EP 1565: 25 साल की उम्र में 70 क़त्ल, 27 साल की उम्र में फांसी, जयपुर के कनपटीमार शंकरिया की कहानी

  Рет қаралды 1,858,351

Crime Tak

Crime Tak

Күн бұрын

Пікірлер: 1 200
@sandeepbhardwaj3875
@sandeepbhardwaj3875 10 ай бұрын
शंकरिया कनपटि मार को फांसी मेरे पिताजी श्री जयंती प्रसाद शर्मा की मौजूदगी में मई सन 1979 में जयपुर जेल में लगी थी,उस समय श्रद्धेय पिताजी जयपुर जेल पर जेलर के पद पर पदस्थ थे
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@m.ssharma6039
@m.ssharma6039 9 ай бұрын
जय हिदं
@sushilraigar7601
@sushilraigar7601 9 ай бұрын
आपके मोबाइल नंबर मिलेंगे
@Krishna-ov9lu
@Krishna-ov9lu 9 ай бұрын
Ha usko maine hi fassi ki saja sunai thi
@narendra5745
@narendra5745 9 ай бұрын
हा उस समय जज मेरे दादा थे उन्होंने ही फांसी की सजा सुनाई थी
@TarsemSingh-zz3wh
@TarsemSingh-zz3wh 10 ай бұрын
शम्स जी आज ये कहानी सुनकर ऐसा लगा कि क्या हमें हमेशा कपोल कल्पित कहानियों ही सुनने को मिलती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शंकरिया के फांसी पर लटकने से पहले आखिरी बोल थे "भगवान करे कोई और शंकरिया पैदा न हो"। आपको इस कहानी की राजस्थान के श्री गंगानगर पहुँचकर जांच करनी चाहिए। उसके बचपन की गरीबी, प्रसाद चोरी पर बिना सोचे समझे उसकी बार बार पिटाई, साधुओं से नफरत, चोरी के मामले में उसका जेल जाना, वहां उसको किसी का चैलेंज करने वाला बोल, उसी से आसानी से कत्ल का तरीका सीखना, बिना किसी और को रखे जो हाथ आए उसी से ऐसे कत्ल करना कि पास लेटे किसी दूसरे को पता न चले, नफरत के कारण ज्यादातर साधुओं का कत्ल। पकड़ा भी गया तो शायद एक रेल टिकट से। फांसी के समय उसका भार शायद 27, या 37 किलो था। हम कालेज में पढ़ते थे और "राजस्थान पत्रिका" में यह खबर छपी थी। उसका अपराध क्षेत्र मुख्यतः पुराना श्री गंगानगर जिला यानि कि आज का श्री गंगानगर और हनुमानगढ़ जिला था। अगर पुलिस रिकॉर्ड में आप वाली कहानी है तो वो झूठ का बवंडर है। क्योंकि वो मुख्यतः सोए हुए लोगों को मारता था। उससे बचने वाला शायद ही कोई हो। उसकी दहशत "हथौड़े मार" के नाम से थी परंतु हथौड़ा वगैरह उसके पास नहीं रहता था। अगर पुलिस ने हथौड़ा दिखाया है तो शायद वो पुलिस का हथौड़ा ही था।
@mahendersinghpoonia4187
@mahendersinghpoonia4187 10 ай бұрын
पूरा झूठ का पुलिंदा है, पुलिस रिकॉर्ड में ऐसी कोई कहानी नहीं है। जिन दो हत्याओं के लिए उसे फांसी हुई थी वो तख्त हजारा के गुरुद्वारा में 8सितंबर 1973 की रात को हुई थी। केस 6 साल चला था और सुप्रीम कोर्ट तक गया था। ये चार महीने में केस खत्म होने का गपोड़ पेल रहा है। शंकरिया को गंगानगर से उठा कर जयपुर ले गया है। झंडू है ये आदमी गोदी मीडिया केस 6 साल
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@rohtashkumar4994
@rohtashkumar4994 10 ай бұрын
श्रीमान आपने एकदम सही बोला इसकी फाइल मैंने पढी है जो की राजस्थान पुलिस अकादमी जयपुर के म्यूजियम में आज भी रखी हुई है उसमें भी हथोडे का कही भी कोई जिकर नहीं है वो तो मोका ए वारदात पर जो मिलता उसी से सर पर वार करके हत्या करता था
@rohtashkumar4994
@rohtashkumar4994 10 ай бұрын
यह कहानी तो पूरी तरह काल्पनिक है
@rohtashkumar4994
@rohtashkumar4994 10 ай бұрын
इसकी केस फाइल अगर किसी को देखनी हो तो मैं दिखा सकता हूं
@AshokDhaka-b7k
@AshokDhaka-b7k 10 ай бұрын
धन्यवाद साहब,सर एक नशेडी की तरह आप के कहानी का ईतजार करते हैं,वाकयी में कहानी को कहने का आप का तरिका लाजबाव है, कहानियां सुनते ऐसा लगता, जैसे क्राइम आंखों के सामने हो रहा है। पर जब हम उसी कहानी के सम्बन्ध में सवाल जवाब करते हे,तब आप सवाल पढ कर या तो ईग्नोर कर देते या जबाब दैनां नहीं चाहते। क्यों कि हम भारतीय संविधान पर पुर्ण विस्वास करने के साथ मान सम्मान भी करते हैं,पर पदों पर नियुक्ति या नियुक्त के बारे में पुछ कर फैसले के सम्बन्ध में पुछनें पर वो भी कुछ फैसलो जिनकी वास्तविक हकिकत से हमारे से अधिक वाफिक होने पर भी आप ईग्नोर करते हुए,,,,,,,,,कर दिया करते। हां माना कि मजबुरीयां होती,पर आप भी संविधान के चौथे स्तम्भ हो पर लगता की पायो में बीम सीमेंट कंक्रीट बजरी शायद न,,,,
@vandanakardam4785
@vandanakardam4785 10 ай бұрын
Nashedi 😂😂😂 bhai koi aur shabd bhi use kar sakte the 😊
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@jagdishbeniwal25
@jagdishbeniwal25 10 ай бұрын
कृपया इस कहानी पर दोबारा रिसर्च करें मुझे याद है इसका वकील श्री गणपत राम था मैंने एक दिन की कार्रवाई देखी थी
@haryanvijaat1604
@haryanvijaat1604 10 ай бұрын
Bhai sahab thoda aur batayein
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@MoktiKhan-yp9st
@MoktiKhan-yp9st 10 ай бұрын
​@@haryanvijaat1604❤❤9bd1vdvdvdvd9vd❤9vd9vd9vd9vd9vd❤9vd❤9vdvd9vd1vdvdvd❤vd1vfvd9vd1vdv❤d19vvd❤9vd1vd2vd❤vdvfvd9vd1❤91vdvd❤vdvf9vd1vdvdvd1❤vd9vf1vdvd9vd1vdvdvx9vd1vdvdvdvdd19v9vd1vdvdvd❤❤vd1vd9vd9vd1vd1vdvd9vd1vd❤vd1vf❤vd❤vd❤vd1vf9vd1vdvd9vd1vd❤vd1vd1vc1❤9vd19vd119vd❤1vdvd❤9vd1vd9vd❤1vdvd❤1vdvd9❤vd1vd9v❤d19vd19vd1❤❤vd1vd❤9vd1vd❤9vd1❤9vd19vd9vd❤1vdvdvd9❤vd19vd1❤❤¹bd9vf1vd1vdv9vd9vd9vd19vd1❤9vd1vd1❤vd9vd1❤d19v9v❤d19vx9vd1❤9vd1❤vd9vd1❤❤99vd1vd9v❤d19v9vd1❤vd9v❤d1vx9vd1vdvd1vdvd9vd1vd9vd1vd1vd9vd1vd1vd9vd19vdvdvdvdvdvdvd1vd1vd9vd1vdvdvd9vd9vd1vd1vd1q1q9d1v1moy😅vf1❤❤9❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
@@haryanvijaat1604 सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@ashokchoudhary3042
@ashokchoudhary3042 9 ай бұрын
रिछपाल जी ने फेमस कर दिया शंकरिया को😅😅
@13JANI...73
@13JANI...73 9 ай бұрын
😂
@HappyAbyssinianCat-de8vv
@HappyAbyssinianCat-de8vv 9 ай бұрын
Hum chote the mere chaha us time jaipur se law ki padhai kar rahe the unhone ye kahani sunai thi aaj apke video ko dekhkar wo sari bate taja aa ho gai sukria
@DidarulBapu9631
@DidarulBapu9631 10 ай бұрын
इतनी भयानक सीरियल किलर??? कहानी सुनकर डर लग गयी।
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@davsing986
@davsing986 9 ай бұрын
मैरे गांव का था यह सिरियल किलर वास्तव में हमारे जिले के लोगो में हालत डर वाले थे । रायसिंहनगर के गांव मे भी तीन जनो को रात को किसी भारी वस्तु से मारकर हत्या कर दी थी भाग्य से एक चार पांच साल का बच्चा ही बच गया था वो मै हु 😢😢😢😢😢😢
@cricketlover5328
@cricketlover5328 8 ай бұрын
😂😂😂😂
@nmanishchouhan2070
@nmanishchouhan2070 8 ай бұрын
It's true main isi area se hu​@@cricketlover5328
@ajayrawat3483
@ajayrawat3483 7 ай бұрын
Konsa ganv sir
@sanjayykumar5018
@sanjayykumar5018 7 ай бұрын
Bhai me nhi rsnr se hu aap kha se ho
@HimmatYadav-vo8pr
@HimmatYadav-vo8pr 7 ай бұрын
😂😂😂😂
@adityavardhan6203
@adityavardhan6203 10 ай бұрын
साढ़े चार माह में फैसला तारीफ योग्य है। वैसे तो फांसी की सजा को उम्रकैद या आजीवन कारावास में नहीं बदलना चाहिए। रेप और फिर हत्या के केस में भी फैसला अल्प समय में ही होना चाहिए।
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@darshanakumari6896
@darshanakumari6896 10 ай бұрын
तब न्याय व्यवस्था तंत्र पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारी के प्रति संवेदनशील होते थे।
@manjuldixit8121
@manjuldixit8121 10 ай бұрын
सच हैअब की अदालत तो कोहली और पंढेर को बचा देती हैं
@manjuldixit8121
@manjuldixit8121 10 ай бұрын
पढेर और कोली से फिर भी ठीक था जो इंसान को पका कर खाते थे फिर भी छोड़ दियेगये
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@vasantkumar8141
@vasantkumar8141 10 ай бұрын
🤗शम्स सर, अब आपकी कहानी सुने बगैर रातो को नींद कहाँ आती हैं कभी...........
@creightart3203
@creightart3203 10 ай бұрын
Sahi kaha
@vasantkumar8141
@vasantkumar8141 10 ай бұрын
@@creightart3203 🌹🤝🏻
@alpanajolly1212
@alpanajolly1212 10 ай бұрын
और कभी कभी कहानी सुनने के बाद नींद उड़ जाती है। 😂😂 Appreciations from Edinburgh. ❤
@vasantkumar8141
@vasantkumar8141 10 ай бұрын
@@alpanajolly1212 yes sir 😢
@Erfaiz-hy4gz
@Erfaiz-hy4gz 10 ай бұрын
Kahi aapko bhi psycho to to nahi Banna na😅😅😅 psycho
@karanbagbahara
@karanbagbahara 10 ай бұрын
आज मेरी भतीजी लक्ष्मी का जन्मदिन है सुप्रितम सर और आपको रोज सुनता हूं सर रात में सुन नही पाता तो अगले सबेरे सुनता हु पिछले 3 साल से आपको सुनते आ रहा हु आपकी आवाज से जैसे आदत सी हो गई है रात में किसी करण मिस कर डाला तो अगले सबेरे ये जानने के लिए सुनता हु की आज शम्स सर क्या सुनाए है आप बेहतरीन तरीके से स्टोरी सुनते है पूरी क्राइम टीम को बहुत बहुत बधाई🎉🎉🎉🎉🎉🎉
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@nazirattari2456
@nazirattari2456 10 ай бұрын
😂
@EvolveYourBrain
@EvolveYourBrain 9 ай бұрын
@@g-1carcare868completely agree with you
@DeepakHeera1992
@DeepakHeera1992 10 ай бұрын
उसे सिर्फ लोगों की मौत भरी चीखें सुनने में मजा आता था इसलिए एक नहीं, दो नहीं पूरे 70 इंसान खत्म कर डालें!!! एक साइको किलर किसी दरिंदे, भूत से भी भयानक और वहशी होता हैं और हैरानी हैं की उसे इसका एहसास तक नहीं होता
@prerna875
@prerna875 10 ай бұрын
Rational world KZbin channel
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@gaffargazi6503
@gaffargazi6503 10 ай бұрын
Right
@suchitra5581
@suchitra5581 10 ай бұрын
Sahi hai
@maroofahamedkhan8458
@maroofahamedkhan8458 8 ай бұрын
​@@g-1carcare868tum bhi what's up university me padhte hoge bhaie sahab 😂😂😂
@Mama_account1211
@Mama_account1211 10 ай бұрын
I am from Bangladesh...and I really like this program and adore your voice... thank you so much 🙏💓
@RoarDexter
@RoarDexter 10 ай бұрын
you might like me too
@jayveersinghvaghela
@jayveersinghvaghela 10 ай бұрын
Anpadh netao ko chuno ge to nyay kaha se milega
@KamalSingh-nq2wu
@KamalSingh-nq2wu 10 ай бұрын
00😢😢😢​@@RoarDexter
@sayanToys2
@sayanToys2 10 ай бұрын
India's best storyteller ❤️🇮🇳👍
@NikhilMore-jk8px
@NikhilMore-jk8px 10 ай бұрын
World*
@manrajsinghsingh3341
@manrajsinghsingh3341 10 ай бұрын
😊​@@NikhilMore-jk8px
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
Only fabricated stories, without any truth यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
@@NikhilMore-jk8px Aap Hindu hai tho Please apna Deemag Kholo aur Note karo a Muslim Uska Community chodke jadatar Hindu Community ko target karke Story banata hai.
@hareshwaghat4516
@hareshwaghat4516 10 ай бұрын
Aapki jabaan bhut achi hai
@ashutoshshukla4824
@ashutoshshukla4824 10 ай бұрын
To chaat le ja
@manjeetvlog8125
@manjeetvlog8125 9 ай бұрын
सर यह कनपटिमार शंकरिया राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के श्रीकरणपुर कस्बे का रहने वाला था!
@Triloksingh11166
@Triloksingh11166 7 ай бұрын
Bhai tumhe kaise pta me b kranpur se hu
@Triloksingh11166
@Triloksingh11166 7 ай бұрын
Maine to nahi suna yr
@Triloksingh11166
@Triloksingh11166 7 ай бұрын
Me b karanpur se hu
@krj8290
@krj8290 7 ай бұрын
Vo tere hi gaav ka hai . Police walo ko pucho​@@Triloksingh11166
@Andre-rn3cf
@Andre-rn3cf 4 ай бұрын
क्या जात का था ये।
@MaheshVerma-lp2ir
@MaheshVerma-lp2ir 10 ай бұрын
आपने आरम्भ में केस के बारे कहा था कि समय ज्यादा लगता है इसका कारण वकीलों का लालच भी है वो फीस के चक्कर मे केस को ज्यादा लम्बे समय के लिए लटकाते रहते हैं
@factindia-iu9fx
@factindia-iu9fx 10 ай бұрын
कहानी सुनकर मजा आगया बहुत ही अच्छी है
@rashmikap1959
@rashmikap1959 10 ай бұрын
I from USA I like program. I watch all real story thank you
@Goodhealth009
@Goodhealth009 10 ай бұрын
❤❤❤
@CANADA_INDIA
@CANADA_INDIA 10 ай бұрын
How you know Hindi... Bcz you are from USA
@राहुलगोदारा-ज8व
@राहुलगोदारा-ज8व 9 ай бұрын
कहासेहो कौनसा जिला राज्य है
@Yourfriendo614
@Yourfriendo614 8 ай бұрын
​@@CANADA_INDIA HE is Indian
@Newtoonnnn
@Newtoonnnn 8 ай бұрын
So what if you are from the USA? I am from India and I watch US movies and news. What's the big deal here?
@ParKarChottu
@ParKarChottu 10 ай бұрын
This crime story give chills down the veins due to the absolute insanity..
@thegondwanaland11
@thegondwanaland11 10 ай бұрын
ऐसा इसलिए अदालत में देरी होती है..क्योंकि किसी बेगुनाह को सज़ा ना मिले.. ये पूरी तरह जांच के बाद कि व्यक्ति गुनाहगार है या बेगुनाह..
@Savitayadav-q8l
@Savitayadav-q8l 10 ай бұрын
Adalat ke chakkar kaat kaat ke ek aam Aadmi hatiyaar utha leta hai aur khud Insaaf karta hai
@nirajkumarsindhal5l
@nirajkumarsindhal5l 10 ай бұрын
​@@Savitayadav-q8lRight 😢😢😢😢India ka kanun vevstha sabse ghtiya h 😡 kya hi kahu eske bare me sayad hi koi esa desh hoga jiska kanun vevstha itne khrab hogi
@s.p.singhsidhubrar5828
@s.p.singhsidhubrar5828 8 ай бұрын
84 ke dango me mare gye 4200 sikho ke katilo ko abi tak saza nhi hui...? Gujrat dango ke katilo ko bi abi tak saza nhi...? Kahi kisi begunah ko saza na ho jaye...
@anuragkarel2572
@anuragkarel2572 9 ай бұрын
आपकी कहानी तो सही है लेकिन शंकरिया करणपुर का था श्रीगंगानगर जिले का। करणपुर के दो शंकर प्रसिद्ध हुए थे। एक तो जादूगर सम्राट शंकर और दूसरा कनपटी मार शंकरिया
@HitFitNewsTV
@HitFitNewsTV 7 ай бұрын
बिल्कुल सही
@sanjayykumar5018
@sanjayykumar5018 7 ай бұрын
M also from
@amtindersingh7915
@amtindersingh7915 10 ай бұрын
असल मे यह शक्ष गंगा नगर की एक तहसील करणपुर का रहने वाला था श्री गंगा नगर मे लोग अपनी गलियों में मिलकर सारी सारी रात पहरा दिया करते थे 1975 की दिसंबर जनवरी की हाड कंपाने वाली ठंडी रातों को ।
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । इसलिए, मैं व्यक्तिगत अनुभव के साथ साथ तीन दिन तक गहन रिसर्च करके लिख रहा हूं। जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1974 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । रिक्शा का लाइसेंस इसने अपना नाम रतन लाल बता कर बना रखा था । शम्स ताहिर खान जो फोटो इस एपिसोड में प्रयोग कर रहा है, वह शंकरिया की नहीं, कलकत्ता के सजल बारूई की है जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कत्ल किया था और गिरफ्तारी के बाद ईलाज के दौरान पुलिस वालों को धोखा दे कर अस्पताल से भाग गया था। ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि घटना सितंबर ,1973 की है, चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@jagtarsandhujagtarsandhu903
@jagtarsandhujagtarsandhu903 10 ай бұрын
Sahi ha bai ji
@OLDRwt
@OLDRwt 10 ай бұрын
दादा था ये इनका परिवार से है हम
@RSingh-hb8ln
@RSingh-hb8ln 10 ай бұрын
Suna hai Ganga nagar mein sikh jada hein and khalistani movement joro shoro se hai..
@gurtejpawar2598
@gurtejpawar2598 10 ай бұрын
Hanji sir Ganganagar rajsthan me tha
@swayamkrishna4114
@swayamkrishna4114 10 ай бұрын
I am from Cuttack Odisha, regularly hearing the story
@proudbhartiya4707
@proudbhartiya4707 10 ай бұрын
Me too
@Rekha_V_Oldsongslovers..
@Rekha_V_Oldsongslovers.. 10 ай бұрын
Kya soch rahi hogi uski 😢 nice sir ji🙏🎉🎉
@ArunNagar-nb2sj
@ArunNagar-nb2sj 10 ай бұрын
मै जयपुर का ही निवासी हू। उसने लगभग 80 से अधिक कतल किये थे। रिकाड में 70 ही लिखे गये होगे लोकल अखबार में 80 बताये गये थे।
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
आप गलत कह रहे हैं सर , यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । इसलिए, मैं व्यक्तिगत अनुभव के साथ साथ तीन दिन तक गहन रिसर्च करके लिख रहा हूं। जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1974 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । रिक्शा का लाइसेंस इसने अपना नाम रतन लाल बता कर बना रखा था । शम्स ताहिर खान जो फोटो इस एपिसोड में प्रयोग कर रहा है, वह शंकरिया की नहीं, कलकत्ता के सजल बारूई की है जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कत्ल किया था और गिरफ्तारी के बाद ईलाज के दौरान पुलिस वालों को धोखा दे कर अस्पताल से भाग गया था। ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि घटना सितंबर ,1973 की है, चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@bhagwanswarupjogi5529
@bhagwanswarupjogi5529 9 ай бұрын
To abhi shankariyaa ka parivar kaha rahata hai
@mahendersinghpoonia4187
@mahendersinghpoonia4187 8 ай бұрын
ये घटनाएं जयपुर की थी ही नहीं, गंगानगर हनुमानगढ़ इलाके में हुई थी ये घटनाएं। ये झूठ का पुलिंदा सुना रहा है। वास्तविकता मैं ने एक कमेंट में विस्तार से लिखी है।
@Jagmeetsingh-tn2kw
@Jagmeetsingh-tn2kw 7 ай бұрын
Ji kuch aur jheen jo btana reh gya ho
@AJ-iy8or
@AJ-iy8or 10 ай бұрын
न्याय व्यवस्था में भी भेदभाव होता है गरीब अपराधी को जल्द से जल्द सज़ा और अमीर व उच्च जाति के अपराधी को बचाने के लिए पुरा सिस्टम लग जाता है
@deepaksaini232
@deepaksaini232 9 ай бұрын
To bhai galat Kiya to Aaja milega isme garib ya Amir Kya
@RahulKhichar-e3f
@RahulKhichar-e3f 9 ай бұрын
पागल है
@ashutosh542
@ashutosh542 9 ай бұрын
उच्च जाति?? जातिवाद का कीड़ा तुम जैसे लोगो के दिमाग मैं घुस चुका है जो धीरे धीरे तुमरे दिमाग को खोखला कर रहा है
@lalitverma1720
@lalitverma1720 9 ай бұрын
Jaati ka nhi money power ki sari baat ya fir political power bas
@GajendraSingh-kd7vy
@GajendraSingh-kd7vy 9 ай бұрын
Gajab isame bhi castism
@mojojojo4139
@mojojojo4139 10 ай бұрын
Long time awaited story. Thanks sir 🙏
@DevYadav-ku2uc
@DevYadav-ku2uc 10 ай бұрын
4:46
@murtazaalisaify8353
@murtazaalisaify8353 10 ай бұрын
इतनी सनसनी फेस कहानी सुनाने में क्राईम तक इतना लेट कैसे हो गया. यह तो पहले ही सुना देना चाहिए थी
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@mahendersinghpoonia4187
@mahendersinghpoonia4187 8 ай бұрын
झूठ का पुलिंदा है ,पूरा। सच्ची कहानी मैं ने विस्तार से एक कमेंट में लिखी है।
@sukhwantsingh2933
@sukhwantsingh2933 10 ай бұрын
यह घटना श्री गंगानगर, राजस्थान की है जयपुर की नहीं
@HitFitNewsTV
@HitFitNewsTV 7 ай бұрын
साहब आपको किसी ने गलत सूचना दी है क्योंकि शंकरिया श्रीगंगानगर के करणपुर क्षेत्र का था और आज के जिला हनुमानगढ़ के गांव धौलीपाल में एक ताकतवर जाट औरत द्वारा दबोचा गया था। यह बहुचर्चित कांड के बारे में मैं रोज अखबार पढ़ता था।उस वक्त वास्तव में लोगों के अंदर दहशत जोरों पर थी। हां तत्कालीन पुलिस उच्चाधिकारियों ने भले ही अपनी पीठ थपथपाने के लिए इस किल्लर को जयपुर का बता दिया होगा। लेकिन शत-प्रतिशत शंकरिया श्रीगंगानगर जिले का रहने वाला था।
@sangitadeshmukh6763
@sangitadeshmukh6763 10 ай бұрын
नमस्कार भाईजान मुझे आपकी कहाणी सुंनेमे अच्छा लगता हैं
@mml940
@mml940 10 ай бұрын
Madm klm 302 chanl bgja...
@JavedShaikh-gr8qc
@JavedShaikh-gr8qc 10 ай бұрын
Thanks Darling ❤
@pranavpandkar1995
@pranavpandkar1995 10 ай бұрын
​@@JavedShaikh-gr8qcApne ammi ko jake bol darling waise bhi tum log lete hi ho apni ammi aur behno ko Stri dekhi nahi to bus sguru ho jaate hai tumhare jaise jaahil
@ajayrana-nc2fp
@ajayrana-nc2fp 10 ай бұрын
​@@JavedShaikh-gr8qc😂
@dr.aniketmohite8567
@dr.aniketmohite8567 10 ай бұрын
​@@JavedShaikh-gr8qc Aayein?😂😂
@abdulkadarkhalak6324
@abdulkadarkhalak6324 10 ай бұрын
I’m From USA I Like your Program
@dinmohammadmeer8091
@dinmohammadmeer8091 10 ай бұрын
वो मंजर याद है मूजे रात को हमारे मोहल्ले में पहरा लगता था ओर ,, बताया जाता था की हथोड़ा मार ना आ जाए 😮😮
@ramchandradhangar3053
@ramchandradhangar3053 10 ай бұрын
आजादी के बाद आजादी के बाद इंसान समझदार हुआ करते थे इसलिए ज्यादा लड़ाई झगड़ा दंगे फसाद तेरा मेरा नहीं करते थे श्याम कुमार जी
@homirai8422
@homirai8422 10 ай бұрын
Very interesting and thrilling story thank you sir
@rhythmchopra2473
@rhythmchopra2473 10 ай бұрын
Your story telling style is great.
@annapurnachaubey475
@annapurnachaubey475 10 ай бұрын
😮
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@Charlie-fn5wb
@Charlie-fn5wb 10 ай бұрын
Ye wali kahaani par ek jabardast Netflix series banni chahiye.
@jogendarsaini7035
@jogendarsaini7035 10 ай бұрын
Nice Story
@nksharma9504
@nksharma9504 10 ай бұрын
Very nice Shams ji
@rajualfanso8103
@rajualfanso8103 10 ай бұрын
Thanks for remembering Mother Teresa ❤
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@homegardeners5897
@homegardeners5897 10 ай бұрын
1970 main bhi jaipur unsafe city thi aur 2023 main bhi Jaipur waise hi hai. Recently mere jaipur visit main chor ne auto se mera purse khich liya.
@Viikashh
@Viikashh 10 ай бұрын
Aise chor india me har jagah h, ek chhote se incident ke liye pure city ko unsafe bolna bewakoofi h 😒 and Jaipur is 100 times better than Dilli
@sadiqajamal
@sadiqajamal 10 ай бұрын
Shams sir old hero sanjeev kumar ki trah lgte hai waise hi bolte hai dhere dhere😊
@dattarambarve9936
@dattarambarve9936 10 ай бұрын
100 percent carect As. a Sanjiv Kumar 🌹🙏🏻
@RahulSingh-el6bo
@RahulSingh-el6bo 10 ай бұрын
Thoda weight kamm hai baki shakal aur awaz same hai
@MahnoorSKhan321
@MahnoorSKhan321 10 ай бұрын
Bilkul thik Kaha. Sanjeev Kumar As Crime Reporter 😅😂
@praveensaini8524
@praveensaini8524 10 ай бұрын
Jai shree Ram 🙏🙌🚩
@Ajabteridunia
@Ajabteridunia 10 ай бұрын
Very sad story, but thrilling, Love from Pakistan ❤❤❤
@punitkala4214
@punitkala4214 10 ай бұрын
Apka program wakehi bhaut accha hai... Apke bolne ka andaj kafi badiya hai sir.... Mai kafi time sai apke her ek episode dekh raha hu...aap conect karte ho apki speach sai.... Itna Sujection dena hai... Ke aap jab bhi koi kahani sunayo to thode videos or photos agar apki reserch mai aap hum sab ke saath share ker sako to accha....
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@safiyakhan7217
@safiyakhan7217 10 ай бұрын
Mje to ye sunte sunte esi neend aati h k kya btau, mje Puri rat neend ni aati h aksr, lekin ye sunkar zrur aa jati h, so soothing voice sir
@aslamkhan-ic9pn
@aslamkhan-ic9pn 10 ай бұрын
Sir aap behtrin trike se kahani sunate ho .
@lawrencetobias3414
@lawrencetobias3414 10 ай бұрын
🙏 Extreme ragging incidents are happening in The City of Joy, mainly related to Jadavpur University. Kolkata. Would request you to make episodes on ragging and the psychology behind ragging in Colleges and Universities. So that more and more people and students can make up their minds, how to handle such situation parallely with administration of educational institutions along with law and enforcement. The awareness of law and punishment relating to ragging can encourage students and parents to handle such situation tactfully. Thank you.
@biharilalbachhavandia4292
@biharilalbachhavandia4292 10 ай бұрын
Nice narrating story ❤
@anjali_shah1999
@anjali_shah1999 10 ай бұрын
किस किस को आज की कहानी अच्छी लगी है।।❤❤❤❤❤❤
@jagdishbeniwal25
@jagdishbeniwal25 10 ай бұрын
नहीं जी यह मामला हमारे श्रीगंगानगर कहां है इस किलर को मैंने ‌ खुद श्रीगंगानगर के कोर्ट में पैसी पर देखा है
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । इसलिए, मैं व्यक्तिगत अनुभव के साथ साथ तीन दिन तक गहन रिसर्च करके लिख रहा हूं। जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1974 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । रिक्शा का लाइसेंस इसने अपना नाम रतन लाल बता कर बना रखा था । शम्स ताहिर खान जो फोटो इस एपिसोड में प्रयोग कर रहा है, वह शंकरिया की नहीं, कलकत्ता के सजल बारूई की है जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कत्ल किया था और गिरफ्तारी के बाद ईलाज के दौरान पुलिस वालों को धोखा दे कर अस्पताल से भाग गया था। ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि घटना सितंबर ,1973 की है, चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@bhagwanswarupjogi5529
@bhagwanswarupjogi5529 9 ай бұрын
Aap kaha se ho
@kaursinghbrar5194
@kaursinghbrar5194 7 ай бұрын
जी हां, आप सही कह रहे हैं। ये व्यक्ति सुनी सुनाई कहानी बता रहा है।
@ravinderkumar-sx9pz
@ravinderkumar-sx9pz 10 ай бұрын
Ram Ram sabi ko
@amtindersingh7915
@amtindersingh7915 10 ай бұрын
इस कातिल का नाम शंकरिया था जिसने गंगानगर के एच बलाक के एक हलवाई को मारा जो कि दुकान के बाहर छपर के नीचे सरदियों में सोता था मकान का नंबर 110 एच बलाक है ।
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । इसलिए, मैं व्यक्तिगत अनुभव के साथ साथ तीन दिन तक गहन रिसर्च करके लिख रहा हूं। जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1974 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । रिक्शा का लाइसेंस इसने अपना नाम रतन लाल बता कर बना रखा था । शम्स ताहिर खान जो फोटो इस एपिसोड में प्रयोग कर रहा है, वह शंकरिया की नहीं, कलकत्ता के सजल बारूई की है जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कत्ल किया था और गिरफ्तारी के बाद ईलाज के दौरान पुलिस वालों को धोखा दे कर अस्पताल से भाग गया था। ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि घटना सितंबर ,1973 की है, चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@baliramwaghmare4840
@baliramwaghmare4840 9 ай бұрын
सर मैं आपके सभी एपीसोड देखता हूं। बहोत खुब दिखाते हो
@percyadajania6808
@percyadajania6808 10 ай бұрын
There is a saying "Looks and Appearances are very Deceptive". This aptly fits this young boy Shankariya. I was thinking how much everyone must be scared in Jaipur. Such a terror he had become. 70 families got destroyed just for one's pleasure to hear a person screaming and shouting.
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । इसलिए, मैं व्यक्तिगत अनुभव के साथ साथ तीन दिन तक गहन रिसर्च करके लिख रहा हूं। जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1974 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । रिक्शा का लाइसेंस इसने अपना नाम रतन लाल बता कर बना रखा था । शम्स ताहिर खान जो फोटो इस एपिसोड में प्रयोग कर रहा है, वह शंकरिया की नहीं, कलकत्ता के सजल बारूई की है जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कत्ल किया था और गिरफ्तारी के बाद ईलाज के दौरान पुलिस वालों को धोखा दे कर अस्पताल से भाग गया था। ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि घटना सितंबर ,1973 की है, चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
शम्स ताहिर खान की एक झूठी कहानी का पर्दाफाश करके उसके यूट्यूब वीडिओ के नीचे सच्ची कहानी लिख दी जिसे वह बार बार डिलीट कर रहा है या करवा रहा है ।
@zainabmahewish23
@zainabmahewish23 10 ай бұрын
​@@g-1carcare868gobar bhakt spreading gobar... U need to wake up!!! Crime rate padhlo India ke phir kuch bol
@faaduandfaadu2671
@faaduandfaadu2671 8 ай бұрын
Respected sir. Very nice article❤
@jitendrareetoria7081
@jitendrareetoria7081 10 ай бұрын
Web series bana ne walo ke liye yeh kahani bahut shandar hai
@anjali_shah1999
@anjali_shah1999 10 ай бұрын
किस किस को शम्स सर की आवाज अच्छी लगती है ❤❤❤❤
@karthiksomayaji9120
@karthiksomayaji9120 10 ай бұрын
From Karnataka
@GajananDhage-ot2zj
@GajananDhage-ot2zj 10 ай бұрын
सर आप जैसी कहाणी पुरे दूनिया मै कोई सूनाता नहीं मैने 1550काहानिया सूनी हैं आपको दिल से salut
@kishorpotdar8702
@kishorpotdar8702 10 ай бұрын
सर आपने सजल बिरोही की कहानी सुनाइये उसमे भी फोटो वही था
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@jimmivirk5386
@jimmivirk5386 8 ай бұрын
​@@2468singh😅
@praveensaini8524
@praveensaini8524 10 ай бұрын
I'm from pink city 💞
@pradeepjatav691
@pradeepjatav691 10 ай бұрын
Shams sir - like button ✅💙💙💙
@ariba7770
@ariba7770 10 ай бұрын
Sur ji mai jaipur se hi hun.. Aur maine.. Kanpatimar shankar ka naam apne bachpan mai suna.. Tha but yeh nahi pta tha ki yeh humare jaipur ka hi case tha.... Jo aaj aapne clear kr diya.. 😟😟
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@sumitsharma-zg4wj
@sumitsharma-zg4wj 10 ай бұрын
Aap jaipur se ho kaya
@RajChugh-wd7bd
@RajChugh-wd7bd 6 ай бұрын
Ye hamar shaher KARANPUR ka tha in ka bakki parivar aaj bhi h yaha
@MeenaSingh-ts3um
@MeenaSingh-ts3um 10 ай бұрын
Discribing to story is very nice
@shahnawazkhan-7999
@shahnawazkhan-7999 9 ай бұрын
Good report Sir 🎉
@QualityContent16
@QualityContent16 10 ай бұрын
Nice story 😮😮
@jhedujh9138
@jhedujh9138 9 ай бұрын
जयपुर की कहानी नहीं है यह कहानी तहसील श्रीकरनपुर कि है मोहल्ला कच्चीथैडी जिला श्रीगंगानगर राजस्थान की है
@bhagwanswarupjogi5529
@bhagwanswarupjogi5529 9 ай бұрын
Aap kaha se ho
@expert3657
@expert3657 10 ай бұрын
Love you sir ❤️ form Assam ❤❤ Faruk Ahmed borbhuyan
@sandhyarani136
@sandhyarani136 10 ай бұрын
Amazing voice sir..I adected
@hstargmail3051
@hstargmail3051 10 ай бұрын
Addicted
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@Geeta_Ek_Atanki_Grahant
@Geeta_Ek_Atanki_Grahant 10 ай бұрын
​​@@g-1carcare868 Mujhe bhi samajh nhi ata Hindu Media Channels apne dharam k Atankwadio ko bachane k liye news kyu chupata hai, 77 dino tak news chupa rakha tha jab 800 Atankwadio ne Manipur mei Ladkiyo ka rape kar k nanga ghoomaya Manipur k raste mei 77 dino tak news chupa rakha tha Hindu Media ne, par abh asliyat duniya ko pata chal raha hai kyu k abh Shudr Samaaj khud k zulm k khilaf awaaz utha raha hai, agar Hindu Media apne dharam k Criminals ko support na kare toh Bharat se crime kam ho sakta hai.... Abh dekhna ye hai k Wo pracheen sanskriti wale apne Sanatani criminals ko kaise handle karta hai.... Pracheen Sanskriti, Way of life wale.....
@PrveenKamboj
@PrveenKamboj 10 ай бұрын
ये शंकर की कहानी गंगानगर के करणपुर का था
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@KishanSingh-wu1dr
@KishanSingh-wu1dr 9 ай бұрын
Kachchi theri SRIKARANPUR
@SONU-ec1pt
@SONU-ec1pt 10 ай бұрын
Hai sir mai sonu khan mai apki video deli Pura din sunta hu big fan sir mai exavator chalata hu mai live nahi dekh Pata to loaded video dekhata hu
@grover2007
@grover2007 10 ай бұрын
श्रीमान इस कहानी का संबंध जयपुर से न होकर राजस्थान के गंगानगर जिले से है। शंकरिया ‘हथौड़मार‘ जयपुर का रहने वाला नहीं था और रेलवे स्टेशन पर पकड़ा गया था पंजाब में। पुनः रिसर्च करें गूगल पर जो भी उपलब्ध है वह गलत है।
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । इसलिए, मैं व्यक्तिगत अनुभव के साथ साथ तीन दिन तक गहन रिसर्च करके लिख रहा हूं। जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1974 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । रिक्शा का लाइसेंस इसने अपना नाम रतन लाल बता कर बना रखा था । शम्स ताहिर खान जो फोटो इस एपिसोड में प्रयोग कर रहा है, वह शंकरिया की नहीं, कलकत्ता के सजल बारूई की है जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कत्ल किया था और गिरफ्तारी के बाद ईलाज के दौरान पुलिस वालों को धोखा दे कर अस्पताल से भाग गया था। ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि घटना सितंबर ,1973 की है, चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@Siraj30505
@Siraj30505 9 ай бұрын
जी आप सही कह रहे हैं शंकर ने दो क़त्ल मेरे शहर में भी किए थे
@extraterrestrialman5828
@extraterrestrialman5828 4 ай бұрын
​@@Siraj30505kis jgha
@vijaymishra1989
@vijaymishra1989 10 ай бұрын
Shams outstanding 👍💪👌
@deenaliqureshi9896
@deenaliqureshi9896 10 ай бұрын
अस्सलामुअलैकुम शम्स साहब आप की कहनी सुनाने का लहजा बहुत ही काबिले तारीफ है आपका डी ए कुरैशी बम्हनीपुर ऊसराहार इटावा
@Junior-PreSchool
@Junior-PreSchool 10 ай бұрын
Great story sir
@mahendersinghpoonia4187
@mahendersinghpoonia4187 8 ай бұрын
ये घटनाएं जयपुर की थी ही नहीं, गंगानगर हनुमानगढ़ इलाके में हुई थी ये घटनाएं। ये झूठ का पुलिंदा सुना रहा है। वास्तविकता मैं ने एक कमेंट में विस्तार से लिखी है।
@smitaamissra
@smitaamissra 10 ай бұрын
Shams Sir, जो तस्वीर आप की टीम ने लगाई है इस वीडियो में वो तो Sajal Barui की है !!
@kiranindoree7340
@kiranindoree7340 10 ай бұрын
🤣🤣😆😆
@jagdishsinghnegi4423
@jagdishsinghnegi4423 10 ай бұрын
Sajal kon mp wale
@jagdishsinghnegi4423
@jagdishsinghnegi4423 10 ай бұрын
Aaj kukufm nahi bole aap
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@anjanmukherjee9144
@anjanmukherjee9144 9 ай бұрын
Nice presentation .
@adishubhi8989
@adishubhi8989 10 ай бұрын
Thank you sir ji namaskar
@naushadsheikh2382
@naushadsheikh2382 10 ай бұрын
Sir Us samay Imandari ka Jamana tha. Thanks
@Baddunaik897
@Baddunaik897 10 ай бұрын
From Hyderabad Telangana
@dr.rameshnimavat3481
@dr.rameshnimavat3481 10 ай бұрын
Sir u best....shams tahirkhan....jidabad🎉🎉
@arvindkumarbajpai4699
@arvindkumarbajpai4699 10 ай бұрын
We are blessed to have you here as a story teller
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@lawrencetobias3414
@lawrencetobias3414 10 ай бұрын
@@g-1carcare868 Hope you will teach your though process to think and express your opinion in a gentle mannar without discrimination. India 1st 🙏
@khalilshaikh-ws4kv
@khalilshaikh-ws4kv 10 ай бұрын
Nice sir 🎉🎉🎉
@kshamadharmani8825
@kshamadharmani8825 10 ай бұрын
Luv ur voice sir !
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@arham1750
@arham1750 10 ай бұрын
I was searching this story for a quite a long time.
@shekharvaishnav9999
@shekharvaishnav9999 10 ай бұрын
Your stories are simply wonderful❤
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@sameerdhande8398
@sameerdhande8398 10 ай бұрын
Thriller.... absolute
@shushantbora44
@shushantbora44 10 ай бұрын
Jai Hind sir, mujhe aapke upar gussa bhi aata hai aur bahut sara pyar. Gussa isiliye ki aap Sunday aur bich Mai 2. se 3 story nahi bolte toh mujhe nind aati. Mujhe fir se alcohol ya sleeping pills ki zarurat padti hai. 😢😢😢😢. I love your voice, meri Nani ne story nahi sunai kabhi bhi but apki har episode sunta hu aur chain se sota hu ❤
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@rabbanikhan2915
@rabbanikhan2915 9 ай бұрын
ये कहानी मैंने मेरी दादी से और में अम्मी से भी सुनाई थी,,, बचपन में इसको सुन कर बहुत डर लगता था,,, और सच में हम लोग अंधेरा होने से पहले घर आ जाते थे,,, क्यूकी ये कहानी इसीलिए बच्चो को सुनाई जाती थी ताकि बच्चे लेट तक कही दूर ना निकल जाए खेलते हूए।
@bhagwanswarupjogi5529
@bhagwanswarupjogi5529 9 ай бұрын
Aap kaha se ho
@manjusandal6666
@manjusandal6666 10 ай бұрын
Your hands are beautiful❤
@SAJJADAHMAD-uy3hu
@SAJJADAHMAD-uy3hu 10 ай бұрын
The murderer used to get death sentence in India some 40 years or 45 years ago but in this era murderers are released after serving few years of sentence in jail. Why?
@ssyadav1610
@ssyadav1610 10 ай бұрын
सर , हकीकत में सत्य बताया आपने उस समय हमारे शहर में भी कनपटीमार की दहशत थी । मै उस समय 10th class में था ।
@bhagwanswarupjogi5529
@bhagwanswarupjogi5529 9 ай бұрын
Abhi aap kaha rahte ho
@skhashanalam5127
@skhashanalam5127 10 ай бұрын
Oooono 😢 7:59
@DMD007
@DMD007 10 ай бұрын
This story was recommended by my brother Nitin to crime Tak 🎉
@anandharsh4870
@anandharsh4870 10 ай бұрын
सर ये कहानी राजस्थान के गंगानगर ज़िले की है ये गंगानगर की तहसील के रहनेवाला था और ये आखिर में पंजाब के भटिंडा के गोलबाजार मार्किट से पकड़ा गया हम भी इसके डर से गर्मियों में चौकियों से कमरे में घुसकर सोने लग गये
@Kandwals11
@Kandwals11 10 ай бұрын
Happy birthday sir, your real incident and investigation detailed stories are very informative. Best wishes for your good health and prosperity.
@2468singh
@2468singh 10 ай бұрын
शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है । Mahender Singh kzbin.info/www/bejne/mJmziJaCnseImac...
@g-1carcare868
@g-1carcare868 10 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@RajedraKumar-k8s
@RajedraKumar-k8s 9 ай бұрын
You are great