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समुद्र तल से 3500 मीटर की ऊंचाई स्थित पंवालीकंठा सर्वश्रेष्ठ बुग्गयाल ट्रेक में एक है | यहाँ गढ़वाल हिमालय के उच्च ऊंचाई वाले घास के मैदान (बुग्याल) हैं, जिनमे विभिन्न प्रकार के आकर्षक फूल, जड़ी बूटी बहुतायत में पाई जाती हैं | अप्रैल और मई के महीने बमें यह स्थान लाल और गुलाबी बुराँस से सरोबार रहता है |
यहाँ से हिमालय पर्वतमाला के मनोरम दर्शनों के साथ-साथ यमुनोत्री-गंगोत्री-केदारनाथ-बदरीनाथ पर्वत शिखरों के दर्शन भी होते हैं | हिमपात के समय बर्फ से ढकी थलय सागर, मेरु, कीर्ति स्तम्भ, चोखंभा, नीलकंठ आदि पहाड़ियों के मनोरम दृश्य को यहाँ से देखा जा सकता है | पर्यटकों के बीच पंवाली काँठा से सूर्यास्त देखने का एक विशेष आकर्षण रहता है|
यह ट्रेक गंगोत्री से केदारनाथ के प्राचीन धार्मिक मार्ग पर पड़ता है | ट्रेकर्स यहाँ बसे दूरस्थ गाँवों से गुजरते हैं जहाँ वे वास्तविक गढ़वाल के जीवन को देख पाते हैं | ट्रेक में जगह-जगह चरवाहे दिखाई देते हैं जो शिवालिक रेंज और हिमालय के बीच निवास करते हैं|
बारिश और साफ़ आसमान को देखते हुए शरद ऋतु पंवाली काँठा ट्रेक पर जाने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त समय है | इस समय हिमालय पर्वत और रंगीन जंगली फूलों से सजे हरे घास के बुग्याल जीवंत नजर आते हैं |
यह ट्रेक घुत्तु नामक स्थान से प्रारम्भ करके सोनप्रयाग / त्रियुगी नारायण तक पूरा किया जाता है | लेकिन हम आठ दोस्तों ने इस ट्रैक को तेलुगु नारायण से चार दिन में पूरा किया पहले दिन हम लोग देहरादून से त्रिवेणी नारायण पहुंचे और त्रिवेणी में रात्रि विश्राम किया दूसरी सुबह हमने 9:00 बजे ट्रैक शुरू किया और हम लोग मग्गू चट्टी में पहुंचे।
दूसरे दिन की यात्रा हमने मग्गू चट्टी से शुरू की और लगभग 17 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर करके हम लोग पंवालीकंठा पहुंचे।
दूर-दूर तक फैले हुए मखमली घास के मैदान और उन पर उपाय सैकड़ो प्राकृतिक फूलों की भीनी भीनी खुशबू वाकई में प्रकृति के बेहद करीब होने का एहसास दिला जाती है @himalayapremi