Рет қаралды 168,032
गुरु से सच्चा प्रेम, उनके आदर्शो के लिए समर्पित होकर अपने जीवन को त्याग और तपस्या की स्थली बनाने में होता है। यह तपस्या गुरु से विरह की अग्नि में तपकर ही पूर्ण होती है और शिष्य को पूर्णता तक ले जाती है।
अवश्य सुनें, शिष्यत्व का आह्वान कर स्व-आंकलन के लिए प्रेरित करता यह भावपूर्ण सत्संग - सच्चा शिष्यत्व; दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी मोहनपुरी जी के द्वारा l
मुख्य बिंदु [Timestamped] :
00:45 ब्रह्म-स्वरूप गुरु के प्रेम की प्राप्ति - परम सौभाग्य
03:03 गुरु का प्रेम - संत रूमी एवं गुरु अंगद देव जी की विरह वेदना
09:30 विरह अग्नि में शिष्यत्व का निखरना - संत रूमी और स्वामी विवेकानंद जी का जीवन
20:00 दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा - ब्रह्मज्ञान
24:08 ब्रह्मज्ञान की शक्ति - सुपरकॉन्शियस माइंड [Superconscious Mind - Beyond Sigmund Freud’s Psychoanalytic theory]
26:12 सच्चा शिष्यत्व - त्याग, समर्पण और गुरु के आदर्श
32:00 धर्म की अपेक्षा - साधक वर्ग का आह्वान
33:36 दिव्य गुरु का संदेश
SUBSCRIBE NOW to DJJS KZbin channel & PRESS THE BELL ICON for regular updates.
#Rumi #SwamiVivekananda #SpiritualDiscourse #GuruShishya #GuruBhakti #DivineLove #विरह #SurrenderToGod #Discipleship #SrijanSenani #BhaktiMarga #SelfTransformation #Brahmgyan #दिव्य_गुरु #श्री_आशुतोष_महाराज_जी
--
Follow us on Social media:
WEBSITE: www.djjs.org
FACEBOOK: / djjsworld
TWITTER: / djjsworld
KZbin: / djjsworld
Subscribe & press 'Bell' icon.
INSTAGRAM: / djjsworld
ANDROID APP: play.google.co...
IOS APP: itunes.apple.c...