शंकरिया कनपटि मार को फांसी मेरे पिताजी श्री जयंती प्रसाद शर्मा की मौजूदगी में मई सन 1979 में जयपुर जेल में लगी थी,उस समय श्रद्धेय पिताजी जयपुर जेल पर जेलर के पद पर पदस्थ थे
@2468singh10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@m.ssharma60399 ай бұрын
जय हिदं
@sushilraigar76019 ай бұрын
आपके मोबाइल नंबर मिलेंगे
@Krishna-ov9lu9 ай бұрын
Ha usko maine hi fassi ki saja sunai thi
@narendra57459 ай бұрын
हा उस समय जज मेरे दादा थे उन्होंने ही फांसी की सजा सुनाई थी
@TarsemSingh-zz3wh10 ай бұрын
शम्स जी आज ये कहानी सुनकर ऐसा लगा कि क्या हमें हमेशा कपोल कल्पित कहानियों ही सुनने को मिलती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शंकरिया के फांसी पर लटकने से पहले आखिरी बोल थे "भगवान करे कोई और शंकरिया पैदा न हो"। आपको इस कहानी की राजस्थान के श्री गंगानगर पहुँचकर जांच करनी चाहिए। उसके बचपन की गरीबी, प्रसाद चोरी पर बिना सोचे समझे उसकी बार बार पिटाई, साधुओं से नफरत, चोरी के मामले में उसका जेल जाना, वहां उसको किसी का चैलेंज करने वाला बोल, उसी से आसानी से कत्ल का तरीका सीखना, बिना किसी और को रखे जो हाथ आए उसी से ऐसे कत्ल करना कि पास लेटे किसी दूसरे को पता न चले, नफरत के कारण ज्यादातर साधुओं का कत्ल। पकड़ा भी गया तो शायद एक रेल टिकट से। फांसी के समय उसका भार शायद 27, या 37 किलो था। हम कालेज में पढ़ते थे और "राजस्थान पत्रिका" में यह खबर छपी थी। उसका अपराध क्षेत्र मुख्यतः पुराना श्री गंगानगर जिला यानि कि आज का श्री गंगानगर और हनुमानगढ़ जिला था। अगर पुलिस रिकॉर्ड में आप वाली कहानी है तो वो झूठ का बवंडर है। क्योंकि वो मुख्यतः सोए हुए लोगों को मारता था। उससे बचने वाला शायद ही कोई हो। उसकी दहशत "हथौड़े मार" के नाम से थी परंतु हथौड़ा वगैरह उसके पास नहीं रहता था। अगर पुलिस ने हथौड़ा दिखाया है तो शायद वो पुलिस का हथौड़ा ही था।
@mahendersinghpoonia418710 ай бұрын
पूरा झूठ का पुलिंदा है, पुलिस रिकॉर्ड में ऐसी कोई कहानी नहीं है। जिन दो हत्याओं के लिए उसे फांसी हुई थी वो तख्त हजारा के गुरुद्वारा में 8सितंबर 1973 की रात को हुई थी। केस 6 साल चला था और सुप्रीम कोर्ट तक गया था। ये चार महीने में केस खत्म होने का गपोड़ पेल रहा है। शंकरिया को गंगानगर से उठा कर जयपुर ले गया है। झंडू है ये आदमी गोदी मीडिया केस 6 साल
@2468singh10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@rohtashkumar499410 ай бұрын
श्रीमान आपने एकदम सही बोला इसकी फाइल मैंने पढी है जो की राजस्थान पुलिस अकादमी जयपुर के म्यूजियम में आज भी रखी हुई है उसमें भी हथोडे का कही भी कोई जिकर नहीं है वो तो मोका ए वारदात पर जो मिलता उसी से सर पर वार करके हत्या करता था
@rohtashkumar499410 ай бұрын
यह कहानी तो पूरी तरह काल्पनिक है
@rohtashkumar499410 ай бұрын
इसकी केस फाइल अगर किसी को देखनी हो तो मैं दिखा सकता हूं
@AshokDhaka-b7k10 ай бұрын
धन्यवाद साहब,सर एक नशेडी की तरह आप के कहानी का ईतजार करते हैं,वाकयी में कहानी को कहने का आप का तरिका लाजबाव है, कहानियां सुनते ऐसा लगता, जैसे क्राइम आंखों के सामने हो रहा है। पर जब हम उसी कहानी के सम्बन्ध में सवाल जवाब करते हे,तब आप सवाल पढ कर या तो ईग्नोर कर देते या जबाब दैनां नहीं चाहते। क्यों कि हम भारतीय संविधान पर पुर्ण विस्वास करने के साथ मान सम्मान भी करते हैं,पर पदों पर नियुक्ति या नियुक्त के बारे में पुछ कर फैसले के सम्बन्ध में पुछनें पर वो भी कुछ फैसलो जिनकी वास्तविक हकिकत से हमारे से अधिक वाफिक होने पर भी आप ईग्नोर करते हुए,,,,,,,,,कर दिया करते। हां माना कि मजबुरीयां होती,पर आप भी संविधान के चौथे स्तम्भ हो पर लगता की पायो में बीम सीमेंट कंक्रीट बजरी शायद न,,,,
@vandanakardam478510 ай бұрын
Nashedi 😂😂😂 bhai koi aur shabd bhi use kar sakte the 😊
@2468singh10 ай бұрын
सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@jagdishbeniwal2510 ай бұрын
कृपया इस कहानी पर दोबारा रिसर्च करें मुझे याद है इसका वकील श्री गणपत राम था मैंने एक दिन की कार्रवाई देखी थी
@haryanvijaat160410 ай бұрын
Bhai sahab thoda aur batayein
@2468singh10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@@haryanvijaat1604 सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@ashokchoudhary30429 ай бұрын
रिछपाल जी ने फेमस कर दिया शंकरिया को😅😅
@13JANI...739 ай бұрын
😂
@HappyAbyssinianCat-de8vv9 ай бұрын
Hum chote the mere chaha us time jaipur se law ki padhai kar rahe the unhone ye kahani sunai thi aaj apke video ko dekhkar wo sari bate taja aa ho gai sukria
@DidarulBapu963110 ай бұрын
इतनी भयानक सीरियल किलर??? कहानी सुनकर डर लग गयी।
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@davsing9869 ай бұрын
मैरे गांव का था यह सिरियल किलर वास्तव में हमारे जिले के लोगो में हालत डर वाले थे । रायसिंहनगर के गांव मे भी तीन जनो को रात को किसी भारी वस्तु से मारकर हत्या कर दी थी भाग्य से एक चार पांच साल का बच्चा ही बच गया था वो मै हु 😢😢😢😢😢😢
@cricketlover53288 ай бұрын
😂😂😂😂
@nmanishchouhan20708 ай бұрын
It's true main isi area se hu@@cricketlover5328
@ajayrawat34837 ай бұрын
Konsa ganv sir
@sanjayykumar50187 ай бұрын
Bhai me nhi rsnr se hu aap kha se ho
@HimmatYadav-vo8pr7 ай бұрын
😂😂😂😂
@adityavardhan620310 ай бұрын
साढ़े चार माह में फैसला तारीफ योग्य है। वैसे तो फांसी की सजा को उम्रकैद या आजीवन कारावास में नहीं बदलना चाहिए। रेप और फिर हत्या के केस में भी फैसला अल्प समय में ही होना चाहिए।
@2468singh10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@2468singh10 ай бұрын
सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@darshanakumari689610 ай бұрын
तब न्याय व्यवस्था तंत्र पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारी के प्रति संवेदनशील होते थे।
@manjuldixit812110 ай бұрын
सच हैअब की अदालत तो कोहली और पंढेर को बचा देती हैं
@manjuldixit812110 ай бұрын
पढेर और कोली से फिर भी ठीक था जो इंसान को पका कर खाते थे फिर भी छोड़ दियेगये
@2468singh10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@vasantkumar814110 ай бұрын
🤗शम्स सर, अब आपकी कहानी सुने बगैर रातो को नींद कहाँ आती हैं कभी...........
@creightart320310 ай бұрын
Sahi kaha
@vasantkumar814110 ай бұрын
@@creightart3203 🌹🤝🏻
@alpanajolly121210 ай бұрын
और कभी कभी कहानी सुनने के बाद नींद उड़ जाती है। 😂😂 Appreciations from Edinburgh. ❤
@vasantkumar814110 ай бұрын
@@alpanajolly1212 yes sir 😢
@Erfaiz-hy4gz10 ай бұрын
Kahi aapko bhi psycho to to nahi Banna na😅😅😅 psycho
@karanbagbahara10 ай бұрын
आज मेरी भतीजी लक्ष्मी का जन्मदिन है सुप्रितम सर और आपको रोज सुनता हूं सर रात में सुन नही पाता तो अगले सबेरे सुनता हु पिछले 3 साल से आपको सुनते आ रहा हु आपकी आवाज से जैसे आदत सी हो गई है रात में किसी करण मिस कर डाला तो अगले सबेरे ये जानने के लिए सुनता हु की आज शम्स सर क्या सुनाए है आप बेहतरीन तरीके से स्टोरी सुनते है पूरी क्राइम टीम को बहुत बहुत बधाई🎉🎉🎉🎉🎉🎉
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@nazirattari245610 ай бұрын
😂
@EvolveYourBrain9 ай бұрын
@@g-1carcare868completely agree with you
@DeepakHeera199210 ай бұрын
उसे सिर्फ लोगों की मौत भरी चीखें सुनने में मजा आता था इसलिए एक नहीं, दो नहीं पूरे 70 इंसान खत्म कर डालें!!! एक साइको किलर किसी दरिंदे, भूत से भी भयानक और वहशी होता हैं और हैरानी हैं की उसे इसका एहसास तक नहीं होता
@prerna87510 ай бұрын
Rational world KZbin channel
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@gaffargazi650310 ай бұрын
Right
@suchitra558110 ай бұрын
Sahi hai
@maroofahamedkhan84588 ай бұрын
@@g-1carcare868tum bhi what's up university me padhte hoge bhaie sahab 😂😂😂
@Mama_account121110 ай бұрын
I am from Bangladesh...and I really like this program and adore your voice... thank you so much 🙏💓
@RoarDexter10 ай бұрын
you might like me too
@jayveersinghvaghela10 ай бұрын
Anpadh netao ko chuno ge to nyay kaha se milega
@KamalSingh-nq2wu10 ай бұрын
00😢😢😢@@RoarDexter
@sayanToys210 ай бұрын
India's best storyteller ❤️🇮🇳👍
@NikhilMore-jk8px10 ай бұрын
World*
@manrajsinghsingh334110 ай бұрын
😊@@NikhilMore-jk8px
@2468singh10 ай бұрын
Only fabricated stories, without any truth यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@g-1carcare86810 ай бұрын
@@NikhilMore-jk8px Aap Hindu hai tho Please apna Deemag Kholo aur Note karo a Muslim Uska Community chodke jadatar Hindu Community ko target karke Story banata hai.
@hareshwaghat451610 ай бұрын
Aapki jabaan bhut achi hai
@ashutoshshukla482410 ай бұрын
To chaat le ja
@manjeetvlog81259 ай бұрын
सर यह कनपटिमार शंकरिया राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के श्रीकरणपुर कस्बे का रहने वाला था!
@Triloksingh111667 ай бұрын
Bhai tumhe kaise pta me b kranpur se hu
@Triloksingh111667 ай бұрын
Maine to nahi suna yr
@Triloksingh111667 ай бұрын
Me b karanpur se hu
@krj82907 ай бұрын
Vo tere hi gaav ka hai . Police walo ko pucho@@Triloksingh11166
@Andre-rn3cf4 ай бұрын
क्या जात का था ये।
@MaheshVerma-lp2ir10 ай бұрын
आपने आरम्भ में केस के बारे कहा था कि समय ज्यादा लगता है इसका कारण वकीलों का लालच भी है वो फीस के चक्कर मे केस को ज्यादा लम्बे समय के लिए लटकाते रहते हैं
@factindia-iu9fx10 ай бұрын
कहानी सुनकर मजा आगया बहुत ही अच्छी है
@rashmikap195910 ай бұрын
I from USA I like program. I watch all real story thank you
@Goodhealth00910 ай бұрын
❤❤❤
@CANADA_INDIA10 ай бұрын
How you know Hindi... Bcz you are from USA
@राहुलगोदारा-ज8व9 ай бұрын
कहासेहो कौनसा जिला राज्य है
@Yourfriendo6148 ай бұрын
@@CANADA_INDIA HE is Indian
@Newtoonnnn8 ай бұрын
So what if you are from the USA? I am from India and I watch US movies and news. What's the big deal here?
@ParKarChottu10 ай бұрын
This crime story give chills down the veins due to the absolute insanity..
@thegondwanaland1110 ай бұрын
ऐसा इसलिए अदालत में देरी होती है..क्योंकि किसी बेगुनाह को सज़ा ना मिले.. ये पूरी तरह जांच के बाद कि व्यक्ति गुनाहगार है या बेगुनाह..
@Savitayadav-q8l10 ай бұрын
Adalat ke chakkar kaat kaat ke ek aam Aadmi hatiyaar utha leta hai aur khud Insaaf karta hai
@nirajkumarsindhal5l10 ай бұрын
@@Savitayadav-q8lRight 😢😢😢😢India ka kanun vevstha sabse ghtiya h 😡 kya hi kahu eske bare me sayad hi koi esa desh hoga jiska kanun vevstha itne khrab hogi
@s.p.singhsidhubrar58288 ай бұрын
84 ke dango me mare gye 4200 sikho ke katilo ko abi tak saza nhi hui...? Gujrat dango ke katilo ko bi abi tak saza nhi...? Kahi kisi begunah ko saza na ho jaye...
@anuragkarel25729 ай бұрын
आपकी कहानी तो सही है लेकिन शंकरिया करणपुर का था श्रीगंगानगर जिले का। करणपुर के दो शंकर प्रसिद्ध हुए थे। एक तो जादूगर सम्राट शंकर और दूसरा कनपटी मार शंकरिया
@HitFitNewsTV7 ай бұрын
बिल्कुल सही
@sanjayykumar50187 ай бұрын
M also from
@amtindersingh791510 ай бұрын
असल मे यह शक्ष गंगा नगर की एक तहसील करणपुर का रहने वाला था श्री गंगा नगर मे लोग अपनी गलियों में मिलकर सारी सारी रात पहरा दिया करते थे 1975 की दिसंबर जनवरी की हाड कंपाने वाली ठंडी रातों को ।
@2468singh10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । इसलिए, मैं व्यक्तिगत अनुभव के साथ साथ तीन दिन तक गहन रिसर्च करके लिख रहा हूं। जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1974 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । रिक्शा का लाइसेंस इसने अपना नाम रतन लाल बता कर बना रखा था । शम्स ताहिर खान जो फोटो इस एपिसोड में प्रयोग कर रहा है, वह शंकरिया की नहीं, कलकत्ता के सजल बारूई की है जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कत्ल किया था और गिरफ्तारी के बाद ईलाज के दौरान पुलिस वालों को धोखा दे कर अस्पताल से भाग गया था। ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि घटना सितंबर ,1973 की है, चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@jagtarsandhujagtarsandhu90310 ай бұрын
Sahi ha bai ji
@OLDRwt10 ай бұрын
दादा था ये इनका परिवार से है हम
@RSingh-hb8ln10 ай бұрын
Suna hai Ganga nagar mein sikh jada hein and khalistani movement joro shoro se hai..
@gurtejpawar259810 ай бұрын
Hanji sir Ganganagar rajsthan me tha
@swayamkrishna411410 ай бұрын
I am from Cuttack Odisha, regularly hearing the story
@proudbhartiya470710 ай бұрын
Me too
@Rekha_V_Oldsongslovers..10 ай бұрын
Kya soch rahi hogi uski 😢 nice sir ji🙏🎉🎉
@ArunNagar-nb2sj10 ай бұрын
मै जयपुर का ही निवासी हू। उसने लगभग 80 से अधिक कतल किये थे। रिकाड में 70 ही लिखे गये होगे लोकल अखबार में 80 बताये गये थे।
@2468singh10 ай бұрын
आप गलत कह रहे हैं सर , यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@2468singh10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । इसलिए, मैं व्यक्तिगत अनुभव के साथ साथ तीन दिन तक गहन रिसर्च करके लिख रहा हूं। जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1974 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । रिक्शा का लाइसेंस इसने अपना नाम रतन लाल बता कर बना रखा था । शम्स ताहिर खान जो फोटो इस एपिसोड में प्रयोग कर रहा है, वह शंकरिया की नहीं, कलकत्ता के सजल बारूई की है जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कत्ल किया था और गिरफ्तारी के बाद ईलाज के दौरान पुलिस वालों को धोखा दे कर अस्पताल से भाग गया था। ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि घटना सितंबर ,1973 की है, चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@bhagwanswarupjogi55299 ай бұрын
To abhi shankariyaa ka parivar kaha rahata hai
@mahendersinghpoonia41878 ай бұрын
ये घटनाएं जयपुर की थी ही नहीं, गंगानगर हनुमानगढ़ इलाके में हुई थी ये घटनाएं। ये झूठ का पुलिंदा सुना रहा है। वास्तविकता मैं ने एक कमेंट में विस्तार से लिखी है।
@Jagmeetsingh-tn2kw7 ай бұрын
Ji kuch aur jheen jo btana reh gya ho
@AJ-iy8or10 ай бұрын
न्याय व्यवस्था में भी भेदभाव होता है गरीब अपराधी को जल्द से जल्द सज़ा और अमीर व उच्च जाति के अपराधी को बचाने के लिए पुरा सिस्टम लग जाता है
@deepaksaini2329 ай бұрын
To bhai galat Kiya to Aaja milega isme garib ya Amir Kya
@RahulKhichar-e3f9 ай бұрын
पागल है
@ashutosh5429 ай бұрын
उच्च जाति?? जातिवाद का कीड़ा तुम जैसे लोगो के दिमाग मैं घुस चुका है जो धीरे धीरे तुमरे दिमाग को खोखला कर रहा है
@lalitverma17209 ай бұрын
Jaati ka nhi money power ki sari baat ya fir political power bas
@GajendraSingh-kd7vy9 ай бұрын
Gajab isame bhi castism
@mojojojo413910 ай бұрын
Long time awaited story. Thanks sir 🙏
@DevYadav-ku2uc10 ай бұрын
4:46
@murtazaalisaify835310 ай бұрын
इतनी सनसनी फेस कहानी सुनाने में क्राईम तक इतना लेट कैसे हो गया. यह तो पहले ही सुना देना चाहिए थी
@2468singh10 ай бұрын
सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@mahendersinghpoonia41878 ай бұрын
झूठ का पुलिंदा है ,पूरा। सच्ची कहानी मैं ने विस्तार से एक कमेंट में लिखी है।
@sukhwantsingh293310 ай бұрын
यह घटना श्री गंगानगर, राजस्थान की है जयपुर की नहीं
@HitFitNewsTV7 ай бұрын
साहब आपको किसी ने गलत सूचना दी है क्योंकि शंकरिया श्रीगंगानगर के करणपुर क्षेत्र का था और आज के जिला हनुमानगढ़ के गांव धौलीपाल में एक ताकतवर जाट औरत द्वारा दबोचा गया था। यह बहुचर्चित कांड के बारे में मैं रोज अखबार पढ़ता था।उस वक्त वास्तव में लोगों के अंदर दहशत जोरों पर थी। हां तत्कालीन पुलिस उच्चाधिकारियों ने भले ही अपनी पीठ थपथपाने के लिए इस किल्लर को जयपुर का बता दिया होगा। लेकिन शत-प्रतिशत शंकरिया श्रीगंगानगर जिले का रहने वाला था।
@sangitadeshmukh676310 ай бұрын
नमस्कार भाईजान मुझे आपकी कहाणी सुंनेमे अच्छा लगता हैं
@mml94010 ай бұрын
Madm klm 302 chanl bgja...
@JavedShaikh-gr8qc10 ай бұрын
Thanks Darling ❤
@pranavpandkar199510 ай бұрын
@@JavedShaikh-gr8qcApne ammi ko jake bol darling waise bhi tum log lete hi ho apni ammi aur behno ko Stri dekhi nahi to bus sguru ho jaate hai tumhare jaise jaahil
@ajayrana-nc2fp10 ай бұрын
@@JavedShaikh-gr8qc😂
@dr.aniketmohite856710 ай бұрын
@@JavedShaikh-gr8qc Aayein?😂😂
@abdulkadarkhalak632410 ай бұрын
I’m From USA I Like your Program
@dinmohammadmeer809110 ай бұрын
वो मंजर याद है मूजे रात को हमारे मोहल्ले में पहरा लगता था ओर ,, बताया जाता था की हथोड़ा मार ना आ जाए 😮😮
@ramchandradhangar305310 ай бұрын
आजादी के बाद आजादी के बाद इंसान समझदार हुआ करते थे इसलिए ज्यादा लड़ाई झगड़ा दंगे फसाद तेरा मेरा नहीं करते थे श्याम कुमार जी
@homirai842210 ай бұрын
Very interesting and thrilling story thank you sir
@rhythmchopra247310 ай бұрын
Your story telling style is great.
@annapurnachaubey47510 ай бұрын
😮
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@Charlie-fn5wb10 ай бұрын
Ye wali kahaani par ek jabardast Netflix series banni chahiye.
@jogendarsaini703510 ай бұрын
Nice Story
@nksharma950410 ай бұрын
Very nice Shams ji
@rajualfanso810310 ай бұрын
Thanks for remembering Mother Teresa ❤
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@homegardeners589710 ай бұрын
1970 main bhi jaipur unsafe city thi aur 2023 main bhi Jaipur waise hi hai. Recently mere jaipur visit main chor ne auto se mera purse khich liya.
@Viikashh10 ай бұрын
Aise chor india me har jagah h, ek chhote se incident ke liye pure city ko unsafe bolna bewakoofi h 😒 and Jaipur is 100 times better than Dilli
@sadiqajamal10 ай бұрын
Shams sir old hero sanjeev kumar ki trah lgte hai waise hi bolte hai dhere dhere😊
@dattarambarve993610 ай бұрын
100 percent carect As. a Sanjiv Kumar 🌹🙏🏻
@RahulSingh-el6bo10 ай бұрын
Thoda weight kamm hai baki shakal aur awaz same hai
@MahnoorSKhan32110 ай бұрын
Bilkul thik Kaha. Sanjeev Kumar As Crime Reporter 😅😂
@praveensaini852410 ай бұрын
Jai shree Ram 🙏🙌🚩
@Ajabteridunia10 ай бұрын
Very sad story, but thrilling, Love from Pakistan ❤❤❤
@punitkala421410 ай бұрын
Apka program wakehi bhaut accha hai... Apke bolne ka andaj kafi badiya hai sir.... Mai kafi time sai apke her ek episode dekh raha hu...aap conect karte ho apki speach sai.... Itna Sujection dena hai... Ke aap jab bhi koi kahani sunayo to thode videos or photos agar apki reserch mai aap hum sab ke saath share ker sako to accha....
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@safiyakhan721710 ай бұрын
Mje to ye sunte sunte esi neend aati h k kya btau, mje Puri rat neend ni aati h aksr, lekin ye sunkar zrur aa jati h, so soothing voice sir
@aslamkhan-ic9pn10 ай бұрын
Sir aap behtrin trike se kahani sunate ho .
@lawrencetobias341410 ай бұрын
🙏 Extreme ragging incidents are happening in The City of Joy, mainly related to Jadavpur University. Kolkata. Would request you to make episodes on ragging and the psychology behind ragging in Colleges and Universities. So that more and more people and students can make up their minds, how to handle such situation parallely with administration of educational institutions along with law and enforcement. The awareness of law and punishment relating to ragging can encourage students and parents to handle such situation tactfully. Thank you.
@biharilalbachhavandia429210 ай бұрын
Nice narrating story ❤
@anjali_shah199910 ай бұрын
किस किस को आज की कहानी अच्छी लगी है।।❤❤❤❤❤❤
@jagdishbeniwal2510 ай бұрын
नहीं जी यह मामला हमारे श्रीगंगानगर कहां है इस किलर को मैंने खुद श्रीगंगानगर के कोर्ट में पैसी पर देखा है
@2468singh10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@2468singh10 ай бұрын
सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@2468singh10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । इसलिए, मैं व्यक्तिगत अनुभव के साथ साथ तीन दिन तक गहन रिसर्च करके लिख रहा हूं। जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1974 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । रिक्शा का लाइसेंस इसने अपना नाम रतन लाल बता कर बना रखा था । शम्स ताहिर खान जो फोटो इस एपिसोड में प्रयोग कर रहा है, वह शंकरिया की नहीं, कलकत्ता के सजल बारूई की है जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कत्ल किया था और गिरफ्तारी के बाद ईलाज के दौरान पुलिस वालों को धोखा दे कर अस्पताल से भाग गया था। ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि घटना सितंबर ,1973 की है, चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@bhagwanswarupjogi55299 ай бұрын
Aap kaha se ho
@kaursinghbrar51947 ай бұрын
जी हां, आप सही कह रहे हैं। ये व्यक्ति सुनी सुनाई कहानी बता रहा है।
@ravinderkumar-sx9pz10 ай бұрын
Ram Ram sabi ko
@amtindersingh791510 ай бұрын
इस कातिल का नाम शंकरिया था जिसने गंगानगर के एच बलाक के एक हलवाई को मारा जो कि दुकान के बाहर छपर के नीचे सरदियों में सोता था मकान का नंबर 110 एच बलाक है ।
@2468singh10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@2468singh10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । इसलिए, मैं व्यक्तिगत अनुभव के साथ साथ तीन दिन तक गहन रिसर्च करके लिख रहा हूं। जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1974 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । रिक्शा का लाइसेंस इसने अपना नाम रतन लाल बता कर बना रखा था । शम्स ताहिर खान जो फोटो इस एपिसोड में प्रयोग कर रहा है, वह शंकरिया की नहीं, कलकत्ता के सजल बारूई की है जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कत्ल किया था और गिरफ्तारी के बाद ईलाज के दौरान पुलिस वालों को धोखा दे कर अस्पताल से भाग गया था। ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि घटना सितंबर ,1973 की है, चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@baliramwaghmare48409 ай бұрын
सर मैं आपके सभी एपीसोड देखता हूं। बहोत खुब दिखाते हो
@percyadajania680810 ай бұрын
There is a saying "Looks and Appearances are very Deceptive". This aptly fits this young boy Shankariya. I was thinking how much everyone must be scared in Jaipur. Such a terror he had become. 70 families got destroyed just for one's pleasure to hear a person screaming and shouting.
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@2468singh10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । इसलिए, मैं व्यक्तिगत अनुभव के साथ साथ तीन दिन तक गहन रिसर्च करके लिख रहा हूं। जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1974 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । रिक्शा का लाइसेंस इसने अपना नाम रतन लाल बता कर बना रखा था । शम्स ताहिर खान जो फोटो इस एपिसोड में प्रयोग कर रहा है, वह शंकरिया की नहीं, कलकत्ता के सजल बारूई की है जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कत्ल किया था और गिरफ्तारी के बाद ईलाज के दौरान पुलिस वालों को धोखा दे कर अस्पताल से भाग गया था। ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि घटना सितंबर ,1973 की है, चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@2468singh10 ай бұрын
शम्स ताहिर खान की एक झूठी कहानी का पर्दाफाश करके उसके यूट्यूब वीडिओ के नीचे सच्ची कहानी लिख दी जिसे वह बार बार डिलीट कर रहा है या करवा रहा है ।
@zainabmahewish2310 ай бұрын
@@g-1carcare868gobar bhakt spreading gobar... U need to wake up!!! Crime rate padhlo India ke phir kuch bol
@faaduandfaadu26718 ай бұрын
Respected sir. Very nice article❤
@jitendrareetoria708110 ай бұрын
Web series bana ne walo ke liye yeh kahani bahut shandar hai
@anjali_shah199910 ай бұрын
किस किस को शम्स सर की आवाज अच्छी लगती है ❤❤❤❤
@karthiksomayaji912010 ай бұрын
From Karnataka
@GajananDhage-ot2zj10 ай бұрын
सर आप जैसी कहाणी पुरे दूनिया मै कोई सूनाता नहीं मैने 1550काहानिया सूनी हैं आपको दिल से salut
@kishorpotdar870210 ай бұрын
सर आपने सजल बिरोही की कहानी सुनाइये उसमे भी फोटो वही था
@2468singh10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@jimmivirk53868 ай бұрын
@@2468singh😅
@praveensaini852410 ай бұрын
I'm from pink city 💞
@pradeepjatav69110 ай бұрын
Shams sir - like button ✅💙💙💙
@ariba777010 ай бұрын
Sur ji mai jaipur se hi hun.. Aur maine.. Kanpatimar shankar ka naam apne bachpan mai suna.. Tha but yeh nahi pta tha ki yeh humare jaipur ka hi case tha.... Jo aaj aapne clear kr diya.. 😟😟
@2468singh10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@sumitsharma-zg4wj10 ай бұрын
Aap jaipur se ho kaya
@RajChugh-wd7bd6 ай бұрын
Ye hamar shaher KARANPUR ka tha in ka bakki parivar aaj bhi h yaha
@MeenaSingh-ts3um10 ай бұрын
Discribing to story is very nice
@shahnawazkhan-79999 ай бұрын
Good report Sir 🎉
@QualityContent1610 ай бұрын
Nice story 😮😮
@jhedujh91389 ай бұрын
जयपुर की कहानी नहीं है यह कहानी तहसील श्रीकरनपुर कि है मोहल्ला कच्चीथैडी जिला श्रीगंगानगर राजस्थान की है
@bhagwanswarupjogi55299 ай бұрын
Aap kaha se ho
@expert365710 ай бұрын
Love you sir ❤️ form Assam ❤❤ Faruk Ahmed borbhuyan
@sandhyarani13610 ай бұрын
Amazing voice sir..I adected
@hstargmail305110 ай бұрын
Addicted
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@Geeta_Ek_Atanki_Grahant10 ай бұрын
@@g-1carcare868 Mujhe bhi samajh nhi ata Hindu Media Channels apne dharam k Atankwadio ko bachane k liye news kyu chupata hai, 77 dino tak news chupa rakha tha jab 800 Atankwadio ne Manipur mei Ladkiyo ka rape kar k nanga ghoomaya Manipur k raste mei 77 dino tak news chupa rakha tha Hindu Media ne, par abh asliyat duniya ko pata chal raha hai kyu k abh Shudr Samaaj khud k zulm k khilaf awaaz utha raha hai, agar Hindu Media apne dharam k Criminals ko support na kare toh Bharat se crime kam ho sakta hai.... Abh dekhna ye hai k Wo pracheen sanskriti wale apne Sanatani criminals ko kaise handle karta hai.... Pracheen Sanskriti, Way of life wale.....
@PrveenKamboj10 ай бұрын
ये शंकर की कहानी गंगानगर के करणपुर का था
@2468singh10 ай бұрын
सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@KishanSingh-wu1dr9 ай бұрын
Kachchi theri SRIKARANPUR
@SONU-ec1pt10 ай бұрын
Hai sir mai sonu khan mai apki video deli Pura din sunta hu big fan sir mai exavator chalata hu mai live nahi dekh Pata to loaded video dekhata hu
@grover200710 ай бұрын
श्रीमान इस कहानी का संबंध जयपुर से न होकर राजस्थान के गंगानगर जिले से है। शंकरिया ‘हथौड़मार‘ जयपुर का रहने वाला नहीं था और रेलवे स्टेशन पर पकड़ा गया था पंजाब में। पुनः रिसर्च करें गूगल पर जो भी उपलब्ध है वह गलत है।
@2468singh10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । इसलिए, मैं व्यक्तिगत अनुभव के साथ साथ तीन दिन तक गहन रिसर्च करके लिख रहा हूं। जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1974 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । रिक्शा का लाइसेंस इसने अपना नाम रतन लाल बता कर बना रखा था । शम्स ताहिर खान जो फोटो इस एपिसोड में प्रयोग कर रहा है, वह शंकरिया की नहीं, कलकत्ता के सजल बारूई की है जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कत्ल किया था और गिरफ्तारी के बाद ईलाज के दौरान पुलिस वालों को धोखा दे कर अस्पताल से भाग गया था। ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि घटना सितंबर ,1973 की है, चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@Siraj305059 ай бұрын
जी आप सही कह रहे हैं शंकर ने दो क़त्ल मेरे शहर में भी किए थे
@extraterrestrialman58284 ай бұрын
@@Siraj30505kis jgha
@vijaymishra198910 ай бұрын
Shams outstanding 👍💪👌
@deenaliqureshi989610 ай бұрын
अस्सलामुअलैकुम शम्स साहब आप की कहनी सुनाने का लहजा बहुत ही काबिले तारीफ है आपका डी ए कुरैशी बम्हनीपुर ऊसराहार इटावा
@Junior-PreSchool10 ай бұрын
Great story sir
@mahendersinghpoonia41878 ай бұрын
ये घटनाएं जयपुर की थी ही नहीं, गंगानगर हनुमानगढ़ इलाके में हुई थी ये घटनाएं। ये झूठ का पुलिंदा सुना रहा है। वास्तविकता मैं ने एक कमेंट में विस्तार से लिखी है।
@smitaamissra10 ай бұрын
Shams Sir, जो तस्वीर आप की टीम ने लगाई है इस वीडियो में वो तो Sajal Barui की है !!
@kiranindoree734010 ай бұрын
🤣🤣😆😆
@jagdishsinghnegi442310 ай бұрын
Sajal kon mp wale
@jagdishsinghnegi442310 ай бұрын
Aaj kukufm nahi bole aap
@2468singh10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@anjanmukherjee91449 ай бұрын
Nice presentation .
@adishubhi898910 ай бұрын
Thank you sir ji namaskar
@naushadsheikh238210 ай бұрын
Sir Us samay Imandari ka Jamana tha. Thanks
@Baddunaik89710 ай бұрын
From Hyderabad Telangana
@dr.rameshnimavat348110 ай бұрын
Sir u best....shams tahirkhan....jidabad🎉🎉
@arvindkumarbajpai469910 ай бұрын
We are blessed to have you here as a story teller
@2468singh10 ай бұрын
वैसे तो आजकल मीडिया नाम ही झूठ का हो गया है लेकिन इस कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@lawrencetobias341410 ай бұрын
@@g-1carcare868 Hope you will teach your though process to think and express your opinion in a gentle mannar without discrimination. India 1st 🙏
@khalilshaikh-ws4kv10 ай бұрын
Nice sir 🎉🎉🎉
@kshamadharmani882510 ай бұрын
Luv ur voice sir !
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@arham175010 ай бұрын
I was searching this story for a quite a long time.
@shekharvaishnav999910 ай бұрын
Your stories are simply wonderful❤
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@sameerdhande839810 ай бұрын
Thriller.... absolute
@shushantbora4410 ай бұрын
Jai Hind sir, mujhe aapke upar gussa bhi aata hai aur bahut sara pyar. Gussa isiliye ki aap Sunday aur bich Mai 2. se 3 story nahi bolte toh mujhe nind aati. Mujhe fir se alcohol ya sleeping pills ki zarurat padti hai. 😢😢😢😢. I love your voice, meri Nani ne story nahi sunai kabhi bhi but apki har episode sunta hu aur chain se sota hu ❤
@2468singh10 ай бұрын
यह आदमी महा झूठा और बदमाश है । सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। ये जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जि स घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हु ई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है ।
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.
@rabbanikhan29159 ай бұрын
ये कहानी मैंने मेरी दादी से और में अम्मी से भी सुनाई थी,,, बचपन में इसको सुन कर बहुत डर लगता था,,, और सच में हम लोग अंधेरा होने से पहले घर आ जाते थे,,, क्यूकी ये कहानी इसीलिए बच्चो को सुनाई जाती थी ताकि बच्चे लेट तक कही दूर ना निकल जाए खेलते हूए।
@bhagwanswarupjogi55299 ай бұрын
Aap kaha se ho
@manjusandal666610 ай бұрын
Your hands are beautiful❤
@SAJJADAHMAD-uy3hu10 ай бұрын
The murderer used to get death sentence in India some 40 years or 45 years ago but in this era murderers are released after serving few years of sentence in jail. Why?
@ssyadav161010 ай бұрын
सर , हकीकत में सत्य बताया आपने उस समय हमारे शहर में भी कनपटीमार की दहशत थी । मै उस समय 10th class में था ।
@bhagwanswarupjogi55299 ай бұрын
Abhi aap kaha rahte ho
@skhashanalam512710 ай бұрын
Oooono 😢 7:59
@DMD00710 ай бұрын
This story was recommended by my brother Nitin to crime Tak 🎉
@anandharsh487010 ай бұрын
सर ये कहानी राजस्थान के गंगानगर ज़िले की है ये गंगानगर की तहसील के रहनेवाला था और ये आखिर में पंजाब के भटिंडा के गोलबाजार मार्किट से पकड़ा गया हम भी इसके डर से गर्मियों में चौकियों से कमरे में घुसकर सोने लग गये
@Kandwals1110 ай бұрын
Happy birthday sir, your real incident and investigation detailed stories are very informative. Best wishes for your good health and prosperity.
@2468singh10 ай бұрын
शम्स ताहिर खान सच्ची क्राइम रिपोर्ट के नाम पर झूठ और मनोहर कहानियाँ सुनाता है । इसलिए इसके 1-2 एपिसोड सुनने के बाद इसे सुनना छोड़ दिया था। एपिसोड 1565 में श्री गंगानगर ,अबोहर इलाके में 1972 , 73 में हुई सीरियल हत्याओं की घटना सुनाना चाहता है लेकिन उसमें बहुत ही गलत और काल्पनिक बातें जोड़ देता है। इसका लगभग हर एपिसोड इसी प्रकार का होता है लेकिन दर्शक इस पर सवाल प्राय: नहीं उठाते। जो घटना वर्णन करना चाह रहा है और जिसे ये जयपुर की बता रहा है , ये हमारे जिले श्री गंगानगर की है। इसलिए इसके झूठ एक्सपोज करने के लिए ये एपिसोड पूरा सुना । ये रिसर्च की बात करता है लेकिन ये जरा भी रिसर्च नहीं करता । जिस घटना के लिए शंकर को फांसी की सजा हुई थी, वो हमारे ही पुलिस थाने सादुलशहर के गाँव तख्त हज़ारा में 8-9 सितंबर , 1973 की रात को हुई थी, जिसमें इसने गुरुद्वारा में सोए हुए 2 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया था और एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। शंकरिया हमारे ही जिले गंगानगर के करनपुर का रहने वाला था , ना कि जयपुर का , जैसे ये बकवास कर रहा है । वो न कोई कंबल ओढ़ कर बैठता था और ना ही पास में कोई हथौड़ा रखता था । इसने 15 घटनाएं हमारे जिले श्री गंगानगर में और बाकी पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा जिला में की थी । जयपुर से इसका कोई ताल्लुक नहीं था । जैसा ये बकवास कर रहा है । हमारे वहाँ गर्मियों में घरों के बाहर आँगन या गली में सोने की प्रथा है । ये ऐसे बाहर सोए लोगों को जो कोई भी हथियार मिलता था, जैसे पत्थर , कुदाल , डंडा आदि से कनपटी पर वार करके मार देता था ।शुरू के दिनों में ये किसी मंदिर, मठ , गुरुद्वारा आदि में रात गुजारने के लिए शरण लेता था और वहाँ के महंत , पुजारी आदि की हत्या कर देता था। इस मामले में भी उसने गुरुद्वारा में सोए तीन व्यक्तियों पर कुदाल से वार किया था । इसे साधुओं से नफरत इसलिए हो गई थी कि एक चोरी के मामले में साधुओं के एक दल ने इसे बहुत बुरी तरह से पीटा था। ये शंकरिया की गिरफ़्तारी 1979 में होने की बकवास कर रहा है जबकि उसकी गिरफ़्तारी 3 जून , 1973 को भटिंडा , पंजाब से हुई थी जहां ये रिक्शा चलाया करता था । ये चार महीने में जिला अदालत से राष्ट्रपति तक मामले की सुनवाई पूरी होने की बकवास कर रहा है जबकि चार्ज शीट 1974 के अंत में पेश की गई थी , जिला अदालत ने फैसला 27 जून , 1975 को सुनाया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 5 मई , 1976 को सुनाया था जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपील पर फैसला 26 अप्रैल , 1978 को सुनाया था और फांसी 16 मई , 1979 को हुई थी। इस प्रकार घटना और फांसी के बीच लगभग 6 साल का अंतर है । Mahender Singh kzbin.info/www/bejne/mJmziJaCnseImac...
@g-1carcare86810 ай бұрын
Muje tajjub hota hai k HinduStan me Hindu majority hone k bawjood Muslimo ka Crime rate sabse jada hai. Firbee is Muslim Anchor ko Muslims ka Crime Stories nahi miltha. Ab Duniya ko Patha chalgaya a Vishesh samudai kitna Tolerant, Peace Loving, Non-Violent, Peaceful Community hai.