जज साहब को निर्भय होकर निष्पक्ष न्याय करना चाहिए कौन क्या कहता है इस पर ध्यान नही देना चाहिए।
@radhekrishandas39662 жыл бұрын
Kya mjak kr rhe ho? Agr judge nyay krenge to dhi handi ki hight kun napega. Atankiyo ko kun bachaega manavadhikar ka rona rokr. Ar corona pr kese bolenge? Jo kisan andoln daru ke theke se nhi phelta. Kewl mndir se phelta hai
@myheart85482 жыл бұрын
सुधीर सर आप अच्छी तरीके से न्यूज देते हैं। जय हिन्द जय भारत
@GovindBMW2 жыл бұрын
Jay Jay Shree Ram
@ganeshpanigrahi52582 жыл бұрын
भारत की न्याय व्यवस्था को संशोधन जरुरी आबश्यकता है... भारत की सबसे बड़ी प्रखर कर्मयोगी और सच्चा राष्ट्रभक्त पत्रकार श्रीयूक्त सुधीर चौधरी जी को मैं अनेक अनेक वधाई और शुभकामनाएं देता हूँ... भारत माता की जय...
@aniltiwari11282 жыл бұрын
जो भी अराजक वर्ग न्याय प्रक्रिया में बाधक बने उसके लिए कानून बनाकर उनको जड़ से समाप्त कर देना चाहिए । लोकतंत्र की भी एक मर्यादा होती है ।जब लोकतंत्र भीड़ तंत्र में परिवर्तित होने लगे तो उसपर मर्यादा की सीमारेखा से बाहर नही जाने देना चाहिए और जो भी उलंघन करता हो उसका समूल बिनास कर देना चाहिए।
@अखंडभारत-भ4ठ2 жыл бұрын
अरे मीलार्ड साहब देश भर की अदालतों में लगभग 5 करोड़ केस पेंडिंग हैं। 2021 में इसके लिए कुछ काम किया। और क्या काम किया। ताकि लोगों समय न्याय मिल सके। समय पर न्याय न मिलने के कारण दिनोंदिन अपराध बढ़ते जा रहे हैं। और अपराधी बेखौफ होते जा रहे हैं।
@i_m_groot55442 жыл бұрын
Kamchor judge
@gayathriprabhakar93932 жыл бұрын
Why worry of criticism or trolls, our PM is facing critics day in day out, inside the nation as well as from outside, but keeps doing good work, and appreciated by many. Why care for small percentage of negative thinkers. We can't please everyone always
@gyanbhandar58902 жыл бұрын
ऐसे डरपोक लोगों को. सुप्रीम कोर्ट का जज नहीं बनना चाहिए. जो लोग अपने इज्जत की वजह से मामले से ही हट जाए.
@kukku12202 жыл бұрын
Afwah failane me hmare desh ke log bahut mahir h ye jante ho to khud ko unke jagah me rkh ke dekho tab smjh aayega
@kukku12202 жыл бұрын
Kisi ko nicha dikhana bahut aasan hota h Or tumhe koi nicha dikhye to kaisa lgega, mja aayega na
@SwamiDineshanandji2 жыл бұрын
Bilkul sahi kaha
@niteshmeena61352 жыл бұрын
Right
@gyanbhandar58902 жыл бұрын
@@kukku1220 यह किसी को ऊंचा और नीचा दिखाने का बात नहीं है. आपको यह सोचना होगा सुप्रीम कोर्ट कोई छोटा-मोटा कोर्ट नहीं होता. भारत के सबसे उच्च न्यायालय है वह. उनका फैसला भगवान का फैसला माना जाता है. क्योंकि भगवान के बाद सुप्रीम कोर्ट की सबसे उच्च न्यायालय है भारत में. और वह लोग ही अपनी इज्जत या अपने बदनामी की वजह से अपने आपको मामला से हटाने लगे. तोे भारतवासी किसके ऊपर विश्वास करेंगे. भगवान अगर किसी को दुख देता है वही दुखी लोग भगवान को कोसते हैं. किसी को सुख देता है तो वही लोग भगवान का धन्यवाद करते हैं. अब भगवान तो नए और अन्य दोनों का विचार करेगा. सुप्रीम कोर्ट वाले भी वैसा ही होना चाहिए
@Wajdnbxbbb17j2 жыл бұрын
आपका किसी वक्तव्यं कौ स्पष्ट करने का प्रयास बहुत अच्छा है🙏हिंन्द हिंन्दी हिंन्दुस्थान
@jllukhikelin92692 жыл бұрын
मुन्नी वो.. बदनाम वाली चाची ये.. भूरी.? वाली पार्टी ये.. इटली वाली सिद्धू जी ठोको ताली
@अखंडभारत-भ4ठ2 жыл бұрын
अरे मीलार्ड साहब जब हमारी सेना के ऊपर उंगली उठाई जाती है। तब तो स्वमोटो एक्शन नहीं लेते हो। और सिर्फ हिंदुओं के त्योहारों पर बिना मांगे ज्ञान देने लगते हो। लेकिन आज जब बात अपने ऊपर आई। तो चीखें निकने लगी। अभिव्यक्ति की आजादी सिर्फ आपको नहीं है। देश के हर नागरिक को है।
@shriramkadam64682 жыл бұрын
बहुत सुन्दर जवाब दिया है
@siddhantsingh28102 жыл бұрын
यह गलत है देश के सब लोगों को न्यायपालिका पर विश्वास होना चाहिए ...जजों को टोल करना गलत है अगर न्यायपालिका खतरे में आ गई तो फिर इस देश का लोकतंत्र कभी बच नहीं पाएगा
@satyabirsingh27402 жыл бұрын
आलोचना से डरने वाले जज नही हो सकते। इस तरह, सत्य से मुंह चुरा कर, निष्पक्षता का चोला ओढ़ने वालो को, इतने महत्व पूर्ण केस से अलग होने से काम नहीं बनेगा। बल्कि त्यागपत्र दे देना चाहिए।
@rajeshwareedeshpande49612 жыл бұрын
सत्य कथन
@linkcreate30262 жыл бұрын
सुधीर जी आपसे निवेदन है छोटे और कम विकसित राज्य और शहरो की भी समस्याओं पर भी आप ध्यान दिया करे। जैसे हारे MP में अभी भी अच्छे स्कूल, काँलेज खेल अकादमी अच्छी रोड, उद्योग नही है। सरकार पर कुछ दबाव बनेगा
@Rakka312 жыл бұрын
जब मीडिया और अदालत सरकार के साथ मिल कर शोषण करेंगे तो निरीह जनता ट्रोल के अलावा और कर भी क्या सकती है। अच्छा लगा ये सुन कर कि आपलोगों को ट्रोल से थोड़ा डर लगता है।
@aniltiwari11282 жыл бұрын
न्याय पक्रिया का लोकप्रियता से कोई संबंध नही होना चाहिए। न्याय पालिका इन सबसे उपर है।
@bhimsinghsaini92672 жыл бұрын
आज समय ऐसा आ गया है जब लोकतंत्र देश के लिए खतरा पैदा कर रहा है
@chintuchintu69322 жыл бұрын
Supreme Court का भी रवैया आज कल काफी बदल गया है। इसलिए जो हो रहा है इसकी जिम्मेदारी भी Supreme Court की ही है। जैसा जो करेगा, वैसा वो भरेगा।।।
@Rakka312 жыл бұрын
कौन नहीं जानता कि सरकार और जज ही मिल जुल कर वकीलों को जज बनाते हैं।
@linkcreate30262 жыл бұрын
आपकी बात सही है। शिक्षा की बात करने वालो के मँहगे मँहगे स्कूल काँलेज है।
@kusum.sharmakls.66232 жыл бұрын
जो न्याय धीश दबाव पर आ जाए उनके ,कोर्ट से बाहर,यानी घर पर रहने की स्लाह देनी चाहिए,माननीय मोदी जी को🙏
@rajeshwareedeshpande49612 жыл бұрын
Public ko bhi
@AnilKumar-fn2he2 жыл бұрын
Sudhir sir good news dikhate ho 👍👍
@raghvendraprasadtiwari7242 жыл бұрын
अगर ईमानदार फैसला है तो ट्रोल से क्या डर
@spsrajput9852 жыл бұрын
Jai Shree Ram
@GeoPoly552 жыл бұрын
India suffering from 5th generation warfare. India mein bohot jyada freedom of expression hai isliye log kuch bhi bolte hai democracy ke nam par, har ek Institute ko troll karte hai. Bohot contemptible hai ye
@pushpasehgal25482 жыл бұрын
जज साहब का बहुत सही विचार।
@Rakka312 жыл бұрын
अदालत भी तो सरकारी शोषकों का ही साथ देती है। भय और लालच ही इसका कारण है।
@rahulpoonia74732 жыл бұрын
Sab se transparent sudhir bhai
@Rakka312 жыл бұрын
जस्टिस गोगोई तो राज्यसभा में हैं। तो क्यों नहीं न्यायपालिका में सुधार के लिए आवाज़ उठाते हैं। जज के रूप में सड़क पर प्रेस कांफ्रेंस करने से अच्छा है कि राज्यसभा जैसे ताकतवर मंच से आवाज उठाई जाए क्योंकि उचित मंच यही है।
@r.a.shukla96172 жыл бұрын
चारों खम्भे कमजोर हैं।
@rajeshsinghrajput24052 жыл бұрын
सुधीर चौधरी जी आप ग्रेट हो सर
@laxmanghonge28912 жыл бұрын
100% सुप्रीम कोर्ट जय हिंद जय महाराष्ट्र
@mlpadha3032 жыл бұрын
Judges are suppose to be above public opinion and follow the law as directed in the Constitution.
@amathpatl80412 жыл бұрын
you are right . I would say these are coward judges,
@vidushimathur26692 жыл бұрын
Most of the times they are have prejudices , they favour , pressure and at times their personal interests superceded and in between Justice is lost. Which is unfortunate.
@cpgahtyari2 жыл бұрын
जब तक त्वचा का स्पर्श त्वचा से न हो तब तक बलात्कार साबित नहीं होता। मंबई उच्च न्यायालय का न्याय!
@Spjaat872 жыл бұрын
मुझे सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं है
@yaduvirmishra27062 жыл бұрын
कोर्ट में जजों की नियुक्ति पर मोदी जी की सुधार लागू होने से समाधान हो सकता है।
@rangeenkhana41892 жыл бұрын
Jay shiree ram 🙏
@SR-ng4gm2 жыл бұрын
सुधिर Sir आपकी आवाज से Z न्यूज मे मजा आ गया।इस तरह अपनी आवाज बुलंद करने का प्रयास करें🙏🚩🚩
@Amarnath01372 жыл бұрын
I'm addicted to your voice, it's true. 🤣
@devidaspawar1752 жыл бұрын
As above.
@satishmishra34172 жыл бұрын
मैं राष्ट्रपति से अनुरोध करूँगा की ऐसी स्थिति बनाई जाये कि हमारे क़ानून के महत्पूर्ण स्तंध स्थापित रहे यही मेरी मरी मनोकामना है
@niwaskumar7042 жыл бұрын
Very imformative India me aise hona democracy par khatra hai
@r.a.shukla96172 жыл бұрын
इसके लिए जज खुद जिम्मेदार है।
@sudhakarmahadik54902 жыл бұрын
Great news . Sudhir ji
@jsjodhajalsu18612 жыл бұрын
राममंदिर मामले में भी मुस्लिम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को केवल जजों के विषेष पावर को प्रयोग में लाना मानते हैं ना की किसी मन्दिर को तोड़कर मस्जिद मानना
@bhimsinghsaini92672 жыл бұрын
कोर्ट का फैसला ढुल मूल ह
@pushpasehgal25482 жыл бұрын
कहा गया है कि प्रधान मंत्री की सुरक्षा में त्रुटि के मामले में जल्दी से जल्दी फैसला होगा किन्तु जब किसी फैसले में 400 वर्ष भी लग सकते हैं और 30 से 40 वर्ष में फैसला आना तो मामूली बात है तब इस केस में भी ऐसा ही होगा । केस न लेने के बजाय जजों को ऐसे पेशे में आने से पहले ही सोचना चाहिए। हम तो यही सोचते हैं कि जजों पर कोई दबाव नहीं डाल सकता ।
@shibukumark.v75122 жыл бұрын
Very good Sabjact .
@ratilalborana61712 жыл бұрын
कोर्ट के जज क्या देवता है क्या जिन्होंने कभी रिश्वत नही ली आज कल सब बिकता है सिवाय ईमानदारी और मेहनत के
@pushpasehgal25482 жыл бұрын
यह मामला भी नहीं सुलझेगा क्यों कि आतंक और दबाव में आकर फैसला होगा कैसे? जजों ने कमेटी बना दी है किन्तु यह नहीं सोचा कि कमेटी पर भी दबाव डाला जायेगा ।
@pranjalsrivas2 жыл бұрын
Solution, Judges Should sit behind the glass in secret and names of judges should not be discloused to anyone. Only after final judgement they sign the papers so that no one can pressurize them before proceedings
@sheelas87752 жыл бұрын
Very Sensible and Practucal Solution worth considering seriously....!
@amathpatl80412 жыл бұрын
great solution, but how and how long secrecy be maintained is the question but possible if the case is solved in a few days
@somlatasingh86062 жыл бұрын
Nothing can be kept secret in this country. As everyone cries on right to information. Too much of freedom, excessive pressure on democracy is the reason behind it. Now democracy = anarchy
@खुंखानइंसान2 жыл бұрын
हिंदुस्तान अमीर हिन्दू गरीब हिंदुओ की अच्छे से कुटाई करते हैं।😁😁😂
@anandswaroop43382 жыл бұрын
Veryshameful
@ramashankarrama5112 жыл бұрын
भला हम देश की आम जनता को भरोसे में कैसे ले सकते हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनता के सामने साहीन बाग , तथाकथित किसान आन्दोलन व अन्य वादों में जनता के समक्ष पेश किया है। कृषि कानून की जांच के लिए जो समिति बनी उसकी भी जांच को लम्बे समय से सुप्रीम कोर्ट में रखा हुआ है और उसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।
@krishakiduniya2 жыл бұрын
Right
@satishmishra34172 жыл бұрын
मुझे नही पता कि मेरे देश के न्यायिक प्रक्रियाओं में वांछित लोग इतना भी ..... मैं अनुरोध करूँगा राष्ट्रपति महोदय से जब से देश आज़ाद हुआ तब से लेकर आज तक जांच का आदेश जारी करे हमे पता तो चले कौन भारत का है कौन विदेशी है
@surendraverma75742 жыл бұрын
जजों पर सामाजिक, राजनीतिक दबाव के सुप्रीम कोर्ट भी निष्पक्ष निर्णय देने में असमर्थ हो जाय तो न्याय व्यवस्था धंवस हो जाता है।
@gkplus28772 жыл бұрын
अहंकारी का कोई भगवान, ईर्ष्यालु का कोई पड़ोसी एवं क्रोधी का कोई मित्र इस दुनियां में नही होता हैं.. 🌾🙏🌾🌷🦚राम राम जी🦚🌷🌾🍀🌾
@mahendrajaiswal30702 жыл бұрын
उच्चतम न्यायालय के न्यायधीशों को स्वत: ही अपनी निष्पक्षता पर संदेह नहीं करना चाहिए. अत: व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समुहों के टिका टिप्पणी के भय से न्यायदान करने से चुके नहीं.
@bhuveneswarkumarpulaka96352 жыл бұрын
Make the law about to arrest troll army who trolled judges
@yogeshshandilya97612 жыл бұрын
Amazing view Sudhir jee .Thanks .
@madangarg49732 жыл бұрын
Sir, one judge who rescused himself from hearing had so many time threatened central Govt.under pressure of naxali kejriwal( during second waive of covid ) now he is feeling threatened from conspirators like naxalies ,communists and congress but threatening an honest central Govt. IN my view he does not deserve to become judge of SC.
@scjain77902 жыл бұрын
Very very rightly said
@SR-ng4gm2 жыл бұрын
हमारे देश में जो जजों को धमकी देते हैं और डरा रहे हैं उनका खात्मा हो जाना चाहिए तभी ही न्याय व्यवस्था में सुधार होगा। सत्यमेव जयते🙏🚩🚩
@brijesh.prajapatibrijeshpr59042 жыл бұрын
Jay Ho sudhir ji
@abvar272 жыл бұрын
Why can’t the trollers be charged with contempt of court?
@devasiamunjely2 жыл бұрын
Very true. The judiciary is itself responsible for this conondrum.
@yaduvirmishra27062 жыл бұрын
चिंता मत कीजिए सुधीर जी, आने वाले वर्षों में मीडिया भी अपने आप को पुलिस, कोर्ट के समकक्ष दिखाई देगा। क्या आप भी इसमें अपने आपको सम्मिलित नहीं कर लिए हैं? अरनवजी का कवरेज आपने किस तरह किया था। भूल गये?
@gulabmahato30132 жыл бұрын
इस पर कानून बनना चाहिए कि जज का कोई कॉलिंग नहीं कर सकते
@shriyeshcv2 жыл бұрын
Sir I think so PM Modiji took back agricultural LAWS It gave strong
@vikramverma90042 жыл бұрын
I appreciate your. observation . Lecturer VIKRAM
@rajnaththakur79562 жыл бұрын
शायद आपको याद नहीं है कि पिछले मई महीना में बंगाल में हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने अपने को अलग कर लिया था।
@kanchanbahirat31922 жыл бұрын
मेरा अनुभव बिलकुल अलग है. मेरे साथ भी अन्याय किया है जज ने. मैं स्मॉल कॉज कोर्ट मैं जीती थी। और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मैं मेरे खिलाफ रिजल्ट अभी 18 दिसंबर 2021 को आया है। और आज तक मुझे जजमेंट अभी तक मिला नही है। सभी लोग कह रहे थे की मेरी स्ट्रॉन्ग केस है और मैने सारे डॉक्यूमेंट्री एविडेंस कोर्ट मैं सबमिट किए थे। फिर भी मेरे अगेंस्ट वर्डिक्ट देकर मुझ पर अन्याय किया है। अभी इस जज और जजमेंट को क्या कहुं और न्याय के लिए मुझे हाई कोर्ट जाना पड़ेगा। मैने मेरे जिंदगी के 13 सालसे केस लड़ रही हू। मैने जो मानसिक, शारीरिक तकलीफ सहन की है। जो इंसल्ट कोर्ट मैं सहन किया है। पैसे का भी लॉस किया है। कोर्ट एविडेंस देखता है। मैं सामान्य स्त्री हूं अभी मैं क्या करू। Very under depression 😔😔😌
@p.moksheshwarraj76642 жыл бұрын
Jai hind sir 🙏
@PrakashSingh-bc7mw2 жыл бұрын
रामजी हमारे किशन जी हमारे शिवजी हमारे शिवाजी महाराज हमारे महाराणा प्रताप हमारे पी एम मोदीजी हमारे तो इस देश का नाम इंडिया किसलिए भारत बोलिए हिनदुसतान बोलिए सत् सनातन देश बोलिए जय हिंद जय भारत जय हिंद जय भारत जय हिंद जय भारत
@devasharma38672 жыл бұрын
100%√
@mangeshsavkar24022 жыл бұрын
👍
@surendrchopra35972 жыл бұрын
Very good analysis
@donazen29522 жыл бұрын
The topic is burning fierce at present,,,,, media is totally aware now,,, no injustice can step forward anymore....
@अनिकेतगौतम-ध7न2 жыл бұрын
हमे ये घटिया अंग्रेजी न्याय व्यवस्था नहीं चाहिए
@manojkumar-th9tl2 жыл бұрын
काँग्रेस का सोच ऐसा ही ऐसा हो सकता है कि फैसला उसके पक्ष में ही होना चाहिए!
@vinodpandya76372 жыл бұрын
Mr Chaudhary, people who are neither party to a case now feeling that courts are biased. If Supreme court doesn't ask from which sky Salman Khan's new driver dropped after 13 years of lacharak लचरक, proceedings, who will ask ? In many cases Supreme court crtisises police investigation. But then why the court is not ordering a thorough inquiry in police behaviour ? It means Supreme Court has no problem when a policeman or a politician jeopardize the law. So Mr. Sudhir don't take High Seat and ignore national interests.
@vinodkumargupta81762 жыл бұрын
👁️🗨️क्या बहुमत से चुनावों में चुनी हुई सरकार के राष्ट्र हित में निर्णय लेने के अधिकार को भी सर्वोच्च न्यायालय बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के निरस्त कर सकता है__?_ _अगर ऐसा है तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रहार हैं l विनोद कुमार सर्वोदय
@radheshyampalpal86702 жыл бұрын
सुप्रीम कोर्ट मियां लॉर्ड मैकाले का कोठा कहिए
@shubhamshukla31542 жыл бұрын
Our judiciary are independent and transparent
@rajeshwareedeshpande49612 жыл бұрын
What is ur opinion on Salman Khan's both cases?
@ashokghasti52032 жыл бұрын
Very nice topic
@neerajkaushik93932 жыл бұрын
En Judges ko saja honi chahiye Koyoki ye apne kam se dar gaye Kal to army bhi pichhe hat jayegi ,Tab kya hoga
@gauravsrivastav54522 жыл бұрын
यह बात बिल्कुल आप गलत कर रहे हैं जज जज होते हैं वह कभी भी सही फैसला नहीं
@txicgaming25722 жыл бұрын
Judges ko public opnion ki tnsion nhi hone chaiya sirf shi judgment deni chaiya.
@raghuraj91012 жыл бұрын
Baat nikali hai to door tak jaani chahiye ....aur jimmedar esakaa fruit full result nikaalen .... thanks...
@nityanandvarma93872 жыл бұрын
Saty mev jayte
@HurtFlocker2 жыл бұрын
But the two judges who recused themselves from the case should at least have issued a proper order detailing the reason for doing so. Nothing forbade them from doing that and it would have helped the judiciary in the longer run in someway. Last but not the least, they should have taken strength from the recent example set by the bench that showed its combined wisdom and resolve in giving the landmark judgement in Ram Mandir case. Therefore, these 2 SC judges appear to have somehow gone down without a reasonable fight and that isn't a welcome sign.
@sheelas87752 жыл бұрын
Why should any Judge be concerned of any criticism of their verdicts if and when their conscious is crystal-clear of totally unbiased and justified verdicts. Judges should NEVER BE AFFECTED BY ANY THREAT, CRITICISM OR BRIBE OFFERS..! THEY SHOULD HAVE THEIR ABSOLUTE STRENGH OF PERSONAL ROCK-LIKE CONVICTION ABOUT THEIR VERDICT UPHOLDING ABSOLUTE JUSTICE AND TRUTH,,,.! THESE POSITIONS ARE JUST ON THE SAME LEVEL AS SOLDIERS ON THE BORDER WAR-LINE WHO PUTS EVERYTHING ELSE, INCLUDING HIS OWN LIFE OR PERSONAL MATTERS AS INCONSEQUECIAL AGAINST THE PURITY OF VERDICT BASED PURELY ON TRUTH AND JUSTICE..! IT IS AN EXTREMELY DIFFICULT POSITION BUT THIS DIFFICULT POSITION IS IN ITSELF, AN OCCUPATIONAL HAZARD...! AND MUST BE FACED WITH EXTREME DETERMINATION...! NOTHING IN THIS OBSERVATION IS PERSONALLY AGAINST THE JUDGES WHICH IS A PROFESSION CONSTANTLY WALKING ON A TIGHT ROPE...! YET, THE JUDGES AN D THE JUDICIARY ALSO MUST BE INTENSLY AWARE THAT THE NATION FOR IT'S VERY SURVIVAL AND EXISTENCE HEAVILY DEPENDS UPON TOTALLY UPRIGHT AND UNCOMPROMISING JUDICIARY..! THE VERY LIFE AND EXISTENCE OF BILLIONS OF PEOPLE RESTS IN THE VERDICTS OF JUDGES...! IT IS FULLY APPRECIATED THAT THIS JOB IS EXPOSED TO EXTREME PRESSURES THROUGH COUNTLESS POWERFUL SOURCES, AND, PRECISELY FOR THIS REASON, JUDGES ARE REQUIRED TO BE OF EXTREMELY HIGH STANDARDS OF DEDICATION TO JUSTICE AND TRUTH THROUGH LEGALITIES CONSIDERING THE IMPACT OF THEIR VERDICTS DIRECTLY AFFECTS BILLIONS OF LIVES...! This is NOT IN THE LEAST MEANT TO BE CASTING ANY ASPERSIONS ON HONOURABLE JUDGES AND JUDICIARIES...@!
@ManishGupta-is9vd2 жыл бұрын
Are you book devlop can you write book
@ragupta84462 жыл бұрын
Caring about the consequences of delivery of judgement is the very nagative quality of any judge if it is delivered truly without any favour with any side like any true nationalist and in the intrest of justice
@digamberhadap14012 жыл бұрын
मेरा प्रश्न है कि कृष्णा नदी विवाद में जो राज्य पार्टी है,उन्ही राज्यों के न्यायाधीशों को क्यों नियुक्त किया जाता है? अन्य राज्यों से संबंधित न्यायाधीशों की नियुक्ती की जाए. इतके साथ निर्णय समीक्षा में भूगर्भ शास्त्री, पर्यावरण विद,भूगोल विशेषज्ञ,कृषि विशेषज्ञ आदि को भी शामिल किया जाना चाहिए,तब सही न्याय हो सकता है .
@golupolu68032 жыл бұрын
Aise to Desh ka satyanash ho jayega agar jispe desh justice ke liye bharosa karte hai wahi kisi cheez se dare
@anandshnkarmukarjee55692 жыл бұрын
Hamsayekhaye
@krushnaprasadnayak32302 жыл бұрын
Jai hind
@liladharpotlia55872 жыл бұрын
ऐसे जजों, वकीलों, डीएम और पुलिस अफसरो की सुरु से अब तक की सारी सैलरी ब्याज समेत वापस लेकर नौकरी से निकाल देना चाहिए जो डरपोक होते हैं, जो अपने कर्तव्य का सही से निर्वहन नहीं करते।
@butterfly54782 жыл бұрын
Wisdom is the best policy if judiciary is honest enough then why he should Backfoot , but if he is not believed in himself then other case.
@ssuragimath34232 жыл бұрын
In 2007-08 I was sitting in the Karnataka HC when hearing of a Sales Tax matter relating to Coffee planters interest was going on. The judge in the open court that day stated that he is a planter himself. As a common man, I felt he shouldn't have taken up that case.
@rajeshsinhasinha91342 жыл бұрын
Govt should make a law for those troller.
@raghvendraprasadtiwari7242 жыл бұрын
उच्च अदालतों में तो शायद नहो लेकिन निचली अदालतों में बैठे जाजोंपर निगाह डालने लायक है
@EpacUniverse2 жыл бұрын
Apko Ajeet Bharati ko sunna chahiye Sudhir miya
@rajeshreesawant27192 жыл бұрын
*TROLL* *AARMY* / *LOBBY* KO ACCHE SE UNITY KE SATH EXPOSE KARNA CHAHIYE AMEN
@men_work2 жыл бұрын
वाह बेटा वाह ।अब जज खराब हो गया।high level की दलाली है