Diagrammatic and Graphical Presentation | चित्रमय प्रस्तुतिकरण | संगणक | 1st Grade | RPSC | ASO |

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Ken Point

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समंकों का बिन्दुरेखीय प्रदर्शन
(Graphical Presentation of Data)
जब सांख्यिकीय समंकों को चित्रों के द्वारा न दिखाकर बिन्दरेखीय पत्र पर रेखाचित्रों या वक्रों द्वारा प्रदर्शित किया जाये तो इसको बिन्दुरेखीय प्रदर्शन (Graphic Presentation) कहते हैं। रेखाचित्रों से आँकड़ों की प्रवृत्ति को एक ही दृष्टि में ज्ञात किया जा सकता है। आज के युग में रेखाचित्रों या वक्रों का प्रयोग अधिक होता जा रहा है क्योंकि यही एक ऐसा उपयुक्त साधन है जिसके द्वारा व्यापारिक क्षेत्र में होने वाले उच्चावचनों को आकर्षक व अधिक समझने योग्य तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है।
बिन्दुरेखीय प्रदर्शन का अर्थ-समंकों का बिन्दुरेखीय प्रदर्शन, रेखा पथ पर पूर्व निश्चित मापदण्ड के अनुसार अंकित विभिन्न बिन्दुओं को आपस में मिलाने से बनी रेखाओं व वक्रों के रूप में किया जाता है।
बिन्दुरेखीय प्रदर्शन की उपयोगिता एवं लाभ
(Utility and Advantages of Graphic Presentation)
रेखाचित्र में प्रदर्शित रेखाओं और वक्रों के घुमाव का मानव मस्तिष्क पर बहुत गहरा स्थायी प्रभाव पड़ता है। इसके द्वारा एक ही दृष्टि में समंकों का अर्थ समझने और उनकी तुलना करने में सहायता मिलती है। इससे समय और श्रम की भी बचत होती है। बिन्दुरेखीय प्रदर्शन के मुख्य लाभ निम्न प्रकार हैं
1 कालश्रेणी व आवृत्ति वितरण का प्रदर्शन (Presentation of Time Series and Frequency Distribution) कालश्रेणी व आवृत्ति वितरण का प्रदर्शन करने के लिये यह अत्यन्त प्रभावशाली साधन है। इसके द्वारा आवृत्ति वितरण की प्रकृति का स्पष्ट चित्रण हो जाता है तथा यह भी स्पष्ट हो जाता है कि आवृत्ति बंटन सामान्य है या असामान्य।
2. आन्तरगणन तथा पूर्वानुमान में सहायक (Helpful in Interpolation and Forecasting)बिन्दु रेखा चित्र द्वारा आन्तरगणन,बाह्यगणन तथा पूर्वानुमान सरलता एवं शीघ्रता से किये जा सकते हैं । इस विधि में सांख्यिकीय सूत्रों का प्रयोग बहुत कम करना पड़ता है।
3. बहुलक तथा माध्यका का निर्धारण (Determination of Mode and Median)-बिन्दुरेखीय प्रदर्शन द्वारा बहुलक,माध्यका तथा विभाजन मूल्यों की गणना बहुत ही सुगमता से की जा सकती है।
4. सहसम्बन्ध एवं प्रतीपगमन के अध्ययन में सहायक (Helpful in study of Correlation and Regression)-बिन्दुरेखीय प्रदर्शन द्वारा सहसम्बन्ध एवं प्रतीपगमन का अध्ययन भी अत्यन्त सरलता और सुगमता से किया जा सकता है।
5. तुलनात्मक अध्ययन में सुविधा (Easy in Comparative Study)-रेखाचित्रों की सहायता से विभिन्न विशेषताओं वाले समंकों की तुलना करना अत्यन्त सरल हो जाता है।
बिन्दुरेखीय प्रदर्शन के दोष अथवा सीमाएँ
(Demerits or Limitations of Graphic Presentation)
1 शुद्धता की जांच नहीं (No Test of Accuracy)-बिन्दुरेखीय चित्रों से वास्तविक समंकों का ज्ञान न हो पाने के कारण समंकों की शुद्धता की जांच सम्भव नहीं होती।
2. सभी समंकों में प्रयोग सम्भव नहीं (No Possibility for all types of data)-बिन्दु रेखाचित्र द्वारा सभी सांख्यिकीय समंकों को प्रस्तत नहीं किया जा सकता और न ही ये सभी प्रकार की सांख्यिकीय समस्याओं के समाधान में सहायक होते हैं।
3. बिन्दु रेखाचित्रों को समझने में कठिनाई (Difficult to Understand)-कुछ विशेष प्रकार के बिन्दु रेखाचित्र; जैसे अनुपात मापदण्ड या दो मापदण्डों के रेखाचित्र जटिल हो जाते हैं और सामान्य व्यक्ति की समझ से पूरे हो जाते हैं।
4. दुरुपयोग की सम्भावना (Possibility of Misuse)रेखाचित्रों के मापदण्ड में थोड़ा-बहुत परिवर्तन करके वक्रों के आकार और उच्चावचनों में मनचाहा परिवर्तन किया जा सकता है जिससे रेखाचित्रों का दुरुपयोग सम्भव है।
चित्रमय एवं बिन्दुरेखीय प्रदर्शन में अन्तर
(Difference between Diagrammatic and Graphic)
बिन्दु-रेखा चित्र की रचना
(Construction of Graphs)
बिन्दु रेखाचित्रों की रचना सामान्यतः बिन्दु रेखीय पत्र (Graph Paper) पर की जाती है। बिन्दु रेखाचित्र बनाने के लिये ग्राफ पेपर पर दो सरल रेखायें एक दूसरे को लम्बवत् काटते हुए खींच लेते हैं । इन दो रेखाओं में से बायें से दायें खींची जाने वाली क्षैतिज रेखा (Horizontal Line) को भुजाक्ष (Abscissa) या र-अक्ष (x-axis) कहते हैं तथा ऊपर से नीचे जाने वाली उदग्र रेखा (Vertical line) को कोटि अक्ष (ordinate) या y-अक्ष (y-axis) कहते हैं। इस प्रकार सम्पूर्ण बिन्दुरेखीय पत्र चार भागों में बंट जाता है जिन्हें चरण (quadrants) कहते हैं । जिस बिन्दु पर ये दोनों रेखायें एक दूसरे को काटती हैं वह बिन्दु मूल बिन्दु (Point of origin or O) कहलाता है।
बिन्दुरेखीय पत्र पर किसी एक बिन्दु को अंकित करने के लिये दो मूल्यों की आवश्यकता होती है-स्वतन्त्र । चर मूल्यों को भुजाक्ष अर्थात् x-axis पर तथा आश्रित चर मूल्यों को y-axis पर दिखाया जाता है । अंकित किये। जाने वाले मूल्य धनात्मक या ऋणात्मक हो सकते हैं। स्वतन्त्र चर (x-श्रेणी) के धनात्मक मूल्यों को उदग्र रेखा (Vertical Line) के दायीं ओर तथा ऋणात्मक मूल्यों को इसी रेखा के बायीं ओर वाले चरणों (Quadrants) में अंकित किया जाता है। इसी प्रकार आश्रित चर (y-श्रेणी) के धनात्मक मूल्य क्षैतिज रेखा (Horizontal | line) के ऊपर वाले चरण तथा ऋणात्मक मूल्य इसके नीचे वाले चरण में दिखाये जाते हैं।
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