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हिन्दी भाषा के विविध रुप
राष्ट्रभाषा (National Language), राजभाषा (Official Language),
प्रांतीय भाषा/राज्यभाषा (Regional/State Language)
संपर्क भाषा (Link Language) बोलचाल की भाषा (Spoken Language)
हिन्दी भाषा भारत के अनेक राज्यों में बोली जाती है और प्रयोग के आधार पर हिन्दी के कई रुप देखने को मिलते हैं, जैसे राष्ट्रभाषा, राजभाषा, राज्यभाषा, संपर्क भाषा, बोलचाल की भाषा, मानक भाषा, साहित्यिक भाषा आदि | इनमें से राष्ट्रभाषा, राजभाषा और राज्यभाषा ये शब्द एक जैसे मालूम होते हैं परन्तु इनका अंग्रेजी अनुवाद देखें तो इनका अन्तर स्पष्ट हो जाता है | राष्ट्रभाषा (National Language), राजभाषा (Official Language) और राज्यभाषा (State Language) |
इनमें राष्ट्रभाषा लगभग सम्पूर्ण राष्ट्र में प्रयुक्त होनेवाली भाषा है, जिसका सम्बन्ध समाज और संस्कृति से है तो राजभाषा राष्ट्र के राजकाज की भाषा है, और जिसे सरकारी कामकाज करने के लिए संवैधानिक (constitutional) मान्यता मिली है | राज्यभाषा किसी एक राज्य की भाषा है |
हिन्दी भाषा के उपर्युक्त सभी रुप देखने को मिलते हैं | मूलत: दिल्ली, मेरठ तथा आसपास के भागों में बोली जानेवाली एक बोली (dialect) थी खडी बोली | यही खडी बोली विकसित होकर आज देश की राष्ट्रभाषा, राजभाषा, संपर्क भाषा हिन्दी बनी है | हिन्दी भाषा के अलग अलग रूपों की हम यहॉं चर्चा करेंंगे |
१) राष्ट्रभाषा (National Language) : राष्ट्रभाषा वह भाषा है जो किसी राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती है तथा राष्ट्र के सर्वाधिक लोगों की लिखने, बोलने तथा समझने की भाषा है | राष्ट्रभाषा राष्ट्रीय एकता की कडी है, वह राष्ट्रीय चेतना एवं गौरव का प्रतीक है | इस दृष्टि से हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है और स्वतंत्रता आंदोलन के समय से ही राष्ट्र के तत्कालीन नेताओं ने हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया है | परन्तु भारत के संविधान में अधिकृत रूप से राष्ट्रभाषा हिन्दी का उल्लेख नहीं है |
२) राजभाषा (Official Language) : राजभाषा वह भाषा है जो सरकारी कामकाज के लिए प्रयुक्त होती है, और देश के संविधान ने उसे राजभाषा के रुप में मान्यता दी है | 14 सितंबर 1949 को ‘हिंदी’ भाषा को संघ की राजभाषा के रुप में स्वीकार किया गया इसीलिए 14 सितंबर यह हिंदी दिवस के रुप मे मनाया जाता है | संविधान के भाग 17 के अनुच्छेद 343 में लिखा गया है की देश के सरकारी कामकाज के लिए हिंदी भाषा का प्रयोग होगा | लेकिन प्रशासन के जिस कार्य के लिए पहले से अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहा, वहॉं हिंदी के साथ अंग्रेजी का भी प्रयोग होता है |
३) प्रान्तीय भाषा/राज्यभाषा (Regional Language/State Language) : यह किसी एक राज्य विशेष की भाषा होती है, जिसे उस राज्य में सरकारी कामकाज करने के लिए संवैधानिक मान्यता मिली है | भारत के अधिकांश राज्यों की अपनी अपनी राज्यभाषा है, हिन्दी भारत के 10 राज्यों की राज्यभाषा है |
४) संपर्क भाषा (Link Language) : संपर्क भाषा यह भाषा का कोई अलग रुप नहीं है बल्कि दो भिन्न भाषाएँ बोलने वाले या भिन्न राज्यों के लोग अगर एक दूसरे की भाषा नहीं जानते तो आपस में बातचीत के लिए मुख्य रुप से हिन्दी का प्रयोग करते हैं | पर्यटन (Tourism), कारोबार (Business), यातायात (Transport) आदि प्रमुख क्षेत्रों में संपर्क भाषा के रुप में हिन्दी का प्रयोग ही प्रमुख रुप से होता है| किसी भी बहुभाषी राष्ट्र की संपर्क भाषा वही हो सकती है, जो राष्ट्र में सर्वाधिक प्रचलित है, तथा जो अधिक से अधिक लोगों द्वारा बोली या समझी जाती है | इस दृष्टि से हिन्दी हमारी संपर्क भाषा है, जिसके द्वारा साहित्यिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक तथा राजनीतिक बातों का आदान-प्रदान होता है|
५) बोलचाल की भाषा/वाचिक भाषा (Spoken Language) : बोलचाल की भाषा का प्रयोग सर्वाधिक लोक आपसी बातचीत के लिए करते हैं | भारत में दिल्ली, मेरठ और उसके आसपास के प्रांतों में प्रचलित खडीबोली आज भारत की राजभाषा और राष्ट्रभाषा हिंदी बनी है | भारत में सर्वाधिक लोगों द्वारा बोली जानेवाली भाषा कौनसी है इसका एकही उत्तर होगा- वह है ‘हिंदी’| बोलचाल की हिन्दी का रुप देश के हर प्रांत में अलग होता है | इसमें व्याकरण पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता | सार्वजनिक स्थलों पर, जैसे बसस्टँड, रेल्वे स्टेशन, बाजार में अक्सर बोलचाल की हिंदी प्रयोग होता है | इसका रुप हर प्रांत में अलग हो सकता है और उस राज्य या प्रांत की भाषा या बोली का प्रभाव उस पर रहता है | कई बार हिन्दी क्षेत्र के व्यक्ति भी वाचिक या बोलचाल की हिन्दी में ‘मुझको’ की जगह ‘मेरे को’ और ‘कीजिए’ की जगह ‘करिए’ का प्रयोग करते हैं | दक्षिण भारत के कर्नाटक, केरल, तमीलनाडू जैसे प्रान्तों में जिन्हें हिन्दी नहीं आती, ऐसे अहिन्दी लोग भी टूटी फूटी हिन्दी बोलते हैं, क्योंकि यहॉं भावों का सम्प्रेषण ही मुख्य होता है, इसलिए व्याकरण के नियम गौण हो जाते हैं|
६) मानक भाषा (Standard Language) : मानक भाषा अर्थात परिनिष्ठित या शुद्ध भाषा | साहित्य रचना, अध्ययन-अध्यापन, समाचार पत्र, पत्राचार, रेडियो-दूरदर्शन आदि के लिए भाषा के आदर्श रुप का प्रयोग होता है| जो स्थानीय प्रभावों से मुक्त हो| इसमें व्याकरण के नियमों का पालन होता है | राजभाषा हिंदी के लिए हिंदी के मानक रुप का ही प्रयोग होता है |