तुझे क्या पता ये दर्द ए जुदाई क्या चीज है. कोई अपना बिछड़ा होता, तो एहसास होता || गम नहीं होता उनको किसी का आशियाना तबाह करके. कभी अपना घर टूटा होता, तो एहसास होता || दरख़्त से तोड़कर फल तुम खुश होते हो यहां. शीशे सा कभी खुद टूटे होते, तो एहसास होता || जेहन की जीत को तू जीत कहता है मगर. तू जीत कर हारा होता,तो एहसास होता || बड़ी तकलीफ से एक झोपड़ी बनाते हैं मां-बाप अगर तू भी किसी का बाप होता, तो एहसास होता || मेरे आंसुओं को देखकर यूँ उदास मत हो " रियाज़ " किसी मजलूम का कभी अश्क पोछा होता, तो एहसास होता||