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Evening bulletin 22।
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मैं हूं रेखा जैन....आप देख रहे हैं.... श्रीफल जैन न्यूज का ईवनिंग बुलेटिन....पंचांग जैन धर्म के धार्मिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसकी मदद से व्यक्ति अपने धार्मिक कार्यों को सही समय और सही तरीके से संपन्न कर सकता है। पंचांग न केवल धार्मिक कार्यों का समय निर्धारण करता है, बल्कि यह जैन धर्म की संस्कृति, परंपरा और विश्वास को सशक्त बनाता है। ...आज इसी पंचांग पर चर्चा होगी। तो आइए...शुरुआत करते हैं...आज के बुलेटिन की...
न्यूज 1
लोकेशन: इंदौर
स्टोरी: रेखा जैन, संपादक, श्रीफल जैन न्यूज
विवाह...घर...दुकान का वास्तु...दीक्षा...पंचकल्याणक...और मांगलिक कार्यक्रम की बात आती है तो सब से पहले पंचांग का जिक्र होता है... पंचांग से मुहूर्त निकाले जाते हैं....क्या है पंचांग? कितनी उपयोगिता है ? जैन धर्म में कितना महत्व है या नहीं ...जानते हैं...
पंचांग के 'पांच अंग
पंचांग का अर्थ है 'पांच अंग' (पंच = पांच, अंग = हिस्से), जो पांच प्रमुख घटकों से मिलकर बनता है:
1. तिथि
2. वार
3. नक्षत्र
4. करण
5. योग
इन पांचों के संयोजन से पंचांग निर्धारित होता है, और इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों, विवाह, यात्रा, नए व्यवसाय की शुरुआत आदि के लिए किया जाता है। इन पांचों संयोगों के आधार पर मुहूर्त निकाले जाते हैं।
आदिपुराण, उत्तरपुराण में जिक्र
आदिपुराण, उत्तरपुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में पढ़ने को मिलता है कि राजदरबार में राज्य का ज्योतिषाचार्य राजा को बताता था कि शुभ तिथि, शुभ वार, शुभ नक्षत्र, और शुभ योग में ही विवाह, राज्याभिषेक, युद्ध आदि प्रारंभ किए जा सकते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि प्राचीन आचार्य भी मुहूर्त से सहमत थे, और मुहूर्त पंचांग से ही देखा जाता था।
शुभ कार्य होते हैं मुहूर्त से
वर्तमान समय में हर साल पंचकल्याणक प्रतिष्ठा, दीक्षा जैसे शुभ कार्य मुहूर्त से किए जाते हैं। बिना मुहूर्त के पंचकल्याण, दीक्षा आदि किसी भी रूप में नहीं देखे जाते। पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त में ही ये कार्य किए जाते हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि आज भी आचार्य मुहूर्त से सहमत हैं।
पंचांग के दो पक्ष
डॉ. अनुपम जैन, जैन गणितज्ञ और विशेषज्ञ का कहना है कि दीक्षा और प्रतिष्ठा जैन धर्म की संस्कृति के संरक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इन कार्यों के लिए मुहूर्त की आवश्यकता होती है, इसलिए जैन धर्म में पंचांग का महत्व है। पंचांग के दो पक्ष होते हैं: एक निर्माण और दूसरा फलित। निर्वाण पक्ष में पंचांग का निर्वाण किया जाता है, और फलित पक्ष में ग्रहों और नक्षत्रों की चाल के आधार पर फल निकाला जाता है। प्रतिष्ठान पाठ और कारणानुयोग ग्रंथों में इसका विस्तृत वर्णन मिलता है।
प्रश्नव्याकरण अंग में ज्योतिष शास्त्र का वर्णन
डॉ. भरत जैन, वास्तु और ज्योतिष के विशेषज्ञ का कहना है कि जैन धर्म के प्रश्नव्याकरण अंग में ज्योतिष शास्त्र का वर्णन मिलता है। ग्रहों और नक्षत्रों की चाल, तथा उनसे निकलने वाले रेज का शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ता है। शुभ रेज से सकारात्मक फल और अशुभ रेज से नकारात्मक और दुष्परिणाम निकलते हैं। यदि परिवार, विवाह या अन्य कार्यों में विकृति आ रही है, तो यह बिना मुहूर्त के किए गए कार्यों के कारण हो सकता है। बिना मुहूर्त के कार्य भले ही अच्छे लगें, लेकिन भविष्य में इसका दुष्परिणाम हो सकता है।
सभी कार्यों की जानकारी
वर्तमान में तीर्थंकर के जन्मकल्याणक, दसलक्षण पर्व, व्रत, नियम, साधना, मंत्र सिद्धि, जाप अनुष्ठान आदि की जानकारी भी पंचांग से ही प्राप्त की जाती है कि यह कार्य कब करना चाहिए और कब नहीं।
निष्कर्ष
अंत में, यह सिद्ध होता है कि जैन धर्म में पंचांग और ज्योतिष का महत्वपूर्ण स्थान है। हालांकि, यह भी कहा जा सकता है कि वर्तमान समय में पंचांग के पूर्ण ज्ञान की कमी के कारण उसके सही फलित और गणित का सही रूप से निर्धारण नहीं हो पा रहा है।
स्लग -पंचांग की उपयोगिता और जैन धर्म में महत्व
न्यूज 2
लोकेशन जयपुर
रिपोर्टर.....
18 नवम्बर 2024 को भारत सरकार में राज्य पत्र जारी कर अधिसूचना के अनुसार भगवान पार्श्वनाथ के 2900वें जन्म कल्याणक और 2800वें निर्वाण कल्याणक पर 25 दिसंबर 2024 को स्मारक सिक्का जारी किया जाएगा। यह सिक्का 900 रुपए और 800 रुपए के मूल्य पर जारी होगा। सिक्का 44 मिलीमीटर के वृत्ताकार आकार का चांदी का होगा।
स्लग -निर्वाण कल्याणक पर 25 दिसंबर को जारी होगा स्मारक सिक्का
न्यूज 3
लोकेशन इंदौर
रिपोर्टर..
एरोड्रम रोड स्थित मार्डन सिटी में स्थित श्री 1008 अजितनाथ त्रिमूर्ति दिगंबर जैन मंदिर का प्रथम वार्षिकोत्सव रविवार, 24 नवंबर 2024 को परम पूज्य मुनि श्री सिद्धांत सागर जी के सानिध्य में मनाया जाएगा।
स्लग -अजितनाथ त्रिमूर्ति दिगंबर जैन मंदिर का प्रथम वार्षिकोत्सव रविवार कॉ
न्यूज 4
लोकेशन ऋषभदेव
रिपोर्टर उदयभान जैन
दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र ऋषभदेव उदयपुर में चातुर्मासरत आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज की 1008 दीपकों से आरती ,पूजन का सौभाग्य अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन युवा परिषद को प्राप्त हुआ । साथ ही आचार्य श्री को महामाला भेंट की।
स्लग - 1008 दीपकों से आरती