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भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - • दर्शन दो भगवान | Darsh...
सत्यभामा श्री कृष्ण की पत्नी थी। उसे अपने पर बहुत अहंकार था उसे तोड़ने के लिए श्री कृष्ण एक लीला को रचते हैं जिसमें श्री कृष्ण सत्यभामा को इंद्र लोक ले जाते हैं जहां सत्यभामा पारिजात का वृक्ष देख लेती हैं और नारद जी उन्हें उस वृक्ष की व्रत करने की विधि बताते हैं। सत्यभामा श्री कृष्ण से पारिजात का वृक्ष लाने के लिए कहती है। श्री कृष्ण इंद्र से युद्ध करके उस से पारिजात का वृक्ष माँग लाते हैं और व्रत पूर्ण होने पर लौटाने की बात कहते हैं। सत्यभामा नारद जी को व्रत पूर्ण करने के लिए नारद जी से प्रार्थना की। नारद जी व्रत शुरू करने से पहले श्री गणेश जी की आरती पूजन कराते हैं। गणेश जी की पूजा करने के बाद पारिजात वृक्ष का यज्ञ करने की आज्ञा माँगती है। नारद जी ने यज्ञ का संकल्प करने पर दान देने को कहा। नारद जी सत्यभामा से दान में अपनी प्रिय चीज़ माँगी। सत्यभामा के सबसे प्रिय श्री कृष्ण थे लेकिन वो उन्हें दान नहीं करना चाहती थी। नारद जी सत्यभामा से कहते हैं की आप मुझसे अपनी दान की वस्तु को उचित दाम देकर पुनः ख़रीद भी सकते हैं। यह सुन सत्यभामा खुश हो जाती है और श्री कृष्ण को दान में दे देती है। श्री कृष्ण जी को नारद मुनि अपने साथ ले जाने लगते हैं तो वह उन्हें रोकती है और उनसे श्री कृष्ण को साथ ना ले जाने को कहती है।
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