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ढूंढ़ पूजन 2024
ढूंढ़ पूजा 2024
ढूंढ़ पूजन 2024 में कब है
ढूंढ़ पूजा 2024 में कैसे करे
एक बजोट पर सफ़ेद कपडा या लाल कपडा बिछा कर उस पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाया जाता है फिर उस बजोट पर तेरह स्थानों पर थोड़े थोड़े फूलिए पतासे सिंघाड़े और एक एक लड्डू रखे जाते है और उन तेरह की स्थानों पर श्रद्धा के अनुसार रूपये रखे जाते है ।
एक थाली में रोली, कुमकुम, चावल, हल्दी, मौली, जल से भरा लोटा और अन्य पूजा सामग्री रखी जाती है ।
फिर बच्चे की माता एक अन्य चौकी या बाजोट पर अपने पीहर या ननद के घर से आया बेस या पीले की चुंदरी पहन कर बच्चे को गोद में लेकर पूजा के लिए बैठती है
इस रस्म की सबसे ख़ास बात यह है की बच्चे के जन्म से लेकर घर परिवार में जब भी कोई शुभ कार्य पूजा आदि की जाती है तब बच्चे के तिलक लगाया जाता है वो सीधा नहीं लगा कर आडा तिलक लगाया जाता है और ढूंढ पूजन की रस्म के बाद से बच्चे के सीधा तिलक लगाना शुरू करते है
तो बच्चे की माता एक अन्य चौकी या बाजोट पर अपने पीहर या ननद के घर से आया बेस या पीले की चुंदरी पहन कर बच्चे को गोद में लेकर पूजा के लिए बैठ जाती है
पूजा के समय ढोल बजाया जाता है आस पड़ोस के लोगो और रिश्तेदारों की उपस्थिति में ढोल धमाके के साथ ढूढ़ पूजन शुरू किया जाता है
बजोट पर तेरह स्थानों पर रखी गयी सामग्री पर हल्दी कुमकुम के छांटे लगाये जाते है और कुमकुम रोली से बच्चे के सीधा तिलक टिका लगाया जाता है बच्चे के सफ़ेद कपड़ो पर हल्दी कुमकुम के छांटे लगाये जाते है फिर बच्चे की माँ खुद के तिलक लगाती है यह पूजा बच्चे की माँ के द्वारा की जाती है
फिर बच्चे की माँ उस बजोट के यानी की पाते के धोक देकर पाटे पर रखी हुई सामग्री अपनी सास को देती है
उपस्थिति महिलाओ के द्वारा ढूंढ के पारम्परिक गीत गाये जाते है
सास के द्वारा यह सामग्री को अन्य सामग्री में मिला कर उपस्थित महिलाओं में बाटा जाता है और होली की शुभकामनाओ के साथ सभी को विदा किया जाता है
लोक मान्यता है की जब तक बच्चे का ढूंढ़ पूजन नहीं हो जाता है तब तक बच्चे को सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनाए जाते और बच्चे की सर पर सीधा तिलक भी नहीं लगाया जाता ढूंढ पूजन पर ही सबसे पहले बच्चे को सफेद रंग के नए कपड़े पहनाए जाते हैं और सीधा तिलक किया जाता है
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