бұрын
श्री लाजपत राय अग्रवाल जी देश के प्रतिष्ठित अमर प्रकाशन के संस्थापक है। ये अमर स्वामी के शिष्य है। गुरुकुल कांगड़ी के स्नातक है। हजारों पुस्तको के संपादक है। बहुत योग्य पुरुष है।इसीलिए वे टू द प्वाइंट उत्तर दे रहे है। योगी जी आपके सारे प्रश्न का उत्तर बहुत आसानी से मिल सकता है।प्रश्न का उत्तर नही दे रहे योगी जी
@alpanamittal82706 ай бұрын
लाजपत राय जी के वर्णन किसी विद्वान के अनुसार तो नहीं लग रहे हैं....
@logical_joker4 ай бұрын
Kyunki wo shabdon ki jalebi nhi bana rhe to maza nhi aa rha hoga@@alpanamittal8270
@TheHiddenThings2 ай бұрын
विद्वान कहते हैं। जो वेद का ज्ञाता हो। और गुरु जी केवल वेद के अनुसार ही अपनी बात कह रहे हैं। उससे अलग नही। @@alpanamittal8270
@Nobody-hj6hh2 ай бұрын
Ekdm sahi kaha apne, uttar santushi vale ni the@@alpanamittal8270
@Nobody-hj6hh2 ай бұрын
@@alpanamittal8270mujhe apse bt krna h kuch
@romyaromya12296 ай бұрын
वेद सत्य विद्याओं का पुस्तक है। इसमें सब विद्या की जननी है
@bikashraut6456 ай бұрын
Sanskaar dikhao ved me ...yagyapabit or nama Karan sanskaar dikhao ved me ..agar nehin hai toh karte kyun ho ?
@DuBadu-ye3kf5 ай бұрын
Chal be
@MadhusudanMadhusudan-e2i5 ай бұрын
Satya koi praman nhi de sakta,ye anubhuti ka vishay, Bhagwan, Bed , aur ye sab lekar
@MadhusudanMadhusudan-e2i5 ай бұрын
Satya ka koi praman nhi hota, praman khali anubhuti, debate ek murkhta, jo avi ho raha hai, aur Guru ji jisko khe rahe ho, unka attitude koi gayni insaan ka lakshan nhi hai,isko ( Guru ji) kaha se le aaye.
@rajvashisth45675 ай бұрын
@@bikashraut645 ये पता है वेद में कितने प्रकार के मुख्य विषय है ???
@Riya_n_Rachit5 ай бұрын
विशाल जी, बातें घुमाते दिख रहे हैं। लाजपत जी, तर्क और तथ्य पर बात करते दिख रहे हैं।
@sakshisaini91626 ай бұрын
भगवान के सब रूप है निराकार भी आकर भी ज्योति स्वरुप भी, कड़ कड़ मे भी वो है सबके अंदर भी वो है सब वो ही है उसके सिबा कुछ भी नहीं है जिसकी जैसी श्रद्धा है वैसा भगवान को मान लो उसी से बेडा पार हो जायेगा.. जय श्री राम
@freefireroorkee6 ай бұрын
Sambhav sambhav hota hai asambhav sambhav nahi hota.
@freefireroorkee6 ай бұрын
Samjhe kuch
@freefireroorkee6 ай бұрын
Jiska akaar nahi ho sakta use hi to nirakaar kehte hai bhai
@freefireroorkee6 ай бұрын
Uska aakar ho gya to nirakar nahi ho sakta
@MrGauravdev6 ай бұрын
Nirakar ka definition...
@GURU-u6z2 ай бұрын
इस एपिसोड मैं सबसे ज़्यादा मज़ा नेहा जी ने लिया हैं।
@Smile_kukaa2 ай бұрын
इन्सान से ऊपर कोई नहीं ! यह आप पर निर्भर करता है कि आप इंसान हों या जानवर ........................? 1 भाषा का अविष्कार -इंसान द्वारा 2.लिखने वाला -इंसान 3. कागज का निर्माण -इंसान 4. वेद पुराण धर्मग्रंथों को लिखने वाला -इंसान 5.स्याही का अविष्कार -इंसान 6.पूरी दुनिया में एकमात्र बुद्धिमान जीव - इंसान 7.भगवान,अल्हा,परमात्मा ,रब, खुदा,गॉड शब्दों कि रचना करने वाला, उच्चारण करने वाला,बताने वाला, प्रमाण देनें वाला भी - इंसान 8. धर्मों कि रचना,निर्माण करने वाला - इंसान जब तक जिवित हों बस बुद्धीमान बनो, इंसानियत रखो ,इंसान होकर मुर्ख नहीं,क्योंकि आपसे से बड़ा इस प्रकृति मैं और कोई नहीं ! ईश्वर कि खोज नहीं, मानव द्वारा अविष्कार हुआ है, और ये मानव सभ्यता का आज तक सबसे विनाशकारी अविष्कार हैं.....? भाई इंसान होकर मूर्खता, भ्रांतियां, अंधविश्वास नहीं, विज्ञान अपनाओ.! जय ज्ञान - जय विज्ञान 🙏🙏🙏
@Singhtechnical908192 ай бұрын
You are right
@TheHiddenThings2 ай бұрын
वेद का अर्थ शायद आपने नही सुना।। वेद का अर्थ है श्रुति । मतलब की सुनना वेद सुनकर लिखा है।
@Smile_kukaa2 ай бұрын
@@TheHiddenThings बोलने वाला मनुष्य ही होगा, तभी सुना !!
@TheHiddenThings2 ай бұрын
@@Smile_kukaa ईश्वर ने वेद का ज्ञान चार ऋषियों को दिया । और ऋषि मुनि को मौखिकता की अवश्यकता नही होती।।
@d.s.dwivedi82462 ай бұрын
माना की इंसान ही सही है लेकिन इंसान को बनाया किसने, ये सोच और समझ दी किसने? वह कौन है जो इंसान के पहले था और बाद में भी रहेगा ?
@radheshsharma85882 ай бұрын
भारत विश्व का हृदय है जहां ईश्वर का स्थान है, निवास है। भा में रत प्रकाश में लीन,ज्ञान के प्रकाश में रत रहने से यह स्थान भारत है। एक ब्रह्मनिष्ठ संत सद्गुरु की कृपा से ही आत्मा के स्तर पहुंचकर ही ईश्वर दर्शन संभव है ।
@ghanshyamshakya68666 ай бұрын
ईश्वर अवतार ले सकता है उसमें इतनी शक्ति है
@sewaramsahu72346 ай бұрын
भगवान ने पृथ्वी पर अवतार ले लिया है।
@Ashokkumar-rn3ce3 ай бұрын
वेद में अवतार का न कोई जिक्र है और न ही आज के कहानी इतिहास से सिद्ध होता है , ईश्वर का अवतार होता है लेकिन इसका विश्लेषण अलग है , ईश्वर का गुण, बल एवं ज्ञान का अवतरीत होता है और अवतरीत हमेशा सच्चे वैदिक अनुयायी मनुष्य के अंदर होती है और जैसा मनुष्य का योग्यता वैसा और उतना हीं ईश्वर का अवतरण उसके कर्म से व्यवहार में आता है, उदाहरण भगवान राम-कृष्ण एवं अनगिनत ऋषि गण , अपने गुण, कर्म, व्यवहार से ही मनुष्य ईश्वर के तुल्य सा दिखने लगता है
@Mechanicalengineer-f5i3 ай бұрын
Kitni shakti h ishwar m
@stclaresinnovationgroup3 ай бұрын
Moorkh. Agyani ishver kabhi majboor nahi ho sakta vo bina pet se paida huve , bina neeche ae bhi sab kuch ker sakta hai😅
@sumittyagi11512 ай бұрын
गुरु जी की बात सत्य है
@YogiAmitanand4 ай бұрын
योगी विशाल जी जिस अनुभव की बात कर रहे हैं वह हमारे पूर्व स्मृति होती है, यह प्रयोग हमारे आश्रम में हमने साधको पर किए हैं, पांच साधक को बताया गया कि हमने गधे कि मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी है यह ईश्वर की स्वरूप हो गई है मूर्ति, जबकि पाँच साधकों को बताया गया कि कृष्ण की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है अब यह ईश्वर रूप हो गई है मूर्ति, और पांच साधकों को बिना मूर्ति के साधन में बैठाया गया। परिणाम उत्तम थे गधे वाले को गधा ही परमात्मा रूप में बात कर रहा था अनुभव दिला रहा था कृष्ण वालों को कृष्ण रूप में बाते और अनुभव करा रहा था जबकि बिना मूर्ति वालों को वह आनंद का अनुभव कर रहा था और ज्ञान विज्ञान का अनुभव कराया जो बात उनको नहीं बताई गई कभी उन्होंने सुनी भी नहीं थी उस पर तर्क वितर्क कर रहें थे। इसे ही ईस्वर कि कृपा कहते हैं. और योगी होने के नाते हमारे तो अनुभव सभी प्रकार के हैं। अगर किसी को ईश्वर के दर्शन करने हैं जिस रूप में भी करना है वह संपर्क कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे वह ईस्वर नहीं आपकी स्मृति आधारित ईस्वर होगा। ईश्वर के अनुभव को शब्दों में बयां नहीं कर सकते। हमने बहुत प्रयास किया कि उन्हें शब्दों में लिखा जा सके परंतु नहीं लिख सकते जिस प्रकार जब स्त्री पुरुष में संबंध बनाए जाते हैं तो जो आनंद के अनुभूति होती है उन्हें शब्दों में नहीं लिखा जा सकता उसी प्रकार ईश्वर के अनुभव को शब्दों में नहीं लिखा जा सकता। गुरूजी को नमस्कार और योगी जी को अभी और साधना कि आवश्यकता हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद जय श्री राम
@viral.indian4 ай бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏 उत्तम जानकारी
@viral.indian4 ай бұрын
जय श्री राम
@viral.indian4 ай бұрын
जय श्री कृष्णा
@rajendraprasaddhariya83454 ай бұрын
आप की चर्चा महत्वपूर्ण है लेकिन विशाल जो बात कर रहे है वह लावेद बता रहे है चर्चा महत्वपूर्ण हुई क्या शब्द का प्रकट हुआ है वह सत्ता कही पर है जहा विराजमान है लेकिन लाखों लोगों के प्रश्न सभी के उत्तर एक ही शब्द में मिल जाये।
@BabuLal-kq3dl4 ай бұрын
शास्त्र कभी अपडेट नहीं होते ,फिर तो हर कोई अपने मन मर्जी से अपग्रेड करेगा, बात रही मंत्रो की गीता में गायत्री मंत्र को अपना स्वरूप बताएं बताया अपना स्वरूप बताया है , वेदों के अंदर निराकार को अवताऱवद नही माना विभूति योग में जिस वस्तु में विशेषता, उसको अपना स्वरूप बताया है साकार रूप में जारे जारे में व्यापक है बात रही,अवतार की जो ईश्वर ने अपने पास रखी है तभी परमेश्वर कहलाता है
@AnuragSharma-fy7fj6 ай бұрын
🙏 हरि ॐ 🙏 यदि वह दयालु है तो वह निराकार कैसे दया तो भाव ही साकार का है , स ईक्षत कथं न्विदं मद्दते स्यादिति स ईक्षत कतरेण प्रपद्या इति । स ईक्षत यदि वाचाऽभिव्याहृतं यदि प्राणेनाभिप्राणितं यदि चक्षुषा दृष्टं यदि श्रोत्रेण श्रुतं यदि त्वचा स्पृष्टं यदि मनसा ध्यातं यद्यपानेनाभ्यपानितं यदि शिश् न विसृष्टमथ कोऽहमिति ॥ इस वचन से स्पष्ट है की परमात्मा ने विचार किया , एवं विचार मन का विषय है और मन सदा निराकार रहते हुए भी साकार में स्थित है , क्योंकि बिना किसी (बुद्धि , चेतना , शक्ति , इंद्री आदि ) साधन के उसका विचार किसी कार्य का नहीं , ठीक उसी प्रकार यदि किसी जड़ पदार्थ में गुण आदि चेतनता नहीं तो वह व्यर्थ है , एवं उस परमात्मा की रचाई श्रृष्टि में जहां भी जड़ता है वहां किसी न किसी रूप में चैतन्य है , जैसे औषधि जड़ प्रतीत होती है किंतु उसमे गुण की चेतनता है , उसी प्रकार बीज जड़ है किंतु उसमे वृक्ष के ज्ञान की चेतनता है और वह ज्ञान ही निराकार से वृक्ष रूप में आकर लेता है , तो हमारा मत यही है की (निराकार एवं साकार इस विषय पर तो शास्त्रार्थ निरर्थक है) क्योंकि जब वही "ईशा वाश्यम इदम् सर्वम्" है तो वही सभी आकर रूप में व्याप्त है और यदि उसका आकार है एवं उसमे चैतन्य है तो वही निराकार रूप में ही है । "ना साकार हूं ना निराकार हूं मैं भक्त के भाव से तदाकार हूं मैं" जहां जैसी दृष्टि हो वैसी ही सृष्टि है(संरचना) है । एवं जहां बात है भारत भूमि पर अवतरित होने की , भारत भूमि के सपूतों में वह प्रबल चेतना शक्ति है जो परमात्मा को पहचान लेती है । वही कहीं खंबे में देखती है , कहीं सिलबट्टे में तो कहीं मिट्टी में कहीं पक्षी में तो कहीं पशु में , जर्रे जर्रे में है झांकी भगवान की किसी सूझ वाली आंख ने पहचान की , अर्थात् भारत भूमि में वह सूझ वाली दृष्टि विकसित है जो परमात्म तत्व को पहचान ही लेटी है ।अब जैसे तिल में तेल है तो उसका प्रयोग तभी होगा जब वह अपने अदृश्य रूप का त्याग कर दृश्य रूप में बाहर आए , उसी प्रकार परमात्मा को भी अपने अदृश्य रूप का त्याग कर अपने दृश्य रूप में आना ही पड़ता है , एवं ऋषि मुनि उन्हे अवतरित करवाने वाला उपकरण सिद्ध होते हैं ।🙏 हरि ॐ 🙏
@AnnantDhyan6 ай бұрын
Hari om tatsat 🕉
@jaipal72596 ай бұрын
किसी भी किताब को पढ़ने के लिए आपका पढ़ा लिखा होना काफी है । उस किताब को समझने के लिए उसके जैसा जीवन जीना होता है। जय श्री कृष्णा
@AminKhan-iz1mb10 күн бұрын
Bahh guruji ❤❤❤
@Brahmachari-df7lk6 ай бұрын
दर्शनशास्त्र का वचन है ज्ञानेंमुक्ति: यानी ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है | यानी जब हम वेद और दर्शन शास्त्र पढके ज्ञान प्राप्त करते हैं तब हमें परमात्मा का सही स्वरूप पता चलता है हमें परमात्मा के गुण कर्म स्वभाव के बारे में पता चलता है| बिना ईश्वर को जाने ध्यान साधना व्यर्थ है क्योंकि व्यक्ति ध्यान ही उसी चीज का करता है जिसे वह जानता है बिना ईश्वर को जाने अगर व्यक्ति ध्यान करता है तो वह ध्यान नहीं वह उस व्यक्ति की कल्पना मात्र है| इसलिए मैं आदरणीय गुरुजी के बाद से सहमत हूं हमें ईश्वर को वेदों एवं दर्शन शास्त्र के माध्यम से जानना चाहिए और उसके बाद ध्यान करना चाहिए|
@lalmani35822 күн бұрын
धन्यवाद जी
@pksharma90416 ай бұрын
Satya Sanatan Vedic Dharm 🔥❤🕉🚩
@सत्यसनातनवैदिकधर्मकिजय5 ай бұрын
मेरे को तो इतना खुशी है कि हमारे सनातन धर्म में इतना महान व्यक्ति हैं जो भटके हुए लोगों को राहपे लाने के लिए अपनी पूरी जीवन वैद और ग्रंथ को समझने में और जनता तक पहुंचने में अपने सारा जीवन बिता देते है इस चैनल को मैं सब्सक्राइब किया हूं यही हमारे धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए जय सियाराम सत्य सनातन वैदिक धर्म कि जय
@kailashchandra95215 ай бұрын
गुरु जी और योगी जी दोनो वीद्वान है परन्तु यदि अंहकार को छोड़ कर सहजता स्वीकार्यता सम्मान का सहारा लिया जाय,ओर सतर्कता से बात कही जाय, प्रमाण तब तक न मांगा जाय जब तक मंथन न करलिया जाय तो संवाद सार्थक होगा!
@kailashchandra95215 ай бұрын
कृपया बताएं कि धर्म क्या है,यह प्रश्न योगी जी से व गुरुजी दोनों से है?
@palvinderkumar94202 ай бұрын
आदरणीय वंदनीय नेहा राजपूत जी, स्थूल शरीर सूक्ष्म शरीर और आत्मा जी को कोटि कोटि दंडवत प्रणाम जी। आप जी को कोटि कोटि धन्यवाद जी।
@Undertaker-qi1lc6 ай бұрын
ईश्वर कभी आवतरित नहीं होता जब इंसानी समताये और उसके आयाम ऊपर जाने लगते है तो व्यक्ति उसे भगवान मानने लगता है
@shivdhanush36765 ай бұрын
Avatar concept bhakti movement me aya i.e 4th century AD... Hero worship pehle se chalti aa rahi thi especially from mauryan Empire
@KrishnaMourya-ht2hc4 ай бұрын
Gadhon ko samajh mein nahin aaega yogi Ji ki baten Sadhu Sadhu sang karna padega yogi Ji ki baten
@sanatandharmgyangangasanat57074 ай бұрын
परमात्मा प्रेम के वशीभूत होकर अवतार भी लेते है श्री मद भगवद गीता में श्री भगवान यह सत्य बताते हे ईश्वर को पुस्तक से नही निस्वार्थ प्रेम वाली भक्ति से ही जाना जा सकता है मित्र
@Undertaker-qi1lc4 ай бұрын
@@sanatandharmgyangangasanat5707 इस दुनिया में ऐसा क़ोई नहीं jiska स्वार्थ ना रहा हो भक्ति के पीछे क़ोई मोक्ष के लिये क़ोई सक्तियों के लिये क़ोई किसी लिये भक्ति करता है. और ये अवतार क्या होता है q🤣🤣🤣avtar🤣matlab अवतरित होना है योनि से नहीं आना aur🤣आपने किसको देखा अवतरित होते हुवै 🤣qq
@DharitriKochari3 ай бұрын
Jab jab dharti par pap aur anyai badega tab tab avatar ayega uch pap ko mitane .
@tutuhistorian62565 ай бұрын
गुरु जी का एक बात बहुत अच्छा लगा , लड़ाई आस्तिको के कारण होता है और ये बात सत्य है आज तक जितना भी लड़ाई हुआ है सब धर्म के कारन हुआ है |
@shankarsuwanasthana79616 ай бұрын
आपके गुरु केवल प़श्न करने के आदी है, उत्तर का भार सामने वाले डालते हैं। दयानन्द महान है, अनेकों महान से महानतम ऋषि, विद्वान हैं।
@MaY_OO2 ай бұрын
❤ || हरे कृष्ण || ❤
@vinodkumarkhatana29886 ай бұрын
अति सुन्दर संवाद सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय
@meditation.awekingbyyoga93732 ай бұрын
Pura naam me batata hu.. satya santan vaidik brahmin dharma....
@ankushsaini27876 ай бұрын
Are wa arya ji kmal ker diya 🙌🙌🙌🙌
@shona22626 ай бұрын
सतय कभी भी बदलता नही केवल झूठ ही अपडेट होता है. सभी मनुष्य कृत वस्तुएं संशोधन मांगती हैं. ईश्वरकृत कोई वस्तु संशोधित नहीं होती. आप उनको बिगाड अवश्य सकते हैं 🙏🕉️
@jamnadassguru299523 күн бұрын
Guruji is right opinion. Namaskar to Guru ji
@freefireroorkee6 ай бұрын
Agarwaal ji hi satya hai
@vedicdharma40326 ай бұрын
Bro
@vedicdharma40326 ай бұрын
Yogi ji satya h
@RasmilaBadal6 ай бұрын
Tu uska ristedar hai isliya sate Lagta murk 😂😂 tere bar bar lekne SE jit har nai hota
@SanjeevKumar-lf3jp5 ай бұрын
YOGI JI NE BAHUT SARAL SAMJHAYA HAI, JABKI GUR JI KE ANDAR AHANKAR PRATAIT HO RAHA HAI
@afzalpatel643Ай бұрын
मुझे लगता है कि योगी जी भ्रमित कर रहे हैं इस वजह से गुरु जी को पीड़ा हो रही है जो उनकी बातों से साफ झलक रही है।
@baburam-qy3hf5 ай бұрын
ईश्वर की वाणी वेदों को अपडेट करने की सामर्थ्य ईश्वर के सिवाय किसी में नहीं है।
@priya-bc8hp14 күн бұрын
Pranam guruji 🙏 ved hi satya hei 🙏
@Brahmachari-df7lk6 ай бұрын
मैं वेदों को मानने वाला हूं | मेरे लिए वेद ही परम प्रमाण है| वेद में लिखा है न तस्य प्रतिमा अस्ति यानी उसे परमात्मा की कोई प्रतिमा नहीं है यानी उसे परमात्मा के समान कोई भी वस्तु या पदार्थ पूरे संसार में नहीं है| इस मंत्र से जो साफ स्पष्ट हो जाता है कि वह ईश्वर अवतार नहीं लेता बिना शरीर के वह सारी सृष्टि बन सकता है चला सकता है प्रलय कर सकते हैं अथवा अनेक अनेक काम कर सकता है तो उसे अवतार लेने की आवश्यकता नहीं है इसलिए वह अवतार नहीं लेता|