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मुझे बचपन में पापा ने छुआई थी जो कांधों से
जहाज़ों से भी उड़ के मैं वो ऊँचाई न छू पाया ।
पिता को समर्पित मेरी एक कविता । जरूर सुनें , अगर पसंद आये तो अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें । चैनल को सब्सक्राइब करें ।
Suniljogikavi@gmail.com
धन्यवाद